हमारे देश में आज भी कई ऐसी जगहें हैं जहां पीने लायक पानी नहीं है। इस परेशानी को हल करने के लिए डॉ. विभा त्रिपाठी ने स्वच्छ पेयजल की समस्या दूर करने का एक किफायती तरीका निकाला और अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। वाटर एटीएम से लेकर वाटर क्यूब (जससे लोगों को स्वच्छ पानी प्रदान किया जाता है) में डॉ. विभा त्रिपाठी ने सफलता हासिल की। उनकी इस जर्नी को जानने के लिए हरजिंदगी हिंदी ने बात की बून की फाउंडर डॉ. विभा त्रिपाठी से। तो चलिए जानते हैं डॉ. विभा त्रिपाठी ने कैसे स्टार्टअप को शुरू करने के बाद अपने काम को आगे बढ़ाया और इसे सफल बनाया।
1) वाटर एटीएम और वाटर क्यूब समाज की बेहतरी के लिए कैसे योगदान दे रहे हैं?
हमारी मशीनें पारंपरिक वाटर प्यूरीफायर की तुलना में कम बिजली का उपयोग करती हैं और जल से संबंधित कम वेस्ट उत्पन्न करती हैं। हम प्लास्टिक के बोतलों को भी खत्म करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं और अपने ग्राहकों को प्लास्टिक की बोतलबंद पानी के बजाय प्रीमियम कांच की बोतलों में पीने का पानी उपलब्ध कराने में सक्षम बना रहे हैं।
इस सिस्टम की मदद से हम शहरों के होटलों को साफ पानी भी प्रदान करते हैं। हमारे सिस्टम से प्लास्टिक की बोतल को यूज करने की आवश्यकता समाप्त हो करने की कोशिश की जा रही है।(ट्रैवल इंडस्ट्री को एक नई उड़ान देने वाली अंकिता सेठ की बेमिसाल जर्नी) साल 2022 में बून ने कार्बन उत्सर्जन में 548,459 किलोग्राम की कमी की है, जो एक वर्ष में औसतन 26,117 व्यस्क पेड़ के द्वारा एब्सोर्ब की जाती है। यह हमारे जीरो माइल वाटर कॉन्सेप्ट के कारण संभव हो पाया है, जिसका पहले से ही HoReCa उद्योग (हमारी कंपनी द्वारा पहले शुरू किया गया प्रोजेक्ट) में कई ग्राहकों द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
2) इस क्षेत्र में आपने कैसे स्टार्टअप शुरू किया?
हम पानी को सस्टेनेबल रूप से तकनीक के साथ जोड़ना चाहते थे और हमने जनता के लिए पीने के पानी को सस्ता बनाने के सरल इरादे से बून की शुरुआत की। हम मानते हैं कि पीने का पानी एक मौलिक मानवाधिकार है और पानी के बिना हमारा समुदाय जीवित नहीं रह पाएगा। हमने साल 2014 में स्वजल की शुरुआत की और फिर साल 2022 में बून के रूप में फिर से ब्रांडिंग की। (Hz Exclusive: सभी चुनौतियों को पार कर इस तरह बनाई गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रीति मस्के ने अपनी जगह)बून सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को स्वच्छ पेयजल प्रदान करता है। राजस्थान के दूर-दराज के गांवों में, महिलाओं को पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। सिर्फ यही नहीं, नल के पानी में कई सारे प्रदूषित कण होते हैं जो पीने के लिए उपयुक्त नहीं होता है। हमने राजस्थान के बाड़मेर में अपने वाटर एटीएम को स्थापित किया और सोलर पैनलों की मदद से अब वहां के लोगों को शुद्ध पानी पीने को मिल रहा है।
हम पीने के पानी की सही गुणवत्ता के लिए प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म IoT और AI का उपयोग करते हैं। हमारे वाटर प्यूरीफायर कम मेंटेनेंस में काम करने में भी सक्षम हैं और इसका रखरखाव करने में भी अधिक परेशानी नहीं आती है।
3)आपने किन प्रमुख चुनौतियों का सामना किया है?
कोविड के समय ज्यादातर बी-टू-बी को बाधित कर दिया गया था और हमें बी-टू-जी से जुड़कर अपने काम को आगे बढ़ाना पड़ा और सभी चुनौतियों को पार करके एक बड़ी सफलता हासिल की।
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4)आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं और आने वाले वर्षों में आप इस उद्योग को कहां देखती हैं?
फिलहाल हमारे पास सप्लाई से ज्यादा डिमांड है। हमारे बिजनेस की आर्थिक स्थिति भी बेहतर है जिससे हम देश के विकास पर बेहतर तरह से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। हम ऐसे समाधान लेकर आ रहे हैं जो देश के सभी परिवारों की पानी की जरूरतों को पूरा करेंगे। आज के समय में पीने का पानी दुर्लभ और महंगा होता जा रहा है। पेयजल को तकनीक से जोड़ने से हमारे देश की तरक्की की राह भी खुल रही है। भारत के कई राज्यों में हम पानी से जुड़ी परेशानियों को इस पहल से कम कर सकते हैं।
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5)आप युवा महिला उद्यमियों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
केवल एक चीज जो मैंने सीखी है, वह है अपने आप में ताकत तलाशना। कोई आपकी मदद नहीं कर सकता, कोई आपके लिए कुछ नहीं कर सकता, आपको खुद काम करना होगा। हर महिला को आगे आकर अपने बिजनेस को शुरू करना चाहिए और चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।
तो ये थी डॉ. विभा त्रिपाठी की इंस्पिरेशनल जर्नी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।