कहानी में अब तक - शिवानी को किसी ने मैसेज किया था, जिससे मिलने के लिए वो अपनी दोस्त के साथ स्कूल की छत के नीचे के क्लास रूम में जा रही थी। लेकिन क्लास रूम में किसी लड़की की रोने की आवाज सुनकर दोनों सहेलियां बहुत घबरा गई और उन्होंने फौरन क्लास का दरवाजा खोला...अब आगे
दरवाजा खोलते ही शिवानी और स्नेहा फौरन क्लास के अंदर गई, लेकिन अंदर जाकर दोनों हैरान रह गई। क्योंकि, क्लास में कोई नहीं था, स्नेहा ने शिवानी से कहा, लगता है तुम्हारे साथ राघव ने गंदा मजाक किया है। शिवानी ने कहा, अरे स्नेहा तू तो जानती है वो क्लास का सबसे शरारती बच्चा है, कोई बात नहीं इसे इतना दिल पर मत ले।।
स्नेहा ने गुस्से में कहा, तू पागल है क्या, इतना भद्दा मजाक कौन करता है, हम कितना घबरा गए थे यार, अच्छे खाए मूड की वाट लगा दी। मैं जा रही हूं नीचे, अगली बार नहीं आऊंगी तेरे साथ। शिवानी ने स्नेहा को रोका और कहा ...मजाक तो ठीक है, लेकिन ये रोने की आवाज कहां से आ रही थी, क्लास में कहीं फोन छिपा रखा होगा। मेरे साथ फोन ढूंढ तू..
शिवानी की बात सुनकर स्नेहा को भी फोन ढूंढने की चाहत हुई, गुस्से में स्नेहा क्लास में फोन ढूंढने लगी और बोली एक बार मुझे ये फोन फोन मिल जाए, इस राघव को तो मैं बताती हूं, जब तक सॉरी नहीं बोलेगा तब तक मैं उसे फोन नहीं दुंगी। दोनों क्लास में हर टेबल, बेंज, खिड़की और हर कोने में फोन को खोज चुकी थी, लेकिन उन्हें कहीं फोन नहीं मिला। दोनों सहेलियां परेशान थी कि आखिर किसी लड़की की रोने की आवाज कैसे आई, हमें तो यहां कोई फोन नहीं मिल रहा है। तभी क्लास के बाहर उन्हें मैथ पढ़ाने वाले सर महेश पहुंच गए। उन्होंने गुस्से में शिवानी और स्नेहा से कहा, तुम दोनों यहां क्या कर रही हो। शिवानी और स्नेहा डर से एक जगह खड़ी हो गई, और घबराते हुए बोली, सर, सर ... वो हमारा पर्स कल डेस्क के ड्रॉर में रह गया था, हम वही लेने आए थे।
शिवानी की बात सुनकर सर ने कहा, चलो नीचे, पर्स मिल गया न, जब सब बच्चे नीचे हैं, तो पर्स लेकर नीचे जाना चाहिए न, यहां क्यों टाइमपास कर रहे हो। सर की बात सुनते ही दोनों सहेलियां जल्दी से क्लास रूम से नीचे की तरफ भागी, और बोली.. आज तो हम बाल बाल बच गए, स्नेहा ने कहा, बहन अगर सर ने हमें किसी लड़के के साथ देख लिया होता तो, फिर तो हमारी खैर नहीं होती।
इस बात पर शिवानी ने कहा, अरे यार तू डरती बहुत है, सर देख भी लेते तो कुछ नहीं कर सकते हमारा। क्योंकि आज हमारे स्कूल का आखिरी दिन है, अब हमें इस स्कूल से जाना है तो वो हमसे अपनी खुंदक नहीं निकाल सकते। शिवानी की बात सुनकर स्नेहा ने भी हामी भरी और दोनों खाने की स्टाल की तरफ बढ़ें। राघव को भी खाने की स्टाल पर देखकर, स्नेहा ने कहा , देख कैसे मजे से खाना खा रहा है, हमारा मूड खराब करके अपना पेट भर रहा है। शिवानी को भी अब थोड़ा बुरा लग रहा था, क्योंकि ऐसा लग रहा था जैसे राघव को कोई फर्क ही नहीं पड़ता। शिवानी ने भी गुस्से वाले चेहरे से राघव को देखा और खाना लिया।
