हिंदू धर्म में पितृपक्ष के सोलह दिनों का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब लोग अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार होता है, जैसे यदि किसी पूर्वज की मृत्यु प्रतिपदा को हुई है तो पितृपक्ष की उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाएगा। ऐसे ही अन्य तिथियों के हिसाब से भी मृतकों का श्राद्ध करने का विधान है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में ही कुछ विशेष तिथियां ऐसी भी होती हैं जिनका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसी ही एक तिथि है महाभरणी श्राद्ध की तिथि जिसे पितृपक्ष के दौरान भरणी नक्षत्र में किया जाता है। इस श्राद्ध को शास्त्रों में अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी पूर्वज की मृत्यु भरणी नक्षत्र में हुई हो तो उसका श्राद्ध इसी तिथि को किया जाना चाहिए। इस श्राद्ध को करने से उतना ही फल मिलता है जितना गया जी में किए गए श्राद्ध का मिलता है। आइए पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें की क्या होता है महाभरणी श्राद्ध और इसका महत्व क्या है। यही नहीं इस साल यह किस दिन पड़ेगा इसके बारे में भी यहां जानें।
जब पितृपक्ष में किसी तिथि विशेष पर अपराह्न काल यानी की दोपहर के बाद के समय में भरणी नक्षत्र पड़ता है, तो उस दिन किया गया श्राद्ध महाभरणी श्राद्ध कहलाता है। अगर हम ज्योतिष की मानें तो भरणी नक्षत्र को यमराज का नक्षत्र माना जाता है। इसी वजह से मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और तर्पण पितरों को सीधा प्राप्त होता है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2025 में पितृपक्ष की चतुर्थी और पंचमी तिथि 11 सितंबर, गुरुवार को पड़ रही है। संयोगवश, इसी दिन भरणी नक्षत्र का प्रभाव भी है। चतुर्थी और पंचमी तिथि का संयोग और उस पर भरणी नक्षत्र का योग इस दिन को और भी विशेष बना रहा है। इसलिए इस साल का महाभरणी श्राद्ध विशेष पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष महत्व रखता है। यदि आप इस दिन नियम पूर्वक श्राद्ध कर्म करते हैं तो उसका फल आपको अन्य दिनों से ज्यादा मिलता है। यही नहीं ऐसी भी मान्यता है कि यदि आप किसी पूर्वज का श्राद्ध उनकी तिथि पर नहीं कर पाए हैं, तो भरणी नक्षत्र में किया गया श्राद्ध उन्हें पूर्ण रूप से स्वीकार्य होता है।
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भरणी नक्षत्र का सीधा संबंध यमराज से माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यमराज ही मृत आत्माओं को उनके कर्मों का फल दिलाने वाले देवता हैं। इस कारण ऐसी मान्यता है कि भरणी नक्षत्र में किया गया श्राद्ध पितरों तक सीधे पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति भी मिलती है। महाभरणी श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को तीर्थ यात्रा और धार्मिक स्थलों की पूजा का फल मिलता है। यदि आपके पूर्वजों ने अपने जीवन काल में कभी भी कोई तीर्थ यात्रा न की हो तब भी यह श्राद्ध करने से उन्हें तीर्थ यात्रा के समान फल मिलता है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति कालसर्प दोष और पितृ दोष से मुक्त हो जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है जिनके पितृ किसी कारणवश अपूर्ण इच्छाओं के साथ विदा हुए हों।
अगर आप भी महाभरणी श्राद्ध करने के बारे में सोच रहे हैं तो यहां से पूरी जानकारी ली जा सकती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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