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‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’: रेड लाइट एरिया से जुड़ी महिलाओं की कहानी कहती

लाल बत्ती का नाम सुनते ही लोगों का पूरा ध्यान वहां चले जाता है। लेकिन हमेशा लाल बत्ती उसी से जुड़ी नहीं होती। अब रेड लाइट या लाल बत्ती की परिभाषा में एक और चीज जुड़ गई है। ये चीज है थियेटर प्ले- ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-01-23, 14:24 IST

11 साल की संध्या स्कूल जाती है, वहां उसे अब्यूज़ किया जाता है, उसका दस साल की उम्र में रेप होता है, उसके रंग के आधार पर उसके साथ भेदभाव किया जाता है क्योंकि वो थोड़ी डार्क है, गरीब है, मुंबई की रेडलाइट एऱिया से आती है और सेक्स वर्कर की बेटी है। इसलिए संध्या अपने क्लास में भी अकेले बैठती है। 

इस संध्या की कहानी कहते हुए 'Lal batti express' आपको कई बार झकझोर देगी। 

लाल बत्ती...

लाल बत्ती का नाम सुनते ही लोगों का पूरा ध्यान वहां चले जाता है। अरे वहीं- रेड लाइट एरिया में...

लेकिन हमेशा लाल बत्ती उसी से जुड़ी नहीं होती। अब जैसे कि सुप्रीम कोर्ट ने ही पिछले साल लाल बत्ती पर बैन लगाया था मतलब की लाल फीताशाही कि निशानी और गाड़ियों के ऊपर लगाई जाने वाली लाल बत्ती पर बैन लगया था जिसे बड़े अधिकारी नेता रसूख की निशानी मानते हैं। 

अब रेड लाइट या लाल बत्ती की परिभाषा में एक और चीज जुड़ गई है। ये चीज है थियेटर प्ले- ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’। 

क्या है ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’

lal batti express theater inside

'Lal batti express' थियेटर ड्रामा का नाम है जिसमें 14 लड़कियां नाटक करती हैं और अपनी कहानी बयां करती हैं। ये सारी लड़कियां 13 से 23 साल की उम्र की हैं और सभी या तो सेक्स वर्कर की बेटी हैं या गर्ल्स ट्रैफिकिंग से बचाई गई है। 

इस थियेटर के द्वारा लड़कियां अपनी आप बीती बताती हैं और उनसे लड़ने की कहानी बताती है। 

क्रांति ने की शुरुआत

इस थियेटर की शुरुआत क्रांति नाम के एनजीओ ने की। इस एनजीओ ने इन लड़कियों को वहां के रेड लाइट एरिया से निकाला और अब ये लड़कियां एक साथ एक हॉस्टल में रहती हैं। 

क्रांति एक ऐसी संस्था है जो हाशिये पर चली गई लड़कियों को पढ़ाने और सशक्त बनाने का काम करती है। 

lal batti express theater inside

डालते हैं नजर रानी की कहानी पर 

16 साल की रानी की मां भी सेक्स वर्कर थी। इसके पिता की मौत तब हो गई जब रानी 11 साल की थी। लेकिन उस दिन ये अपने पिता के मरने पर दुखी नहीं थी बल्कि अपनी मां के कारण दुखी थी जो उसी दिन शाम को एक आदमी को घर लाती है और रानी से बोलती है कि ये तुम्हारे नये पापा हैं। अगले दो साल तक रानी और उसी मम्मी को को उसके नये पापा खूब मारते थे। उसके बाद रानी क्रांति के पास चली गई। लेकिन उसकी मां अब भी उन हिंसा का सामना कर रही थी। रानी की यही कहानी कहती है- ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’।

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क्यों चुना थियेटर को ही

'Lal batti express' ने थियेटर के माध्यम से ही अपनी कहानी चुनने का रास्ता इसलिए चुना क्योंकि इससे आप अपने इमोशन्स अच्छी तरह से शेयर कर पाएंगे। म तलब की सेक्स वर्कर को कोई पढ़ना क्या उसके तरफ देखना भी नहीं चाहता। कम से कम इंडियन सोसायटी में तो ऐसा ही है। लेकिन थियेटर के द्वारा ये लड़कियां पूरी सोसायटी से कम्युनिकेट कर रही हैं। 

वैसे भी थियेटर ड्रामा के जरिये लोग दूसरे की लाइफ को जी भी पाते हैं और उन्हें महसूस भी कर पाते हैं। 

दिल्ली भी आ गई

थियेटर के लिए नया सा ल काफी अच्छा रहा और पहले ही महीने में ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’ दिल्ली पहुंच गई। बीते 21 जनवरी को इसे दिल्ली के N Convention सेंटर में अपनी परफॉर्मेंस दी। इस परफॉर्मेंस के दौरान कई लोगों के आंखों में आंसू आ गए। इससे पहले ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’ युनाइटेड स्टेट्स में भी स्टेज परफॉर्मेंस दे चुकी है जहां New York, Washington, Las Vegas, Chicago और San Francisco के दस लाख लोगों ने इन्हें काफी सराहा। 

तो आपको कैसी लगी ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’ की स्टोरी। अगली बार जब फिर से दिल्ली में हो तो आप जरूर देखने जाना। 

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