हरियाणा के एक छोटे-से शहर में, कविता अपने माता-पिता और छोटे भाई मनु के साथ किराए के मकान में रहती थी। घर सड़क के किनारे था, जहां रात-दिन ट्रकों और बसों की आवाज गूंजती रहती थी। परिवार धीरे-धीरे उस शोर का आदी हो गया था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से एक और चीज ने उनकी नींद छीन रखी थी, घर में सभी को लगता था कि यह उनका वहम है, लेकिन कविता को इसमें कुछ गड़बड़ लगती थी। क्योंकि, यह एक रहस्यमयी महिला की आवाज थी। यह आवाज उन्हें हर रोज रात 2 बजे ही सुनाई देती थी। कविता को लगता था कि यह आवाज केवल उसे ही सुनाई दे रही है। वह घर की बालकनी खोलकर बाहर झांकना चाहती थी, लेकिन बालकनी का दरवाजा खोलने से परिवार वालों की नींद खुल जाती, इसलिए वह रोज आवाज को अनसुना करके सो जाती थी।
लेकिन सच बात यह थी कि यह आवाज केवल कविता को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को सुनाई देती थी। लेकिन हर कोई ये सोचकर आवाज को अनसुना कर देता था कि यह उनका वहम है। लेकिन जब लगातार ऐसी आवाज आने लगी, तो कविता समय का ध्यान रखने लगी। उसने देखा कि हर रात, लगभग 2 बजे ही कोई औरत उनके घर के नीचे की सड़क पर बैठकर रो रही है, कविता के मन में सवाल आ रहा था कि आखिर 2 बजे ही आवाज क्यों आती है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि कभी भी समय चेंज नहीं हुआ। एकदम सही टाइम पर जैसे ही 2 पर सुई पहुंची, महिला के रोने की आवाज आने लगती। कभी महिला के रोने की आवाज आती, तो कभी वो किसी को पुकारती।
अब हर रोज आवाज बदलने लगी थी। कभी वह महिला रात को 2 बजे कोई कविता गुनगुनाती, तो कभी जोर-जोर से हंसती। कविता घर की बड़ी बेटी होने के साथ-साथ घर के खर्चे भी उठाती थी। क्योंकि, उसके माता-पिता की उम्र ज्यादा थी। वह नौकरी नहीं कर सकते थे। इसलिए, कविता को इस आवाज की सच्चाई पता करने का मन हो रहा था। हर रोज कविता ये सोचकर आवाज को नजरअंदाज कर देती थी कि आवाज केवल उसे ही सुनाई दे रही है। एक दिन जब रात 2 बजे अनजान महिला की आवाज गाना गा रही थी, तो उस गाने को सुनकर कविता हैरान रह गई।
क्योंकि, ये गाना उसने आज सुबह ही अपने छोटे भाई को गाते हुए सुना था। जैसे ही कविता ने गाना सुना, उसने फौरन अपने भाई की तरफ देखा। वह अपने भाई को देखकर हैरान रह गई। छोटे भाई मनु आवाज सुनकर डर रहा था। उसने जैसे ही महिला के गाने की आवाज सुनी, डर के मारे सिर पर चादर ओढ़ लिया। कविता समझ गई कि ये आवाज केवल उसे ही सुनाई नहीं दे रही। उसका छोटा भाई भी इस आवाज को सुन सकता था।
कविता हैरान थी कि उसका छोटा भाई, रोज इस आवाज को सुनता था, लेकिन कभी उसने इस बात का जिक्र अपनी बहन से नहीं किया था। आज तक वह कभी अपनी बहन से कोई बात नहीं छिपाता था, तो वह इतनी बड़ी बात उससे छिपाकर क्यों बैठा था। कविता को अब लगने लगा था कि केवल भाई ही नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार को रात 2 बजे घर के नीचे से किसी महिला की आवाज सुनाई दे रही थी। लेकिन परिवार में किसी ने इस बारे में कभी बात नहीं की थी। सबको लगता था कि शायद यह सिर्फ वही सुनते हैं, और बाकी नहीं।
कविता ने सोचा कि वह इस बारे में अगले दिन सुबह परिवार से बार करेगी। लेकिन तभी आवाज और तेज बढ़ने लगी। गाने का आवाज तेज सुनते ही, कविता को अब डर लगने लगा था। मनू भी चादर के अंदर छिपकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगा था। मनु को डरता देख, कविता फौरन उसके पास लेट गई और उसके ऊपर अपना हाथ रख लिया। कविता के हाथ रखते ही मनु का डर थोड़ा कम हो गया था। लेकिन कविता अपने माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहती थी, इसलिए चुपचाप मनु का हाथ पकड़कर सो गई। धीरे-धीरे आवाज बंद हो गई और दोनों शांती से सो गए।
