बच्चे छोटे हों या बड़े स्मार्टफोन, इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करना सभी को आता है। इसमें बुराई भी कोई नहीं है। इस टेक्निकल युग में बच्चों को गैजेट्स की जानकारी न हो तो लोग उन्हें पिछड़ा हुआ मानते हैं। मगर गैजेट्स को ऑपरेट करना आना एक अलग बात होती है और इंटरनेट पर बेवजह नई नई चीजों को क्लिक करके उनके बारे में जानना अलग। मगर बच्चों में जिज्ञासा ज्यादा होती है और इसके चलते वे यह तय नहीं कर पाते कि किसी जगह पर क्लिक करने से उनका फायदा होगा और किसे नुकसान। कई बार इस वजह से वे साइबर बुलिंग, फ्रॉड और सर्फिंग स्कैम जैसी परेशानियों में पड़ जाते हैं। इसलिए पेरेंट्स को भी बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन आते ही चिंता होने लगती है। मगर कहते हैं न शीशा ही शीशे को काटता है। यह मुहावरा इस मामले में भी एक दम सटीक बैठता है। जी हां बच्चों को टेक्नोलॉजी से होने वाले खतरे से बचाने के लिए भी कई टेक्नोलॉजी हैं। पेरेंट्स को पीस ऑफ माइंड देने के लिए ऐसे कई सिक्योरिटी ऐप्स डेवलप किए गए हैं जो पेरेंट्स बच्चोंं की पल पल की खबर देते हैं। खासतौर पर पेरेंट्स वर्किंग हैं तो यह ऐप्स और भी ज्यादा फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ ऐप्स के बारे में।
ईकवच
इस ऐप को पिछले साल दिल्ली बेस्ड एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर नुपुर रघुनाथ ने तैयार किया था। नुपुर का 10 साल का बेटा है और वह यह जानना चाहती थी उसका बेटा इंटरनेट पर क्या करता है। नुपुर के बनाए इस ऐप को इस्तेामाल करना बेहद आसान है। पेरेंट्स इस ऐप को अपने और बच्चे की डिवाइस पर अपलोड कर के बच्चों की इंटरनेट पर एक्टिविटी को ट्रैक कर सकते हैं। इस ऐप के माध्यम से पेरेंट्स चाहें तो कुछ वेबसाइट्स को लॉक भी कर सकते हैं। इस ऐप की मदद से पेरेंट्स को बच्चो की रियल टाइम इंटरनेट एक्टिविटी के बारे में भी पता चलता रहता है।
एंजल चाइल्ड मॉनिटरिंग
बच्चे स्कूल में भी सेफ नहीं हैं। इस बात का एहसास अब हर मातापिता को हो चुका है। मगर ऐसे में बच्चे को स्कूल भेजना तो बंद किया नहीं जा सकता है। इस समस्या का हल खोजते हुए साउथ इंडिया के इंजीनियर कृषनेंदू दासगुप्तात ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की जिसे बच्चों के बैग में डाला जा सकता है और अपने मोबाइल से उनकी लोकेशन और सराउंडिंग्स को ट्रैक किया जा सकता है। इस डिवाइस में जीपीएस होता। इसे आईडी कार्ड की तरह भी बच्चा यूज कर सकता है। इस डिवास में सिम लगा होता है जिस पर कॉल करके पेरेंट्स बच्चे की रियल टाइम सराउंडिंग्स के बारे में जान सकते हैं। इसमें डिवास पर कॉल करने पर बैल नहीं बजती बल्कि कॉल अपने आप कनेक्ट हो जाती है और पेरेंट्स को अपने बच्चे के बारे में सब पता चल जाता है।किड्स प्लेस
आपके घर पर अगर कोई महमान आ जाए तो जाहिर है आप बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाएंगी और हो सकता है बच्चा मौके का फायदा उठा कर आपके फोन पर कबजा कर ले। मगर इस ऐप की हेल्प से आप अपने फोन पर उन सारी चीजों को लॉक कर सकती हैं, जिन्हेंं आप बच्चे को दिखाना नहीं चाहतीं।
इट्स माई चाइल्ड
इस ऐप को यूज करने पर आप अपने बच्चे की फिजिकल सेफटी और अकेडमिक अचीवमेंट दोनो का ख्याल रख सकती हैं। इस ऐप के द्वारा आप यह जान सकती हैं कि आपका बच्चा कहां हैं। अपने बच्चे के लिए डॉक्टर खोजने से लेकर ट्यूटर खोजने तक सारा काम आप इस एप की मदद से कर सकती हैं।
मामाबियर
यह ऑल इन वन ऐप है। इस ऐप के माध्यम से पेरेंट्स को बच्चे की करेंट लोकेशन से लेकर यह तक पता चल जाता है कि बच्चा अभी कर क्या रहा है। इसके साथ ही इस ऐप में बीच बीच में नोटीफिकेशन भी आते हैं, जो पेरेंट्स को एलर्ट करते हैं कि उन्हें बच्चों की सिक्योरिटी के लिए क्या करना चाहिए।
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