मिसाल : जानें कौन हैं विश्व प्रसिद्ध कला 'ब्लू पॉटरी' को पुनर्जीवित करने वाली लीला बोर्डिया

कोलकाता से जयपुर आईं लीला बोर्डिया ने जब कुछ शिल्पकारों को ब्लू पॉटरी को आकार देते देखा, तो उन्हें अपने जीवन का नया उद्देशय मिला।

entreprenuer leela bordia revived jaipur blue pottery
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14वीं शताब्दी में मध्य एशिया में उत्पन्न, मंगोल कारीगरों ने ब्लू पॉटरी की शुरुआत की। शिल्पकारों ने चीनी ग्लेजिंग तकनीक को इस कला में फारस के सजावटी कला रूप के साथ जोड़ा और ब्लू पॉटरी लोकप्रिय हो गई। आज ब्लू पॉटरी को जयपुर के पारंपरिक शिल्प के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।

ऐसा कहा जाता है कि 19वीं शताब्दी की शुरुआत में शासक सवाई राम सिंह द्वितीय (1835 - 1880) के तहत यह क्राफ्ट जयपुर आई थी। हालांकि धीरे-धीरे यह विश्व प्रसिद्ध कला लुप्त होने लगी। मगर वो कहते हैं न कि हीरे की परख एक जोहरी ही कर सकता है, इस तरह ऐसी आर्ट को परखा लीला बोर्डिया ने। इस कला को पुनर्जीवित करने में नीरजा इंटरनेशनल फाउंडर लीला बोर्डिया का सबसे बड़ा हाथ है। आइए उनके बारे में और इस कला के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानें।

ब्लू पॉटरी की दुनिया में लीला बोर्डिया

leela bordia woman who revived blue pottery

बात है 1976 की, जब लीला बोर्डिया कोलकाता से घूमने के लिए या कहें सोशल वर्क के लिए जयपुर आईं। जयपुर की कच्ची बस्ती से जब लीला बोर्डिया गुजरीं तो उन्होंने वहां रह रहे शिल्पकारों को बुरी स्थिति में देखा। कुछ 4-5 शिल्पकार एक बहुत ही सुंदर कला पर काम कर रहे थे। वे खूबसूरत पैटर्न, इंट्रिकेट डिजाइन्स को पॉटरी में आकार दे रहे थे। लीला उन लोगों को आजीविका का माध्यम देना चाहती थीं। वह इस विलुप्त और प्रसिद्ध कला के लिए और उन आर्टिस्ट्स और शिल्पकारों के भविष्य को आकार देना चाहती थीं।

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एक हजार शिल्पकारों की कर रही हैं मदद

1976 में लोकल आर्टिसन के हालात देखने के दो साल बाद, उन्होंने नीरजा इंटरनेशनल की स्थापना की, जो ब्लू पॉटरी के बर्तनों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक विशेष मंच के रूप में सामने आया है। लीला ने प्रत्येक गांव में कंपनी की आत्मनिर्भर उत्पादन इकाइयों के माध्यम से उनके साथ समन्वय किया। उनका एकमात्र जनादेश था कि वे ब्लू पॉटरी के बर्तनों में और नए इनोवेशन करें। इसलिए कलात्मक उत्कृष्ट मास्टरपीस के साथ, कलाकार रोजमर्रा के उत्पादों के साथ भी आए, जिससे उनकी कमाई में मदद मिली।

आज लीला का नीरजा इंटरनेशनल 1,000 कारीगरों द्वारा तैयार किए गए 500 से अधिक मिट्टी के बर्तनों के डिजाइन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से बेचती है। (मिलिए शानदार क्राफ्ट्स बनाने वाली यूट्यूब इन्फ्लूएंसर उत्तरा मुंग्रे से)

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शुरुआती दौर में कई चुनौतियों का किया सामना

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लीला बोर्डिया को सोशल वर्क करने की इंस्पिरेशन अपनी मां से मिली। उन्होंने अपनी मां को मदर टेरेसा के साथ काम करते देखा और तभी से असहाय लोगों की मदद करने की ठानी। जब उन्होंने ब्लू पॉटरी को दुनियाभर के सामने लाने और उन आर्टिस्ट की मदद करने के बारे में सोचा तो उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। हालांकि उनके लिए इसे स्थापित करना थोड़ा सा मुश्किल था। उन्हें पहले अपना घर छोड़कर छोटी-मोटी नौकरी के लिए चले जाने वाले शिल्पकारों को मनाना पड़ा। उन्हें विश्वास दिलाना पड़ा कि वह उनकी मदद करेंगी। जब नीरजा इंटरनेशनल की शुरुआत की तब ब्लू पॉटरी के सामान को लोगों तक पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। वहीं पैनडेमिक के दौरान यह थोड़ा और मुश्किल था, लेकिन उन्होंने ऑनलाइन के जरिए पॉटरी बेचकर उन शिल्पकारों की मदद की (जानें खेती करने वाली दादी कैसे बनी फेमस यूट्यूबर)।

लीला बोर्डिया महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल हैं, जिन्होंने न सिर्फ एक खोई हुई कला को दुनिया के समक्ष लाने का काम किया, बल्कि कई लोकल शिल्पकारों को जीविका एक जरिया भी दिया। हमें उम्मीद है आपको लीला बोर्डिया और जयपुर की इस कला के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। इसे लाइक और शेयर करें। ऐसी इंस्पिरेशनल विमेन के बारे में जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit : instagram@leelabordia

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