काम- चिन्ना दुआ एक जानी-मानी रेडियोलॉजिस्ट थीं
बदलाव- वह एक स्टाइल आइकन और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर थीं। विलुप्त हो चुकी वीव्स को उन्होंने लोगों के साथ शेयर किया और अपने काम से हजारों-लाखों के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित किया।
एक ऐसी उम्र जिसमें आकर महिलाएं अपने ऊपर ध्यान देना बंद कर देती हैं। एक ऐसी उम्र जिसमें आकर हर इंसान बस बैठ जाना चाहता है, उस उम्र में आकर डॉक्टर पद्मावती दुआ ने अपने पैशन को फॉलो किया। पद्मावती जिन्हें प्यार से उनके दोस्त और हम सब चिन्ना दुआ के नाम से बुलाते थे, उन्होंने पिछले साल जून के महीने में हम सबका साथ छोड़ दिया।
कहते हैं एक इंसान के जाने के बाद, उसकी यादें और उसका काम लोगों के लिए प्रेरणा बनता है। मगर चिन्ना जी का पूरा जीवन ही लोगों के लिए प्रेरणास्रोत रहा। आज भी उनकी बातें, उनके साड़ी पहनने के शौक और विलुप्त हुई कलाओं के बारे में जानकारी, उनकी पैशेनेट कुकिंग का कोई मेल नहीं। आज एक साल बाद भी लोग उनके इंस्टा हैंडल पर पोस्ट लिखकर उन्हें याद करते हैं,ऐसी थीं डॉक्टर चिन्ना दुआ!
उन्होंने लोगों को, खासतौर से महिलाओं को अपना पैशन फॉलो करने का जज्बा दिया। साड़ियों के प्रति प्रेम ने उन्हें हर उम्र की महिला के बीच लोकप्रिय बनाया। अपने पोस्ट से उन्होंने कई लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया और एक बेहतरीन उदाहरण सेट किया।
कौन थीं चिन्ना दुआ?
साल 1960 में तमिलनाडु में नटराजन पद्मावती का जन्म हुआ। जब वह 3-4 साल की थीं तो उनका परिवार दिल्ली आ गया। उनका परिवार अपने समय से काफी आगे था और उनके परिवार ने पढ़ाई को हमेशा प्राथमिकता दी। वह चूंकि घर में सबसे छोटी थीं, तो उन्हें 'चिन्ना' कहकर पुकारा जाता था। इसी के चलते उन्होंने अपना नाम बदलकर चिन्ना ही रख दिया था। वह शुरू से एक डॉक्टर बनना चाहती थीं और गायनोकोलॉजिस्ट के तौर पर करियर शुरू किया था। शादी के बाद चिन्ना ने बच्चों की देखभाल के लिए अपने करियर में ब्रेक लगाया, लेकिन जब बच्चे सेट हो गए तो फिर एक रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर काम शुरू किया।
चिन्ना दुआ ने 56 साल की उम्र में सोशल मीडिया में कदम रखा और मेडिकल, कुकिंग और साड़ियों से संबंधित कंटेंट को क्रिएट करना शुरू किया। उन्होंने एक मीडिया पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कहा था, 'इंस्टाग्राम पर सेल्फी लेना सीखना, लॉकडाउन में अपने वीडियो एडिट करना मैंने खुद सीखा- मुझे खुद पर बहुत गर्व महसूस होता है। यह मुझे हमेशा कुछ न कुछ करते रहने के लिए प्रेरित करता है और मैं समझती हूं कि अपने आप को खोजते रहना महत्वपूर्ण है।'
स्टाइल आइकन बनने का सफर
चिन्ना जी ने दिल्ली के द लेडी इरविन स्कूल से पढ़ाई की थी और उसी दौरान दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा में लड़कियों को साड़ियों में देख उनकी रुचि साड़ी के प्रति उत्पन्न हुई। स्टार अनफोल्डेड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास 400 से अधिक साड़ियां थीं, जिसमें फुल्कारी, मधुबनी, भागलपुरी, तांत, ढकाई, जामदानी, बेगमपुरी, कश्मीरी आदि कई वैरायटी की साड़ियां थी। अपनी हर साड़ी के साथ वह हैंड पेंटेंड बिंदी लगाती थीं और यही एक पॉपुलर ट्रेंड बना। कोविड के दौरान उनकी बेटी मल्लिका ने उनका इंस्टाग्राम हैंडल बनाया, जिसे वह बड़ी पैशनेटली फॉलो करती थीं।
पैशनेट कुक के साथ कई भाषाओं का था ज्ञान
चिन्ना जी को खाना बनाने का भी बहुत शौक था। वह अपने इंस्टा हैंडल के साथ-साथ यूट्यूब चैनल पर कुकिंग वीडियो शेयर करती हैं। संगीत में माहिर चिन्ना जी को कई भाषाओं का ज्ञान था। वह हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ, पंजाबी, बंगाली और तमिल भी बड़ी सहजता से बोलती थीं।
फुल ऑफ लाइफ थी चिन्ना दुआ
चिन्ना दुआ की अचीवमेंट्स थे वो हजारों लाखों लोग, जो उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करते थे। वह अपने पॉजिटिव एटिट्यूड के लिए जानी जाती थी और उनका यही नेचर लोगों को पसंद था। वे लोगों के प्रति हमेशा कम्पैशनेट रहीं और कोविड जैसे बेहद मुश्किल समय में उन्होंने अपने पोस्ट के जरिए लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट का जरिया बनीं। वह हर पल को भरपूर जीती थीं और सोशल मीडिया पर इसी विचार को एडवोकेट भी करती थीं। अपने हर काम को उन्होंने 100 परसेंट दिया और यही दूसरों को करने के लिए कहा। हजारों महिलाओं को उन्होंने अपना जीवन खुलकर जीने के लिए प्रेरित किया।
चिन्ना दुआ को हरजिंदगी का पूरा परिवार याद करता है। उनके जज्बे को हम सलाम करते हैं।
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