क्या है Career Catfishing...आजकल इस ट्रेंड से Gen Z तोड़ रहे हैं HR का दिल

आजकल जेन Z ने वर्कप्लेस में नया ट्रेंड शुरू किया है, जिसे करियर कैटफ़िशिंग कहा जा रहा है। इसमें, उम्मीदवार ऑफर लैटर ले लेता है और ज्वाइनिंग के पहले दिन नहीं आता है।  
what is career catfishing how gen z latest trend is breaking hearts of hr
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लगातार दुनिया बदल रही है और दुनिया बदलने के साथ-साथ चीजें भी तेजी से बदल रही हैं। आजकल Gen Z ने रिलेशनशिप के कई टर्म्स बना दिए हैं, वैसे ही उन्होंने प्राइवेट जॉब्स में भी कई तरह के टर्म्स ला दिए हैं, जैसे- माइक्रो रिटायरमेंट, करियर कैटफ़िशिंग, कॉफी बैजिंग और क्वाइट वेकेशनिंग वगरह-वगरह। हालांकि, जहां एक तरफ प्राइवेट सेक्टर्स में ले-ऑफ का प्रचलन शुरू हुआ है, वहीं जेन Z और मिलेनियल्स ने भी प्राइवेट नौकरियों में कई तरह के ट्रेंड शुरू कर दिए हैं। इन ट्रेंड्स में से आजकल करियर कैटफ़िशिंग काफी पॉपुलर हो चुका है।

आज हम आपको इस आर्टिकल में जेन Z के बीच पॉपुलर ट्रेंड करियर कैटफ़िशिंग क्या है, इसे क्यों अपनाया जा रहा है, इसके फायदे और नुकसान क्या है, इसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

हाल ही में, न्यूयॉर्क पोस्ट द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया कि हाल ही में CVGenius, एक रिज्यूमे-बिल्डिंग प्लेटफ़ॉर्म ने एक सर्वे किया था, जिसमें पाया कि जेन Z के 34 फीसदी कर्मचारी, जो 27 साल या उससे कम उम्र के थे, उन्होंने करियर कैटफ़िशिंग में शामिल होने की बात स्वीकार की। यह ट्रेंड शुरू होने के पीछे की वजह यंग प्रोफेशनल्स द्वारा बताई गई है, जिसमें कथित तौर पर लंबी हायरिंग प्रोसेस, हायरिंग मैनेजर्स की तरफ से देरी से मिलने वाली प्रतिक्रियाएं समेत थका देने वाली भर्ती प्रक्रियाएं शामिल थीं।

क्या है करियर कैटफ़िशिंग?

Career Catfishing Gen Z Employees

जेनरेशन Z के बीच एक बढ़ता ट्रेंड है करियर कैटफ़िशिंग, जिसमें कैंडिडेट जॉब का ऑफर लैटर लेने के बाद, ज्वाइनिंग के पहले दिन ही गायब हो जाता है। यह नया ट्रेंड वर्कप्लेस की बदलती पावर डायनमिक्स को दर्शाता है। आजकल, यंग प्रोफेशनल्स ऐसा तब करते हैं जब उन्हें ऑफिस का माहौल ठीक नहीं लगता है, जॉब प्रोफाइल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है या उन्हें सेलेक्शन प्रोसेस में ट्रांसपेरेंसी नहीं दिखाई देती है। इसे प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ Gen Z और मिलेनियल्स का एक तरह के शांतिपूर्ण विरोध के रूप में देखा जा सकता है। करियर कैटफ़िशिंग के बढ़ते ट्रेंड की वजह से कंपनियों को अपनी Recruitment Policy पर दोबारा विचार करने और वर्कप्लेस के माहौल को बेहतर बनाने की जरूरत महसूस हो रही है। हालांकि, इस नए ट्रेंड ने कॉरपोरेट कल्चर और वर्कप्लेस एथिक्स पर बहस छेड़ दी है।

आमतौर पर कैटफ़िशिंग टर्म रिलेशनशिप में सुनने को मिलता है, जिसमें ऑनलाइन किसी और के साथ होने का दिखावा किया जाता है, जिसे डेटिंग स्कैम कहा जाता है। वहीं, अब जॉब मार्केट में करियर कैटफ़िशिंग तब भी होती है, जब कैंडिडेट अपनी स्किल्स, एक्सपीरियंस, और झूठे सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी का ऑफर तो पा लेते है, लेकिन ज्वाइनिंग के समय डर की वजह से वह पहले दिन आने की जहमत तक नहीं उठा पाते हैं।

करियर कैटफ़िशिंग जेनरेशन Z के बीच क्यों ट्रेंड कर रहा है?

