सब्जियों को घर में उगाने का शौक रखने वालों के लिए सबसे बड़ी निराशा तब होती है, जब उनके लगाए हुए पौधे हरे-भरे तो दिखते हैं, लेकिन उनमें फल या सब्जियां नहीं आती हैं। ऐसा ही कुछ भिंडी के पौधों के साथ भी होता है। कई बार हम गमले में भिंडी के पौधे लगाते हैं, खूब पानी देते हैं, सूरज की रोशनी भी पर्याप्त मिलती है, पौधे बढ़ते भी हैं, पर उसमें एक भी भिंडी नहीं दिखाई नहीं देती है। यह समस्या अक्सर मिट्टी में सही पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है। ऐसी स्थिति में लोग पौधे को स्वस्थ बनाने के लिए महंगे रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं, जो हमेशा एक अच्छा विकल्प नहीं होता है, क्योंकि वे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पौधों के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं। अगर आपके भिंडी के पौधे भी फल न देने की समस्या से जूझ रहे हैं और आप कम समय में उनसे भरपूर पैदावार पाना चाहती हैं, तो अब आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम आपके लिए एक अचूक और बेहद आसान देसी नुस्खा लेकर आए हैं। यह एक ऐसा जादुई पीला पाउडर है, जो आपकी रसोई में ही मौजूद है और भिंडी के पौधों के लिए रामबाण साबित हो सकता है। इस प्राकृतिक चीज के इस्तेमाल से आपको हफ्ते भर में ही फर्क दिखना शुरू हो जाएगा और आपके गमलों में भिंडी की बहार आ जाएगी। आइए, इस खास पीले पाउडर और इसके इस्तेमाल के बारे में जानते हैं।
भिंडी की पैदावर बढ़ाने के लिए मिट्टी में मिलाएं किचन में मौजूद यह पीला पाउडर
आपकी रसोई में एक ऐसी प्राकृतिक चीज मौजूद है, जो भिंडी के पौधों के लिए वरदान साबित हो सकती है और वह है- सरसों। सरसों, चाहे वह खली के रूप में हो या पाउडर के रूप में, पौधों के लिए एक उत्कृष्ट जैविक खाद का काम करती है। सरसों न केवल एक मसाला है, बल्कि बागवानी में एक शक्तिशाली जैविक उर्वरक और कीट नियंत्रक के रूप में भी जानी जाती है। सरसों की खली में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के साथ-साथ कई सूक्ष्म पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके इस्तेमाल से आपको हफ्ते भर में ही फ़र्क दिखना शुरू हो जाएगा और आपके गमलों में भिंडी की बहार आ जाएगी। हालांकि, इसके लिए आपको सरसों का सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में आपको जान लेना चाहिए।
भिंडी के पौधे के लिए कैसे बनाएं खाद?
- भिंडी के पौधों पर सरसों का इस्तेमाल करना बेहद आसान है। आप इसे दो मुख्य तरीकों से इस्तेमाल कर सकती हैं।
- यह तरीका पौधों को पोषक तत्व तेजी से उपलब्ध कराता है।
- सरसों की खली को छोटे टुकड़ों में तोड़ लें।
- इन टुकड़ों को 1 लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से मिला लें।
- बोतल या जार का ढक्कन लगाकर इसे 3-5 दिनों के लिए किसी ठंडी और अंधेरी जगह पर रखें। इस दौरान घोल को रोज़ाना एक बार लकड़ी के डंडे से हिलाते रहें। यह फर्मेंटेशन की प्रक्रिया है।
- फर्मेंटेशन के बाद, आपको एक गाढ़ा और थोड़ा बदबूदार तरल मिलेगा।
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इस्तेमाल का तरीका
- इस गाढ़े तरल को सीधे पौधों में इस्तेमाल न करें। इसे हमेशा पतला करके इस्तेमाल करें।
- 1 भाग तैयार तरल में 10 भाग पानी मिलाएं।
- इस पतले घोल को अपने भिंडी के पौधे की जड़ों के पास मिट्टी में डालें।
- यह तरल उर्वरक आप हर 10-15 दिनों में एक बार अपने भिंडी के पौधे को दे सकती हैं। आपको एक हफ्ते के भीतर ही पौधों में फूलों की संख्या बढ़ने और छोटी भिंडियां लगनी शुरू होने का फर्क दिखना चाहिए।
सूखी सरसों की खली या पाउडर को मिट्टी में मिलाना
- अपने भिंडी के पौधे के चारों ओर की मिट्टी को हल्के से ढीला करें। जड़ों को नुकसान न पहुंचाएं।
- लगभग 1 से 2 चम्मच सरसों की खली का पाउडर को पौधे की जड़ के आसपास की ढीली मिट्टी में समान रूप से फैला दें।
- पाउडर को मिट्टी में हल्के से मिला दें, ताकि वह मिट्टी की ऊपरी परत में मिल जाए।
- पाउडर मिलाने के बाद, पौधे में अच्छी तरह पानी दें। पानी देने से पोषक तत्व घुलेंगे और जड़ों तक पहुंचेंगे।
- यह प्रक्रिया हर 3-4 हफ्तों में एक बार दोहराई जा सकती है।
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