राघव ने शिवानी को फिर से हेलो कहा, लेकिन इस बार उसने उसे इग्नोर कर दिया। स्नेहा भी , चिढ़ा हुआ चेहरा बनाकर खाना , राहुल के सामने मुंह बनाकर चली गई। दोनों की ऐसी हरकतें देखकर राघव मुस्कुराने लगा और अपना खाना लेकर दोस्तों के पास चला गया। शिवानी और स्नेहा दोनों गुस्से से राघव की तरफ देख रहे थे, स्नेहा ने कहा, देख ले, इसको कोई फर्क नहीं पड़ रहा, हमें डरा कर यहां हेलो बोल रहा है, ऊपर से हम पर हंस भी रहा है। जरूर सर को भी इसने ही भेजा होगा ऊपर, हमें डाट पड़े और ये मिलकर मजे लें। राघव को मुस्कुराता देख शिवानी का मूड बहुत ज्यादा खराब हो गया था। वह खाने की प्लेट बीच में ही छोड़कर स्टेज की तरफ चली गईं। राघव भी शिवानी को गुस्से में जाता हुआ देख रहा था।
शिवानी स्टेज के सामने लगी चेयर पर बैठ गई, तभी उसे फिर से किसी का मैसेज आया। इस बार भी उसी नंबर से शिवानी को मैसेज आया था। शिवानी ने मैसेज खोलकर नहीं देखा। तभी 5 मिनट बाद फिर से शिवानी को मैसेज आया। इस बार उसने मैसेज खोलकर देखा। तो उसमें कोई उससे माफी मांग रहा था।
मैसेज में लिखा था , सॉरी यार , लगता है मेरे मजाक से तुम बहुत ज्यादा नाराज हो गई हो, तभी मेरा मैसेज भी नहीं देख रही। शिवानी ने मुड़कर राघव की तरफ पीछे खाने की स्टाल की तरफ देखा। राघव के हाथ में फोन था, लेकिन वह शिवानी की तरफ नहीं देख रहा था। शिवानी ने रिप्लाई किया, तुम्हारा मजाक अच्छा नहीं था, मैं इसके लिए तुम्हें माफ नहीं करने वाली। सामने से फिर से रिप्लाई आया, अरे सॉरी, मुझे जान बूझकर ये मजाक करना पड़ा, क्योंकि तुम अपने दोस्त के साथ आई थी, मैने तुम्हें अकेले आने को कहा था। प्लीज इस बार अकेले आना, मैंने तुम्हारे लिए एक सरप्राईज प्लान किया है, आज हमारा लास्ट डे है यार, मैं तुम्हारे लिए कुछ खास करना चाहता हूं, भले हीं हमने पूरे साल बात नहीं की, लेकिन अभी तो मुझे कुछ खास करने दो, प्लीज इस बार तुम अकेले आना, और अपनी उस नक्चड़ी दोस्त स्नेहा को मत बताना।
मैसेज पढ़ कर स्नेहा मुस्कुराई और बोली, इस बार कोई मजाक नहीं चलेगा, मैं लास्ट बार तुम्हारी बात सुन रही हूं। शिवानी को इस बार किसी और जगह बुलाया जा रहा था। ये स्कूल का एक ऐसा हिस्सा था, जहां किसी भी बच्चे को जाने से मना किया गया था। शिवानी ने मैसेज पढ़कर कहा, अरे हम यहां कैसे जा सकते हैं, यहां जाने से तो किसी को भी जाने से मना किया गया है। शिवानी की बात पढ़कर सामने से मैसेज आया, अरे क्लासरूम में जान सेफ नहीं, एक बार सर आए थे, दोबारा भी आ सकते हैं, हम रिस्क नहीं ले सकते, इसलिए ये जगह बेस्ट है, यहां कोई आएगा भी नहीं और किसी को पता भी नहीं चलेगा।
शिवानी को भी बात सही लग रही थी क्योंकि एक बार सर ने उसे पकड़ लिया था। शिवानी ने पीछे मुड़कर राघव की तरफ देखा और मुस्कुराई, राघव ने भी शिवानी को देखकर स्माइल किया। इसके बाद शिवानी पहले बाथरूम की तरफ गई और इसके बाद वह स्कूल के उस हिस्से की तरफ छिप छिप कर जाने लगी, ताकि उसे कोई देखे ना।
लेकिन कोई ऐसा शख्स था, जिसकी नजर शिवानी पर थी। आखिर शिवानी के साथ उस दिन वहां ऐसा क्या होने वाला था, जिससे उसकी जिंदगी बदल जाने वाली थी। जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड...
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