स्ट्रगल हर किसी की जिंदगी में होता है। लेकिन, मुश्किलों को पीछे छोड़कर कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाले ही दुनिया में अपना नाम बना पाते हैं। आज हम ऐसी ही एक महिला की कहानी आपके सामने लेकर आए हैं जिन्होंने तालिबान के डर को पीछे छोड़ा और डॉक्टर बनीं।
जी हां, हम यहां बात कर जाकिरा हेकमत के बारे में जिन्होंने सिर्फ तालिबान से छिपकर पढ़ाई नहीं की है, बल्कि स्कॉलरशिप लेकर डॉक्टर भी बनी हैं। जाकिरा हेकमत को उनकी इस दिलेरी के लिए इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज का अवॉर्ड भी मिल चुका है।
जाकिरा हेकमत का जन्म अफगानिस्तान के गजनी प्रांत में हुआ था। जाकिरा जब स्कूली शिक्षा ले रही थीं, तब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था। उस दौरान तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा पर बैन लगाया हुआ था। लेकिन, ऐसे माहौल में भी जाकिरा हेकमत ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। जाकिरा ने तालिबान से छिपकर अपनी पढ़ाई पूरी की और टर्की में स्कॉलरशिप हासिल की थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. हेकमत ने अपने क्षेत्र में महिला कर्मचारियों की कमी के कारण एक शिक्षिका के तौर पर भी काम किया है। जाकिरा हेकमत ने साल 2018 में अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी की थी। अपनी मेडिकल की पढ़ाई के दौरान जाकिरा ने एक रेफ्यूजी संस्था में वालंटियर किया था। इस दौरान उन्होंने मार्जनलाइस्ड रेफ्यूजी ग्रुप्स के अधिकारों और सेवाओं तक पहुंच की जरूरत को महसूस किया था।
इसे भी पढ़ें: 12वीं की छात्रा काम्या ने रचा इतिहास, सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई कर बनीं सबसे यंगेस्ट माउंटेनियर
साल 2014 में डॉ. हेकमत ने एक कमरे के ऑफिस से टर्की में अफगान रिफ्यूजी सॉलिडेरिटी एसोसिएशन ग्रुप की स्थापना की थी। इस ग्रुप से डॉ. जाकिरा हेकमत ने रेफ्यूजी और महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए खूब मेहनत की है। इतना ही नहीं, डॉ. हेकमत टर्की में शरणार्थियों यानी रिफ्यूजी का नेतृत्व करने वाले सामुदायिक संगठन चलाने वाली कुछ महिला लीडर्स में से एक हैं। जाकिर हेकमत ने टर्की सरकार और जनता से ... किया है कि वह कॉन्फ्लिक्ट से भागकर आने वाले रिफ्यूजी की मदद करें और उन्हें भूले नहीं।
यह विडियो भी देखें
बीबीसी की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. जाकिरा हेकमत की संस्था ARSA ने टर्की में 1 लाख से ज्यादा रेफ्यूजी यानी शरणार्थियों को नए हुनर सिखाने और नई जिंदगी देने में मदद की है। रेफ्यूजी और महिलाओं को शिक्षा देने के साथ-साथ डॉ. हेकमत की संस्था कानूनी सलाह देने में भी मदद करती है।
डॉ. जाकिरा हेकमत की संस्था ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी लोगों की खूब मदद की है। इसमें वह लोग भी शामिल थे जिन्होंने महामारी में अपना घर और नौकरी को खो दिया था। डॉ. हेकमत को साल 2020 में वाशिंगटन स्थित चैरिटेबल संगठन HasNa द्वारा उनके काम के लिए पीसबिल्डर ऑफ द ईयर के रूप में सम्मानित किया गया।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र की पहली ट्रांस वुमन फॉरेस्ट गार्ड बनीं विजया वसावे, समाज के तानों का दिया जवाब
डॉ. जाकिरा हेकमत ने रिफ्यूजी और महिलाओं को अधिकार और सुविधाएं दिलाने के लिए खूब संघर्ष किया। उनके इसी संघर्ष के लिए साल 2023 में
आज डॉ. जाकिरा हेकमत की वजह से कई अफगान, खासकर महिलाएं, लड़कियां और अल्पसंख्यकों को शरणार्थी संरक्षण और शरण मिली है। डॉ. हेकमत को उनके काम के लिए साल 2023 में इंटरनेशनल वुमेन ऑफ करेज का अवार्ड मिला है। यह अवार्ड साल 2011 में दुनियाभर से 11 महिलाओं को मिला था, जिन्होंने समाज का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए काम किया है और इस दौरान अपनी जान की परवाह भी नहीं की है।
हमारी स्टोरी से रिलेटेड अगर कोई सवाल है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।
अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी है, इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
Image Credit: Instagram (dr.zakira_hekmat)
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।