अगले दिन कविता ने अपने छोटे भाई से सवाल करने से पहले हिम्मत करके अपनी मां से पूछा—‘मां, आपको कभी लगता है कि कोई औरत रो रही है बाहर... रात में?’ मां ने एक पल को चुप रहकर उसकी ओर देखा, फिर धीमे से कहा —’हां.. लेकिन मैंने सोचा कि शायद ये मैं ही सुन रही हूं।’ अब तक दोनों को यकीन हो गया था कि यह कोई वहम नहीं है। मां से सवाल करने के बाद कविता ने यह बात अपने पापा से की। उन्होंने भी कहा, ‘हम सबका एक ही सपना तो नहीं हो सकता। कुछ है, जो यहां हो रहा है।’
कविता और उसके परिवार वालों को इस घर में शिफ्ट हुए लगभग 1 महीने हुए थे। यह घर उन्हें मात्र 4 हजार रुपये रेंट पर मिला था। सड़क पर घर होने के बाद भी घर का रेंट बहुत सस्ता था, इसलिए कविता को शुरू से ही यह बात खटक रही थी। लेकिन कविता भी क्या कर सकती थी, वह अकेले कमाने वाली लड़की थी, इसलिए उसने बिना सोचे समझे घर रेंट पर ले लिया था। लेकिन रात में होने वाली अजीबो गरीब घटना की वजह से कविता ने यह बात मकान मालकिन से पता करने की सोची।
कविता अपने पिता के साथ मकान मालकिन के घर पहुंची। पहले कविता ने मकान मालकिन को पूरी बात बताई, पहले तो मकान मालिक हंस पड़ा और उनकी बातों को मजाक में लेकर टाल रहा था। मकान मालकिन ने हंसते हुए कहा कि हॉरर फिल्में देखना आप लोग छोड़ दो। मैं जब भी आती हूं, मनू टीवी में हॉरर फिल्में लगाकर देखता है, जो देखोगे वही सब सपने में आएगा। मकान मालकिन की बचकानी बातों को सुनकर कविता के पिता को बहुत गुस्सा आ रहा था। उन्होनें मकान मालकिन की बात काटते हुए कहा, बातें घुमाने की जरूरत नहीं है, हमें ज्ञान मत दीजिए, आपने इतना महंगा रूम 4 हजार रुपये में चढ़ा दिया। इसका मतलब है कि इस घर में कुछ तो बात है।
कविता के पिता का गुस्सा देखकर मकान मालकिन थोड़ा झिझक गई और बोली, ‘इस घर में पहले भी एक परिवार रहता था.. उनकी एक बेटी थी, जो घर के सारे खर्चे उठाती थी, लेकिन नौकरी छूटने के बाद उसे काम नहीं मिल रहा था। काम नहीं मिलने की वजह से उसकी बेटी बहुत ज्यादा परेशान रहती थी। हम उनकी परेशानी समझते थे, इसलिए हम उन्हें रेंट के लिए भी कभी फोर्स नहीं करते थे। लेकिन एक दिन जब उसके माता-पिता मंदिर गए थे, तो बेटी ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली। लड़की के आत्महत्या करने के बाद उसके पिता की भी मौत हो गई थी, लेकिन उसकी मां अभी भी जिंदा है। लेकिन वह पास में ही वृद्धाआश्रम में रहती है। इस घर में कुछ नहीं है, हमने यहां पूजा करवाई है, लेकिन लोग खामखा इसके बारे में अफवाह उड़ाते रहते हैं। बहुत दिनों बाद यह कमरा चढ़ा है, इसलिए मैंने आपको यह सस्ते में दिया। आपके रहने के बाद लोगों को भरोसा हो जाएगा कि यहां कोई भूत नहीं है। दरअसल, लोग कहते हैं कि उसकी आत्मा अभी भी यहीं कहीं भटकती है। इन अफवाहों की वजह से हमारा कमरा रेंट पर नहीं उठ पाता है।
यह सुनते ही कविता का दिल बैठ गया। कविता समझ गई कि इस घर में सच में अभी भी कुछ है और यह उसके परिवार को नुकसान पहुंचा सकती है। उसने मकान मालकिन से कहा कि वह घर खाली करना चाहते हैं, वह अगली सुबह घर खाली कर देंगे। मकान मालिक के घर से निकलने के बाद, कविता अपने पिता के साथ आस-पास के इलाकों में घर खोजने निकल गई। पूरे दिन घर ढूंढने के बाद उसे एक 6 हजार रुपये में घर मिला, लेकिन यह वृद्धा आश्रम के पास था। कविता ने अपने पिता से कहा, पापा यहां पर ही उस मरी हुई लड़की की मां रहती है, क्या यहां पर हमारा रहना ठीक होगा। कविता के पिता ने कहा..बेटा घर में दिक्कत है, वृद्धा आश्रम के पास घर लेने से हमें कोई परेशानी नहीं होगी। हम कल यहां शिफ्ट हो जाएंगे।
रात के 10 बज गए थे और घर में मनु और उसकी मां अकेले थे। कविता भी अपने पिता के साथ घर पहुंच गई थी, और सामान पैक करने में जुट गई थी। वह सामान पैक कर रही थी, लेकिन उसे मन ही मन रात के 2 बजने की चिंता हो रही थी, क्योंकि आज फिर उसे रात में 2 बजे आवाज सुनाई देने वाली थी। उसने अपने छोटे भाई से कहा, मनु अगर रात में आवाज सुनाई दे, तो डरना मत। मेरा हाथ पकड़ लेना।
