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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में कब किया जाता है महाभरणी श्राद्ध? इस साल की तिथि, समय और तर्पण नियमों के बारे में जानें

हिंदू धर्म में पितृपक्ष को पूर्वजों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस दौरान किए गए सभी कर्मकांड पितरों तक सीधे पहुंचते हैं। खासतौर पर यदि आप पितरों के निमित्त महा भरणी श्राद्ध करते हैं तो इसके बहुत शुभ फल मिलते हैं। यह श्राद्ध भरणी नक्षत्र में किया जाता है। आइए जानें इस साल कब पड़ रहा है यह नक्षत्र और इसका महत्व क्या है।
Editorial
Updated:- 2025-09-09, 17:49 IST

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के सोलह दिनों का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब लोग अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार होता है, जैसे यदि किसी पूर्वज की मृत्यु प्रतिपदा को हुई है तो पितृपक्ष की उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाएगा। ऐसे ही अन्य तिथियों के हिसाब से भी मृतकों का श्राद्ध करने का विधान है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में ही कुछ विशेष तिथियां ऐसी भी होती हैं जिनका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसी ही एक तिथि है महाभरणी श्राद्ध की तिथि जिसे पितृपक्ष के दौरान भरणी नक्षत्र में किया जाता है। इस श्राद्ध को शास्त्रों में अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी पूर्वज की मृत्यु भरणी नक्षत्र में हुई हो तो उसका श्राद्ध इसी तिथि को किया जाना चाहिए। इस श्राद्ध को करने से उतना ही फल मिलता है जितना गया जी में किए गए श्राद्ध का मिलता है। आइए पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें की क्या होता है महाभरणी श्राद्ध और इसका महत्व क्या है। यही नहीं इस साल यह किस दिन पड़ेगा इसके बारे में भी यहां जानें।

महाभरणी श्राद्ध क्या होता है?

जब पितृपक्ष में किसी तिथि विशेष पर अपराह्न काल यानी की दोपहर के बाद के समय में भरणी नक्षत्र पड़ता है, तो उस दिन किया गया श्राद्ध महाभरणी श्राद्ध कहलाता है। अगर हम ज्योतिष की मानें तो भरणी नक्षत्र को यमराज का नक्षत्र माना जाता है। इसी वजह से मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और तर्पण पितरों को सीधा प्राप्त होता है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

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महाभरणी श्राद्ध 2025 की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2025 में पितृपक्ष की चतुर्थी और पंचमी तिथि 11 सितंबर, गुरुवार को पड़ रही है। संयोगवश, इसी दिन भरणी नक्षत्र का प्रभाव भी है। चतुर्थी और पंचमी तिथि का संयोग और उस पर भरणी नक्षत्र का योग इस दिन को और भी विशेष बना रहा है। इसलिए इस साल का महाभरणी श्राद्ध विशेष पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष महत्व रखता है। यदि आप इस दिन नियम पूर्वक श्राद्ध कर्म करते हैं तो उसका फल आपको अन्य दिनों से ज्यादा मिलता है। यही नहीं ऐसी भी मान्यता है कि यदि आप किसी पूर्वज का श्राद्ध उनकी तिथि पर नहीं कर पाए हैं, तो भरणी नक्षत्र में किया गया श्राद्ध उन्हें पूर्ण रूप से स्वीकार्य होता है।  

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साल 2025 महाभरणी श्राद्ध का शुभ समय

  • मान्यतानुसार पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध अभिजीत मुहूर्त में ही किया जाता है।
  • महाभरणी श्राद्ध 2025 की शुभ तिथि: 11 सितंबर 2025, गुरुवार
  • 11 सितंबर 2025, गुरुवार नक्षत्र – भरणी नक्षत्र
  • श्राद्ध का शुभ समय -प्रातः 11:30 बजे से अपराह्न 3:00 बजे तक
  • चूंकि इस दिन आपको भरणी नक्षत्र भी मिल रहा है, इस वजह से शुभ समय में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को प्रसन्नता मिल सकती है।

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महाभरणी श्राद्ध के नियम

  • महाभरणी श्राद्ध करते समय आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।
  • इसमें सबसे पहले अपने गोत्र और पितरों के नाम से संकल्प लें।
  • इस दौरान अपना मुंह दक्षिण दिशा की तरफ करके बैठें और पूर्वजों के नाम से तर्पण करें।
  • तिल, जल और कुशा के साथ चावल, घी और जौ के आटे से बने पिंड पितरों को अर्पित करें।
  • श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों को भोजन करें और सामर्थ्यानुसार दक्षिणा दें।
  • इस दिन अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक चीजों का दान अवश्य करें।

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महाभरणी श्राद्ध का महत्व

भरणी नक्षत्र का सीधा संबंध यमराज से माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यमराज ही मृत आत्माओं को उनके कर्मों का फल दिलाने वाले देवता हैं। इस कारण ऐसी मान्यता है कि भरणी नक्षत्र में किया गया श्राद्ध पितरों तक सीधे पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति भी मिलती है। महाभरणी श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को तीर्थ यात्रा और धार्मिक स्थलों की पूजा का फल मिलता है। यदि आपके पूर्वजों ने अपने जीवन काल में कभी भी कोई तीर्थ यात्रा न की हो तब भी यह श्राद्ध करने से उन्हें तीर्थ यात्रा के समान फल मिलता है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति कालसर्प दोष और पितृ दोष से मुक्त हो जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है जिनके पितृ किसी कारणवश अपूर्ण इच्छाओं के साथ विदा हुए हों।

अगर आप भी महाभरणी श्राद्ध करने के बारे में सोच रहे हैं तो यहां से पूरी जानकारी ली जा सकती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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FAQ
महाभरणी श्राद्ध किसे और क्यों करना चाहिए?
महाभरणी श्राद्ध या भरणी श्राद्ध महालया पितृ पक्ष के दौरान भरणी नक्षत्र वाले दिन उन दिवंगत पूर्वजों के लिए करना चाहिए जिनकी मृत्यु भरणी नक्षत्र के दौरान हुई हो। 
मृत्यु के बाद पहला श्राद्ध कब करना चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार किसी व्यक्ति का पहला श्राद्ध उसकी मृत्यु के एक साल बाद बरसी का बाद से किया जाना चाहिए। 
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