इस फल के छिलकों की खाद गुड़हल के पौधे के लिए हो सकता है रामबाण, जानें इस्तेमाल करने का सही तरीका

गुड़हल के पौधों को हेल्दी और हरा-भरा रखने के लिए आप इसमें फल के छोलके का खाद डाल सकती हैं। लेकिन, इसके लिए किस फल के छिलके कारगर हो सकते हैं, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

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फलों के छिलके, जिन्हें हम अक्सर कूड़ेदान में फेंक देते हैं, वह गुड़हल के पौधों के लिए एक एक बेस्ट खाद के रूप में काम आ सकते हैं। ये छिलके पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जो पौधे की वृद्धि और फूलों को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं, केले के छिलकों की, जिससे खाद बनाकर आप गुड़हल के पौधे के लिए एक बेहतरीन उर्वरक तैयार कर सकती है। तो चलिए इसे बनाने और इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में जान लेते हैं।

केले के छिलकों की खाद बनाने की विधि

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  • केमिकल फ्री खाद बनाने के लिए सबसे पहले केले के छिलकों को इकट्ठा करके धो लें।
  • इसे एक जार में रखकर इसमें पानी भर दें।
  • अब, छिलकों को सात दिन तक जार में बंद रखें।
  • इसके बाद जब छिलके गल जाएं तो इसे निकाल कर उसका प्रयोग खाद के रूप में कर सकते हैं।

गुड़हल के पौधे में खाद का उपयोग कैसे करें?

  • गुड़हल के पौधे के चारों ओर मिट्टी में तैयार खाद मिलाएं।
  • खाद डालने के बाद पौधे को नियमित रूप से पानी दें।
  • इस तरह हर 2-3 सप्ताह में एक बार गुड़हल में खाद जरूर डालें।

गुड़हल के पौधे में केले के छिलकों की खाद डालने के फायदे

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  • केले के छिलके में पोटेशियम होती है, जो फूलों की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  • केले के छिलके में मैग्नीशियम की मात्रा होती है, जो कि पौधे को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • इसमें, फास्फोरस की प्रचुरता भी होती है, जो कि जड़ों के विकास और फूलों के खिलने को बढ़ावा देता है।
  • केले के छिलके में कैल्शियम होती है, जो तने को मजबूत बनाता है और गुड़हल के पौधे को रोगों से बचाता है।
  • यह खाद गुड़हल के पौधे के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है।
  • यह घर पर आसानी से और कम खर्च में बनाई जा सकती है।

गुड़हल के पौधे में खाद डालते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

  • गुड़हल के पौधे में अधिक नेचुरल खाद या कोई भी खाद न डालें। इससे पौधे को नुकसान हो सकता है।
  • गीली मिट्टी में खाद न डालें। ऐसा करने से फंगस और बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
  • गुड़हल के पौधे में बहुत ज्यादा पानी न डालें। इससे जड़ के सड़ने की संभावनी बढ़ जाती है।

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Image credit- Herzindagi

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