भारत की जलपरी कही जाने वाली आरती शाह हर तैराक के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं। 29 सितंबर,1959 को महज 18 साल की उम्र में आरती ने इतिहास रच दिया, जिसे लोग आज भी याद करते हैं। आरती ने 16 घंटे 20 मिनट में इंग्लिश चैनल पार करके तैराकी की दुनिया में नया रिकॉर्ड बना दिया। इसी के साथ आरती इंग्लिश चैनल को क्रॉस करने वाली पहली एशियाई महिला के रूप में जानी गईं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर आरती शाह कौन थीं और उनका तैयारी का सफर कैसा रहा।
क्या है इंग्लिश चैनल?
इंग्लिश चैनल अटलांटिक सागर का हिस्सा है। यह चैनल दक्षिणी इंग्लैंड और उत्तरी फ्रांस को एक दूसरे से अलग करता है, वहीं उत्तरी सागर को अटलांटिक से जोड़ता है। यह चैनल करीब 550 किलोमीटर का है, लेकिन तैराकों के लिए इस चैनल की दूरी 35 किलोमीटर है। लगभग हर तैराक के लिए इस चैनल को क्रॉस करना किसी सपने से कम नहीं है।
आरती ने चैनल क्रॉस करके बनाया रिकॉर्ड-
इंग्लिश चैनल को पार करना माउंट एवरेस्ट पार करने जितना मुश्किल होता है। इस मुश्किल रास्ते को आरती ने 16 घंटे 20 मिनट में पूरा किया। इसी के साथ उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
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आरती का बचपन
आरती का जन्म 24 दिसंबर 1940 में हुआ। जब आरती केवल 2 साल की थीं, तब उनकी मां का निधन हो गया। जिसके बाद आरती की दादी ने उन्हें पाला। आरती अपने पिता से काफी करीब थीं। जब उनके पिता उन्हें घुमाने के लिए कोलकाता के समुद्री घाट पर जाती, तो अपने पिता के साथ मिलकर स्विमिंग करती। बेटी की स्विमिंग स्किल्स देखकर पिता ने आरती को स्विमिंग स्कूल में डलवा दिया। तब ही से उनकी तैराकी की जर्नी शुरू हुई।
एशियन गेम्स में पहुंच आरती शाह
स्विमिंग स्कूल में उनकी मुलाकात स्विमिंग कोच सचिन नाग से हुई। सचिन एशियन गेम्स में देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाले पहले खिलाड़ी थे। आरती ने सचिन के तैराकी के गुण बडी़ ही बखूबी से सीख लिए, मात्र 5 साल की उम्र में वो लोक कंपटीशन में गोल्ड जीतने में सफल रहीं।
रिकॉर्ड किए अपने नाम
आरती शाह ने स्विमिंग के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड बनाए। साल 1951 में उन्होंने 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में नेशनल रिकॉर्ड दर्ज किया। इस दौरान उन्होंने स्टेट, नेशनल लेवल पर कई प्रतियोगिताएं भी जीतती रहीं। मात्र 11 साल की उम्र में ही आरती ने 22 से ज्यादा मेडल अपने हिस्से में कर लिए। साल 1952 में आरती ने हेलसिंग ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग लिया, ऐसा करने वाली वो देश की पहली महिला थीं।
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आरती ने रच दिया इतिहास
साल 1959 में आरती ने इंग्लिश चैनल पार करने का मन बनाया। लेकिन मिडिल क्लास फैमिली से आने के कारण उनके लिए ब्रिटेन तक पहुंचना बेहद मुश्किल था, ऐसे में मिहिर सेन की मदद से आरती ने चंदा जुटाकर इंग्लैंड जाने का फैसला किया।
पहले प्रयास में असफल रहीं आरती
इंग्लैंड पहुंचकर आरती ने चैनल क्रॉस करने का पहला प्रयास किया, जिसमें वो असफल रही। हार मानने की जगह आरती ने दोबारा प्रयास किया, जिसमें वो सफल हो गईं। 29 सितंबर को 16 घंटे 20 मिनट के भीतर आरती ने इंग्लिश चैनल पार कर लिया।
आरती को मिले अवॉर्ड
1960 में आरती को भारत सरकार ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। साल 1999 में उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया।
साल 1994 में आरती की तबीयत खराब हो गई। पीलिया के कारण लंबे समय तक उनका इलाज चला। आखिरकार 23 अगस्त 1994 के दिन आरती ने दुनिया से अलविदा कह दिया।
तो ये थी आरती की पूरी कहानी, आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जनाकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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