स्वर्ग की कल्पना जब हम करते हैं, तो एक ऐसी नगरी की छवि हमारे जहन में उभरती है, जहां सब कुछ इतना खूबसूरत होता है कि हम सबका दिल वहां जाने का करता है। जाहिर है, जिवन-मृत्यु के इस चक्र में एक समय ऐसा हर किसी के जीवन में आता है, जब सांसारिक सुख, भोग-विलासता का जीवन छोड़कर हमें मिट्टी में विलीना हो जाना होता है।
हम मन्युष्य हर चीज में सुख और सरलता की चाह रखते हैं , फिर मृत्यु ही क्यों न हो। ऐसे में हमारे द्वारा जीवन भर किए गए कर्म ही निर्धारित करते हैं कि हमें मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलेगा या नरक। हालांकि, हिंदू धार्मिक ग्रंथों, शास्त्र और पुराणों में इस बात का जिक्र मिलता है कुछ विशेष दिन होते हैं, जब स्वर्ग के द्वार खुले होते हैं। इस विषय में हमारी बात ज्योतिषाचार्य एवं पंडित विनोद सोनी जी से हुई है। वह कहते हैं, " केवल मरकर ही आदमी स्वर्ग नहीं जाता, वह जीवित रहकर भी अपनी लिए सुनिश्चित कर सकता है कि मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिलेगा या नरक। इसके लिए से सतकर्म करने होते है। साथ ही कुछ विशेष दिनों में मनुष्य ईश्वर का ध्यान, पूजा-पाठ, दान-पुण्य और उपवास रखकर भी अपने लिए स्वर्ग के द्वार खुलवा सकता है। हिंदू धार्मिक शास्त्रों में ऐसे विशेष दिनों के बारे में बताया भी गया है।"
अगर आप भी स्वर्ग में अपने लिए स्थान बनाना चाहते हैं, तो लेख को अंत तक पढ़ें और उन विशेष दिनों के बारे में जानें कि आपको कब-कब यह अवसर प्राप्त हो सकता है।
वैकुंठ चतुर्दशी का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन को भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत और उनकी पूजा अर्चना करके, उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा होने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है और स्वर्ग का मार्ग उसके लिए खुल जाता है। इस दिन भगवद्भक्ति, विष्णु सहस्रनाम का पाठ और तुलसी के पौधे की पूजा करने से भी अद्भुत फल प्राप्त होते हैं।
कब होती है वैकुंठ चतुर्दशी ? : वैकुंठ चतुर्दशी हर वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 4 नवंबर को चतुर्दशी पड़ेगी।
वैकुंठ चतुर्दशी क्या दान करें ? : इस दिन दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है।
साल भर में 24 एकादशी पड़ती है और अगर अधिकमास पड़ जाए तो 2 एकादशी बढ़ जाती है और यह संख्या 26 हो जाती है। इन सभी एकादशियों में से एक वैकुंठ एकादशी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र एकादशी माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। कहते हैंइस दिन उपवास रखने और पूजा पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं। इतना ही नहीं, व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसके लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। वैकुंठ एकादशी का दिन वैकुंठ धाम की प्राप्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
कब होती है वैकुंठ एकादशी? : हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को वैकुंठ एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष 10 जनवरी को यह तिथि पड़ेगी।
वैकुंठ एकादशी क्या दान करें ? : इस दिन आपको तुलसी का पौधा दान करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
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मोक्षदा एकादशी, के नाम से ही यह पता चलता है कि इस दिन जो सतकर्म करता है और भगवान का ध्यान करता है, उसे मोक्ष मिलता है। मोक्ष प्रदान करने वाली इस एकादशी के दिन व्यक्ति के सभी पापों को नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वर्ग में स्थान मिल जाता है। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता पाठ, भगवान विष्णु की पूजा और दान कर्म करने का अत्यधिक महत्व है।
कब होती है मोक्षदा एकादशी? : मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह दिन 1 दिसंबर को आएगा।
मोक्षदा एकादशी क्या दान करें ? : इस दिन आपको गीता की पुस्तक, गुड़ और पीले रंग की कोई चीज दान करनी चाहिए। ऐसा करने से दुख और कष्ट कम होते हैं।
षटतिला एकादशी का दिन भी स्वर्ग प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह एकादशी भी बहुत विशेष है। इस दान और उपवास करने का विशेष महत्व है। इस दिन तिल का दान और उपयोग करना भी बहुत शुभ माना गया है। तिल का दान, भोजन और स्नान व्यक्ति को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
कब होती है षटतिला एकादशी? : माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 25 जनवरी को है।
षटतिला एकादशी क्या दान करें ? : इस दिन तिल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आप आरोग्य होते हैं।
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नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व यह है कि यह दिन व्यक्ति को नरक जाने से बचाता है। इस दिन आपको घर की चौखट पर यम का दिया जलाना चाहिए। इस दिन भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा करने से व्यक्ति के पाप कट जाते हैं और उसे नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कब होती है नरक निवारण चतुर्दशी? : कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष 20 अक्टूबर को यह पर्व मनाया जाएगा।
नरक निवारण चतुर्दशी क्या दान करें ? : इस दिन सरसों का तेल दान करने से जीवन में आ रही परेशानियां कम होती हैं।
पंडित जी कहते हैं, "आप कितना भी व्रत रख लें और भगवान की पूजा कर लें। आपका मन साफ नहीं और आप बुरे कर्मों में लिप्त हैं, तो स्वर्ग में तो क्या नरक में भी स्थान नहीं मिलेगा। ऐसे में स्वर्ग के पथ पर चलना है तो अपने कर्मो को सुधारें।"
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