मनु ने भी सिर हिलाते हुए कहा, दीदी कौन है, जो रोज रात हमारे घर के बाहर आवाज करता है। मनु की बात सुनकर कविता ने कहा.. तुम उसकी चिंता मत करो। कल हम घर चेंज कर देंगे, तो ऐसी आवाज सुनाई नहीं देगी। इसलिए, तुम शांति से सो सकते हो। बस आज की बात है, तुम्हें इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। तुम अपना बैग और सामान लेकर आओ, एक जगह रख दो, वरना कल भूल जाओगे।
रात के 1 बज गए थे और घर में अभी समान ही पैक हो रहा था, मनु भी भागते हुए कमरे में गया और अलमारी में से अपना सामान लेकर आया और कविता को दे दिया। कविता, मनु का सामान एक बोरे में भर रही थी, ताकि एक साथ सारा सामान आसानी से शिफ्ट किया जा सके। अभी कविता बैग को बोरी में रख रही थी, तभी मनु के बैग से सारी किताबें नीचे गिर गई। मनु ने चेन बंद नहीं की थी, इसलिए ऐसा हुआ। मनु जल्दबाजी में अपनी किताबें उठाने लगा कि कई दीदी उसपर गुस्सा न करे। कविता भी मनु के साथ किताबें उठाने लगी थी, तभी उसे एक डायरी मिली। ये डायरी मनु की नहीं थी, कविता ने मनु से पूछा..ये डायरी किसकी है?
मनु ने कहा- दीदी ये मुझे किचन में नीचे वाली अलमारी के पीछे मिली थी। मैंने इसे अपने ड्राइंग कॉपी बना ली हैं, क्योंकि इसमें लाइन नहीं बनी हुई। कविता ने बड़ी हैरानी से डायरी खोली, जैसे ही उसने डायरी खोली, उसमें से एक फोटो जमीन पर गिर गई। फोटो गिरते ही, मनु ने कहा,,दीदी ये ना इस फोटो वाली दीदी का डायरी होगी। ये दीदी हमसे पहले इस घर में रहती होंगी। मनु की बात सुनते ही, कविता ने फौरन फोटो उठाई, फोटो में लगभग 22 से 25 साल की उम्र की एक लड़की थी। दिखने में लड़ती बहुत सुंदर थी। कविता को समझ आ गया कि यह डायरी उस लड़की की है। कविता ने डायरी पर नाम पढ़ा.. लड़की का नाम नेहा था..
ये डायरी नेहा की पर्सनल डायरी थी। डायरी में बहुत कुछ लिखा था.. कविता ने पूरी डायरी पढ़ ली, उसे समझ आ गया कि आखिर नेहा ने खुदकुशी क्यों थी। लेकिन अब रात के 2 बजने ही वाले थे.. 2 बजने में बस 5 मिनट बचे थे। कविता ने अपने पिता से कहा.. पापा मैं वृद्धा आश्रम जा रही हूं, प्लीज आप सबका ख्याल रखना, मेरा इस समय आश्रम जाना जरूरी है। कविता फौरन आश्रम की तरफ भागी, आश्रम घर से मात्र 10 मिनट की दूरी पर था। आश्रम पहुंचने पर कविता को अंदर जाने से मना किया जा रहा था, तभी कविता ने नेहा की मां का नाम लिया। नेहा की मां का नाम सुनते ही, गार्ड ने कविता को अंदर जाने दिया।
कविता फौरन नेहा की मां के पास पहुंची और उन्हें डायरी पकड़ा दी। कविता ने कहा, ये आपकी बेटी की डायरी है। ये डायरी उन्हें उस घर में मिली, जहां वो रहते थे। कविता ने नेहा कि मां से कहा.. कि नेहा की आत्मा आज भी वहां है। शायद वो आपसे कुछ कहना चाहती है, प्लीज आप मेरे साथ चलो। कविता की बात सुनकर नेहा की मां फूट-फूटकर नेहा का नाम लेकर रोने लग गई थी।
कविता ने उन्हें संभाला और घर के लिए निकल पड़ी। उधर रात के 2 बज गए थे और उसके परिवार वालों को घर में अजीबो गरीब आवाज फिर से सुनाई देने लगी थी। रोज रात को उन्हें केवल आवजें ही सुनाई दे रही थी, लेकिन आज घर की लाइटें भी हिलने लगी थी। कविता के परिवार वाले पूरी तरह से डर गए थे, वह घर से बाहर निकलना चाहते थे, लेकिन दरवाजा खुल नहीं रहा था।
तभी कविता नेहा की मां के साथ पहुंच गई। कविता दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन दरवाजा नहीं खुल रहा था। वह बहुत कोशिश कर रही थी, लेकिन दरवाजा नहीं खुल रहा था, यह सब देखकर नेहा की मां हैरान हो गई थी। उसे भी लगा कि यहां सच में उसकी बेटी है। उसने तेज आवाज में पुकारा, नेहा….
