भारत में शादियां केवल रस्म नहीं होती हैं, बल्कि इसमें पूरे परिवार के इमोशन्स जुड़े होते हैं। दुल्हन की खुशी से लेकर उसके लहंगे तक हर चीज खास होती है। शादी के लिए जब दुल्हनें लहंगा या साड़ी खरीदने जाती हैं, तो उनके लिए जरी बॉर्डर वाली साड़ी पहली पसंद होती है। वे बनारसी साड़ी या कांजीवरम पल्लू में जरी वर्क की मांग करती हैं। जरी केवल एक डिजायन नहीं है, बल्कि यह ट्रेडिशनल, शिल्प और कई विरासत की पहचान को दर्शाती है। लेकिन, आजकल मार्केट में नकली जरी भी असली जैसी दिखाकर दुकानदार बेचने लगे हैं। ऐसे में अगर आप अपनी शादी की शॉपिंग के लिए साड़ी या लहंगा खरीदने का सोच रही हैं, तो असली और नकली जरी की पहचान करना सीख लीजिए ताकि बाद में आपको पछतावा ना हो।
जरी वास्तव में क्या है?
जब हम बनारसी साड़ी या लहंगा खरीदने जाते हैं, तो सबसे पहले हमारी नजर जरी वर्क पर ही जाती है। जरी वर्क चमकीली, सुनहरी या सिल्वर कढ़ाई के साथ कपड़े को रॉयल लुक देता है। जरी वर्क मुगल काल से चलता चला आ रहा है और आज भी असली जरी का काम बनारस, सूरत और हैदराबाद जैसे शहरों में बड़ी बारीकी से किया जाता है।
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मार्केट में कितने तरह का मिल रहा है जरी वर्क?
आजकल मार्केट में तांबे या किसी अन्य धातु से मिलकर जरी बनायी जाती है और फिर इसमें गोल्ड-सिल्वर की कोटिंग कर दी जाती है। यह असली से सस्ती होती है। वहीं,नकली जरी प्लास्टिक या पॉलिएस्टर से बनी होती है और इसमें गोल्डन कलर चढ़ा दिया जाता है। धुलाई और समय के साथ इसकी चमक खत्म हो जाती है और धागा टूटने लगता है। आपको बता दें किअसली जरी की कीमत ज्यादा होती है। इसे सिल्वर थ्रेड से बनाया जाता है, जिस पर असली सोने की परत चढ़ाई जाती है।
जलाकर चेक करें
अगर आपको जरी असली है या नकली इसकी पहचान करनी है, तो बर्न टेस्ट करके आप जांच कर सकती हैं। इसके लिए आपको जरी वाले बॉर्डर से एक धागा लेना होगा और उसे जलाकर चेक करना होगा। अगर धागा जलकर प्लास्टिक की तरह महकने लगता है, तो यह नकली जरी है। अगर धागा जलकर पूरी तरह राख बन जाए, तो समझ लीजिएगा कि वह रेशम या कॉटन पर आधारित है और असली जरी है। अगर धागे को जलाने पर वह काला पड़ जाए और मेटल की महक आने लगे, तो समझ लीजिएगा कि असली जरी है।
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छूकर पहचानें
असली जरी की पहचान करने के लिए आप छूकर भी पहचान कर सकती हैं। आपको कपड़े को हाथ में लेना होगा और अगर आपको भारी लगता है, तो समझ जाइएगा कि जरी में पतला धातु का इस्तेमाल हुआ है। अगर जरी वर्क में आपको हल्की-सी चमक नजर आती है और थोड़ी ठंडक महसूस होती है, तो यह असली जरी वर्क है।
वहीं, नकली जरी में आपको कपड़ा बहुत हल्का लगेगा। जरी वर्क में बहुत चमक होगी और यह आपको नकली भी महसूस हो सकती है। जरी वर्क में अगर धागा खुरदुरा या सख्त महसूस हो, तो नकली है।
चुंबक से करें पहचान
अगर आप साड़ी या लहंगे में जरी वर्क देख रही हैं, तो चुंबक की मदद से असली और नकली की पहचान कर सकती हैं। असली जरी में सोने या चांदी के धागे चिपकते नहीं है। वहीं, दूसरी धातु से अगर वर्क किया गया है, तो चुंबक उसे चिपका सकता है।
टैग या सर्टिफिकेट की मांग करें
जब आप बनारसी या कांचीवरम साड़ी खरीदने जाएं, तो दुकानदार से सिल्क मार्क, हैंडलूम मार्क या सरकार द्वारा दिए गए कोई प्रमाणपत्र दिखाने की मांग करें। अगर दुकानदार आपको सर्टिफिकेट या टैग नहीं दिखा पाता है, तो समझ जाइएगा कि यहां आपको असली जरी नहीं मिलेगी।
कीमत जांच करके
असली जरी में गोल्ड और सिल्वर जैसी धातु का काम होता है, इसलिए इसकी कीमत ज्यादा होती है। अगर आपको जरी वर्क वाली साड़ी सस्ते में मिल रही है, तो समझ जाइएगा कि शायद नकली हो सकती है। अगर आपकी दादी या नानी के पास जरी वर्क साड़ी है, तो आप देखकर अंदाजा लगा सकती हैं कि यह समय के साथ और भी सुंदर होती चली जाती है।
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