नौकरी करने वालों को कंपनियां साल में कई तरह की छुट्टियां देती हैं, जैसे कैजुअल लीव (CL), मेडिकल लीव (ML), अर्नड लीव (EL), मैटरनिटी लीव वगैरह। कुछ छुट्टियां तो हम ले लेते हैं, लेकिन कुछ बच जाती हैं।अगर आपकी छुट्टियां बच जाती हैं और आप उन्हें इस्तेमाल नहीं कर पाते, तो कंपनी उसके बदले आपको पैसे देती है। इसी को लीव इनकैशमेंट (Leave Encashment) कहते हैं। इसका मतलब है कि अगर आपकी छुट्टियां बच गई हैं, तो आप उन्हें पैसों में बदल सकते हैं। यह जानकारी आपको अपनी सैलरी स्लिप या कंपनी के नियमों में मिल जाती है।
आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि लीव इनकैशमेंट क्या होता है, यह कैसे काम करता है, आपको कितने पैसे मिल सकते हैं और क्या इस पर टैक्स लगता है या नहीं।
लीव इनकैशमेंट क्या होता है?
लीव इनकैशमेंट का सीधा मतलब है बची हुई छुट्टियों के बदले पैसे मिलना। आम तौर पर कंपनियां अपने कर्मचारियों को पेड लीव्स(Paid Leaves), अर्नड लीव्स(Earned Leaves) या प्रिविलेज लीव्स (Privilege Leaves) देती हैं। अगर कर्मचारी इन छुट्टियों का इस्तेमाल नहीं करते, तो कई बार कंपनी इन बची हुई छुट्टियों के बदले पैसे देती है। इसी को लीव इनकैशमेंट कहते हैं।
मान लीजिए आपके पास 20 दिनों की पेड लीव्स बची हुई हैं और आपने उन्हें नहीं लिया है। अगर कंपनी लीव इनकैशमेंट की सुविधा देती है, तो आपको उन 20 दिनों की सैलरी के बराबर पैसे मिल सकते हैं।
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लीव इनकैशमेंट कब मिल सकता है?
कर्मचारियों को उनकी बची हुई छुट्टियों के बदले पैसा कुछ खास मौकों पर मिल सकता है।
- रिटायरमेंट पर: जब कोई कर्मचारी अपनी नौकरी से रिटायर होता है।
- नौकरी छोड़ते समय: जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़कर जाता है।
- फाइनेंशियल ईयर के आखिर में: कुछ कंपनियां साल खत्म होने पर बची हुई छुट्टियों को पैसों में बदलने का मौका देती हैं।
- कुछ कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को साल के बीच में भी थोड़ी-बहुत छुट्टियों को कैश करने की सुविधा देती हैं। इसलिए ऑफर लेटर लेते समय आपको कंपनी की HR पॉलिसी को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
कौन-सी छुट्टियां लीव इनकैशमेंट के लिए मिलती हैं?
आपको बता दें कि हर तरह की छुट्टी के बदले पैसा नहीं मिलता है। आम तौर पर सिर्फ अर्नड लीव (Earned Leave) या प्रिविलेज लीव (Privilege Leave) के बदले ही पैसा मिलता है। कैजुअल लीव (Casual Leave) और सिक लीव (Sick Leave) के बदले आपको पैसा नहीं मिलता।
लीव इनकैशमेंट का हिसाब कैसे होता है?
लीव इनकैशमेंट का हिसाब आपकी बेसिक सैलरी और DA (महंगाई भत्ता) के आधार पर किया जाता है। इसमें दूसरे भत्ते शामिल नहीं किए जाते हैं।
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आसान फॉर्मूला:
लीव इनकैशमेंट = (बेसिक सैलरी + DA) ÷ 30 × बची हुई छुट्टियां
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी + DA कुल 30,000 रुपये हर महीने है और आपके पास 20 दिन की बची हुई छुट्टियाँ हैं, तो हर दिन की कमाई = 30,000 रुपये ÷ 30 दिन = 1,000 रुपये प्रति दिन।
और 20 दिन का लीव इनकैशमेंट = 1,000 रुपये × 20 दिन = 20,000 रुपये मिलेंगे।
नोट: कुछ कंपनियां 30 की जगह 26 वर्किंग डे मानकर भी हिसाब करती हैं। इसलिए, आपको अपनी कंपनी के HR से इस बारे में पूछ लेना चाहिए।
लीव इनकैशमेंट पर टैक्स लगता है या नहीं?
भारत में आयकर कानून की धारा 10(10AA) के अनुसार, लीव इनकैशमेंट पर टैक्स के नियम दो तरह के कर्मचारियों के लिए अलग हैं।
- सरकारी कर्मचारी: जब सरकारी कर्मचारी रिटायर होते हैं, तो उनकी लीव इनकैशमेंट की पूरी रकम टैक्स-फ्री होती है।
- प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए लीव इनकैशमेंट पर टैक्स छूट की एक सीमा होती है, जो 3 लाख रुपये तक होती है यानी, 3 लाख रुपये तक की रकम पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन उससे अधिक होने पर टैक्स देना होगा।
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