Gen Z और मिलेनियल्स को जॉब मार्केट में अनोखी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ते कॉम्पटीशन, बदलती जॉब रिक्वायरमेंट और बढ़ते ऑटोमेशन के साथ कई यंग प्रोफेशनल्स को क्रिएटिव तरीके से अलग दिखने की जरूरत महसूस हो रही है।

जॉब पाने में स्ट्रग्ल

आजकल प्राइवेट सेक्टर्स में जॉब मिलना काफी मुश्किल हो चुका है और एक्सपीरियंस कम होने की वजह से जेन Z को जॉब पाने में संघर्ष करना पड़ रहा है। आमतौर पर, कंपनियां पहले से अनुभवी उम्मीदवारों की तलाश करती हैं, इसलिए युवा उम्मीदवार सिर्फ नौकरी पाने के लिए बढ़-चढ़कर स्किल्स और नॉलेज पेश करने का प्रेशर महसूस करते हैं।

AI बेस्ड हायरिंग प्रोसेस

मॉर्डन हायरिंग सिस्टम कीवर्ड और क्वालिफिकेशन्स के आधार पर रिज्यूमे को फिल्टर करने के लिए AI पर कंपनियां काफी निर्भर हो चुकी हैं। यह ऑटोमेटेड फिल्टर को बायपास करने के लिए कई कैंडिडेट्स अपने रिज्यूमे में Industry-Specific Jargon को जोड़ देते हैं, जो उनके पास वास्तविकता में नहीं होते हैं।

रिमोट वर्क बूम

महामारी के बाद से कंपनियों में रिमोट वर्क आम बात हो गई है। ऐसे में युवा उम्मीदवारों के लिए अपनी रियल स्किल्स लेवल को छिपाना काफी आसान हो गया है। कई कंपनियां आजकल वर्चुअल इंटरव्यू ले रही है, जिससे एप्लीकेंट्स के लिए सवालों के ऑनलाइन जवाब ढूंढना या कैमरे के पीछे किसी से मदद लेना आसान हो जाता है।

बेमेल नौकरी की अपेक्षाएं

आजकल जेन Z उम्मीदवार जॉब डिटेल्स से खुद को गुमराह महसूस कर रहे हैं, क्योंकि इंटरव्यू के दौरान उन्हें जॉब प्रोफाइल बढ़ा-चढ़ाकर बताई जाती है। लेकिन, वास्तविकता वादे से मेल नहीं खाती है। इसके अलावा, कई बार उम्मीदवार के पास कई जॉब ऑफर्स होते हैं और उन्हें जहां ज्यादा सैलरी पैकेज अच्छा मिलता है, वह उसी कंपनी का ऑफर स्वीकार कर लेते हैं।

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क्या इस ट्रेंड में केवल जेनरेशन Z ही शामिल है?

Gen Z Employees Career Catfishing

जी नहीं, इस ट्रेंड को Gen X और मिलेनियल्स भी फॉलो कर रहे हैं। जेनरेशन X और मिलेनियल्स भी सिनियर पोस्ट को पाने के लिए, नई इंडस्ट्री में जाने के लिए अपने रिज्यूमे में गलत जानकारियां भर रहे हैं। यह दर्शाता है कि करियर कैटफ़िशिंग केवल जेनरेशनल ट्रेंड के बजाय वर्कप्लेस का एक व्यापक मुद्दा है।

प्राइवेट कंपनियां इस ट्रेंड से कैसे निपट सकती हैं?

ट्रांसपेरेंट जॉब डिस्क्रिप्शन

कंपनियों को जॉब प्रोफाइल्स को बेचने की जगह जिम्मेदारियों, अपेक्षाओं और कंपनी कल्चर के बारे में ईमानदारी से जानकारी देनी चाहिए। ऐसा करने से करियर कैटफ़िशिंग के मामले कम होने की उम्मीद की जा सकती है।

मजबूत जांच प्रक्रिया

कंपनियां योग्यता की जांच करने के लिए कौशल परीक्षण का इस्तेमाल करें। उम्मीदवार के सोशल मीडिया की जांच करें।

प्री-बोर्डिंग प्रोसेस बनाएं

ऑफर स्वीकार करने और ज्वाइनिंग डेट के बीच हमेशा कैंडिडेट के साथ कम्युनिकेशन खुला रखें। ज्वाइनिंग से पहले, आप नए कर्मचारी को उसकी टीम से मिलवाएं। इंगेजमेंट बनाए रखने के लिए रिमाइंडर और चेक-इन भेजें।

कॉम्पटेटिव बेनिफिट्स

कई बार उम्मीदवार ऑफर लैटर के बाद नौकरी ज्वाइन इसलिए नहीं करते, क्योंकि उन्हें दूसरी जगह बेहतर ऑफर मिल जाता है। ऐसे में, कंपनियों को मार्केट के हिसाब से सैलरी और अलाउंस देने चाहिए। करियर ग्रोथ के लिए ट्रेनिंग जैसे ऑप्शन खुले रखने चाहिए।

करियर कैटफ़िशिंग करने वाले उम्मीदवारों से रिव्यू लें

अगर किसी उम्मीदवार ने ऑफर लैटर ले लिया है और वह पहले दिन नहीं आया है, तो आप मेल करके उससे ज्वाइन नहीं करने का कारण पूछ सकते हैं। इसके अलावा, अगर नया कर्मचारी 1 से 3 महीने के बीच में नौकरी छोड़ देता है, तो उसके साथ एग्जिट इंटरव्यू लागू करें।

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Image Credit - freepik

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