इस बात का जिक्र करना जरूरी नहीं कि कोलकाता में दुर्गा पूजा कितने धूम-धाम से मनाई जाती है। इस दौरान कोलकता के नजारे ही बदल जाते हैं। जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल सजे होते हैं तो दूसरी तरफ मेले लगे होते हैं। भक्ति, नाच-गाने और खाने-पीने के साथ ही कोलकाता में 10 दिन धूम-धाम से दुर्गा पूजा मनाई जाती है। अगर आप कोलकता की अनोखी दुर्गा पूजा का हिस्सा बनने जा रही हैं तो वहां जाने से पहले मिडिया प्रोफेशनल वर्षा पाठक की यह ट्रैवल डायरी जरूर पढ़ लें।
जी उठती हैं कोलकाता की गलियां
वर्षा का बचपन कोलकाता में ही बीता है। फिलहाल वह दिल्ली में रहती हैं, मगर दुर्गा पूजा के दौरा कोलकाता जाने का क्रेज उन्हें आज भी वहां खींच ले जाता है। इस साल भी वह कोलकाता जाने की तैयारी में हैं। फिलहाल, वह बताती हैं ‘दुर्गा पूजा का उत्साह कोलकाता के लोगों में तभी से शुरू हो जाता है जब महीने भर पहले भूमि पूजन होता है। इसके बाद शुरू होता कोलकता की गली-गली में दुर्गा मां के पंडालों को सजाने की तैयारी। दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में भले ही गिने चुने दुर्गा पंडाल होते होंगे मगर कोलकाता में मां दुर्गा के हजारों पंडाल सजते हैं। इस दौरान कोलकाता बहुत कलरफुल हो जाता है। अगर आप कोलकाता घूमने आना चाहती हैं तो यह वक्त सबसे अच्छा है।’
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कब कराएं रिजर्वेशन
दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता आना है तो आपको 4 महीने पहले से रिजर्वेशन करा लेना चाहिए। क्योंकि इस दौरान कोलकाता आने वाली फ्लाइट्स बहुत महंगी हो जाती हैं और ट्रेन में भी आसानी से रिजर्वेशन नहीं मिलता। वर्षा बातती हैं, ‘यह समय कोलकाता में छुट्टियों का समय होता है। ज्यादतर लोग इस दौरान छुट्टियां मनाते हैं। इसलिए लोगों का आना जाना भी लगा रहता है। अगर आप कोलकाता आना चाहती हैं तो आपको 4 महीने पहले ही रिजर्वेशन करा लेना चाहिए।’
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कोलकाता में कौन से दुर्गा पंडाल हैं फेमस
कोलकाता में बागबाजार पंडाल सबसे पुराना है। यहां 100 सालों से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। यहां दुर्गा माता की बेहद पारंपरिक अंदाज में पूजा की जाती है। अगर आप कोलकाता आ रही हैं तो इस पंडाल में एक बार जरूर आएं। इसके अलावा कॉलेज स्क्वायर में भी मां दुर्गा का पंडाल सजता है। यहां पंडाल में मां दुर्गा की भव्य मूर्ति लगाई जाती हैं और इसकी सेटिंग भी अलग अंदाज में होती है। यहां प्रतिमा देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां की सबसे अच्छी बात यह है कि पंडाल के आगे झील है और इस झील में मां की प्रतिमा की छवि भी दिखाई देती हैं। इसके अलावा यहां का सुरुचि संघ भी मां दुर्गा का बहुत खूबसूरत पंडाल सजाता है। यहां भारत के सभी राज्यों के विभिन्न्पहलुओं को दिखाया जाता है।
पंचमी से शुरू होता है उत्सव
कोलकाता में मां दुर्गा के पंडाल तो नवरात्री के पहले दिन से ही सज साजते हैं मगर असल उत्सव पंचमी से शुरू होता है। पंचमी के दिन तक सभी पंडालों में मां दुर्गा के फेस को सफेद कपड़े से कवर करके रखा जाता है। मगर, पंचमी के दिन हर पंडाल में मां का चेहरा खोल दिया जाता है। अगर आप केवल 3-4 दिन के लिए कोलकाता जा रही हैं तो आपको पंचमी के बाद ही जाना चाहिए।
जरूर देखें सिंदूर खेला
नवरात्री के आखिरी दिन मां दुर्गा की पूजा के बाद शादीशुदा महिलाएं एक दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेलती हैं। इस प्रक्रिया को सिंदूर खेला कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा अपने मायके से विदा होकर अपने ससुराल लौटती हैं। इस दौरान मां की मांग में सिंदूर भर कर महिलाएं उल्लू की ध्वनी निकालती हैं और मां को विदा करती हैं। सिंदूर खेला का उत्सव नवरात्री के 10वें दिन खेला जाता है।
तो अगर आपने अब तक कोलकाता नहीं देखा तो आप भी नवरात्री के दौरान यहां की एक ट्रिप प्लान कर सकती है। ध्यान रखें अपना रिजर्वेशन और होटल की बुकिंग पहले से करा लें। क्योंकि इस दौरान कोलकाता पहुंचना और होटलों में रूम खाली मिलना दोनों ही मुश्किल काम हैं।
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