ओ मेरी गुड़िया, बेटा तूने खाना खाया, क्या कर रही है बेटा, मैं कब से आवाज दे रही हूं। आजा चल खाना खाएंगे। जैसे ही मां की आवाज सुनी, दरवाजा खुल गया। घर की लाइटें फ्यूज हो गई थी, नेहा की मां ने फिर बोला। बेटा, क्यों इन्हें परेशान कर रही है, तू तो मेरी प्यारी बेटी है न। आज से पहले तूने किसी को परेशान नहीं किया, फिर इस भले परिवार को क्यों परेशान कर रही है।
बेटा मुझे पता है, तू मुझसे नाराज है,, मैं बुरी मां हु न, तुझसे बहुत काम करवाती थी। तुझे पैसे भी कमाने पड़ते थे। बेटा मुझे माफ कर दे। सब मेरी गलती है, मैंने तेरी नौकरी जाने के बाद तुझे बहुत परेशान किया।
नेहा की मां फूट-फूटकर माफी मांगते हुए रो रही थी, तभी एक आवाज आई..
'मां, मैं कब से आपका इंतज़ार कर रही थी... मैं आपसे नाराज नहीं हूं।'
यह आवाज़ किसी हवा में तैरती फुसफुसाहट जैसी नहीं थी, बल्कि एक कोमल, स्नेह भरी पुकार थी — जैसे कोई बेटी जो वर्षों बाद अपनी मां से मिल रहा हो। नेहा की मां रोते-रोते वहीं ज़मीन पर बैठ गईं। आंसू थम नहीं रहे थे। उन्होंने चारों ओर देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। नेहा की मां उसे देखने के लिए परेशान हो रही थी, तभी फिर आवाज आई…'मां, मैं आपको माफ कर चुकी हूँ। आपको खुद को दोषी मानने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन मैंने बहुत अकेलापन महसूस किया... जब मुझे आपकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, आप मुझसे दूर हो गई थीं।'
तभी धीरे-धीरे नेहा की परछाई कमरे के कोने में दिखने लगी थी, कविता के परिवार वाले डर से एक कोने में बैठे हुए थे, — हल्की रोशनी हुई, मगर चेहरा साफ दिखाई दे रहा था, ये नेहा थी। उसी लाल कपड़े में, जो कविता ने फोटो में देखा था। वह अब पहले की तरह गुस्से में नहीं थी। उसकी आंखों में नमी थी, लेकिन अब वहां शांति भी थी। मैं बस ये चाहती थी कि एक बार आप आएं, मुझसे बात करें... मुझे अपना प्यार दो। अब जब आपने सब कह दिया, मैं मुक्त हो सकती हूं।"
नेहा की मां उसे छूना चाहती थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं था, लेकिन अब नेहा के जाने का समय हो गया था। नेहा ने मुस्कुराते हुए कविता की तरफ देखा और हवा में गायब हो गई।
कविता और उसके परिवार के चेहरों पर राहत की सांस थी। नेहा की मां ने कविता को गले से लगाया और कहा,-‘तुम मेरी बेटी जैसी हो। अगर तुम न होतीं, तो मैं कभी अपनी बेटी से मिल नहीं पाती।’ इस तरह उस रात नेहा की मां ने उस रात कविता के घर ही अपना समय बिताया और अगले दिन वापस वृद्धा आश्रम चली गई। वहीं कविता के परिवार वालों ने भी घर बदलने का फैसला बदल दिया था। अब वह उसी घर में रहने वाले थे।समाप्त..................................
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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