डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। यह कथन भारत की एथलीट पी टी उषा के लिए एकदम सटीक बैठता है। उनके दौड़ने के जुनून ने भारत को इतना आगे पहुंचाया, जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। वह ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। अपने एथलीट जीवन में उन्होंने कई तरह की उपलब्धियां हासिल कीं और देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया।
यह उनकी मेहनत और लग्न का ही परिणाम था कि लोग उन्हें इंडियन ट्रैक की क्वीन कहकर पुकारने लगे थे। अब वह इंडियन ट्रैक से भले ही रिटायर्ड हो चुकी हैं, लेकिन फील्ड में उनका योगदान यकीनन बेहद ही सराहनीय व प्रशंसनीय रहा है। तो चलिए आज इस लेख में हम पी टी उषा के जीवन के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे-
पी टी उषा का प्रारंभिक जीवन
पी.टी. उषा का जन्म 1964 को केरल के कोझीकोड जिले के पय्योली गांव में हुआ था। उन्होंने केरल सरकार द्वारा शुरू किए गए स्पोर्ट्स स्कूल फॉर विमेन से पास आउट किया है। प्रसिद्ध कोच ओ.एम नांबियार ने 1979 में नेशनल स्कूल गेम्स के दौरान उषा की प्रतिभा को देखा और उन्हें प्रशिक्षण दिया। उषा ने 1991 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के एक निरीक्षक वी. श्रीनिवासन से शादी की। इस कपल का एक बेटा है।
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पी टी उषा का एथलीट जीवन
पी टी उषा ने 1978 में कोल्लम में जूनियर्स के लिए अंतर-राज्यीय मीट में छह पदक जीते। केरल स्टेट कॉलेज मीट में, उन्होंने 14 पदक जीते। उन्होंने 1979 के राष्ट्रीय खेलों और 1980 के राष्ट्रीय अंतर-राज्यीय मीट में कई पदक जीते और कई मीट रिकॉर्ड बनाए। पी.टी. उषा ने 1980 के मास्को ओलंपिक में डेब्यू किया।
1982 में, दिल्ली एशियाई खेलों, पी.टी. उषा ने 100 मीटर और 200 मीटर में रजत पदक जीते। इसके बाद, उषा ने 1983 में कुवैत में एशियाई ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशिप में प्रवेश किया, जहां उन्होंने 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता और एक नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया। 1986 में सियोल एशियाई खेलों में, पी.टी. उषा ने ट्रैक और फील्ड कॉम्पीटिशन में 4 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीते।(जाने कौन हैं मंजम्मा जोगती)
इन सभी कॉम्पीटिशन में उन्होंने एशियाई खेलों के नए रिकॉर्ड बनाए। वह 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में पहुंची थी। उषा ने एक सेकंड के 1/100वें स्थान से कांस्य पदक गंवाया। 1986 में सियोल में आयोजित 10वें एशियाई खेलों में, उषा ने ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं में 4 स्वर्ण पदक और 1 रजत पदक जीता। उन्होंने 1985 में जकार्ता में 6वीं एशियाई ट्रैक और फील्ड चैंपियनशिप में भी पांच स्वर्ण पदक जीते।
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पी टी उषा की उपलब्धियां
- पी. टी. उषा ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
- वह इंडियन ट्रैक और फील्ड की क्वीन कहलाती है। लोग उन्हें पय्योली एक्सप्रेस के रूप में जानते हैं।
- उनकी उपलब्धियों के लिए, पी.टी. उषा को वर्ष 1985 में पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- वह इंडियन टैलेंट आर्गेनाइजेशन की समिति प्रमुख हैं जो पूरे भारत के स्कूलों में राष्ट्रीय स्तर की भारतीय प्रतिभा ओलंपियाड परीक्षा आयोजित करती है।
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