हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो रामायण, महाभारत आदि कई धार्मिक ग्रंथों से जुडा हुआ है। यह राज्य कई पौराणिक कथा और मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है हिडिम्बा देवी का मंदिर। हिमाचल प्रदेश के मनाली में मौजूद यह मंदिर भारतीय महाकाव्य के महाभारत के भीम की पत्नी हिडिम्बा देवी को समर्पित है। यह सिर्फ मनाली का ही नहीं बल्कि समूचे हिमाचल प्रदेश का एक लोकप्रिय मंदिर है। जो भी सैलानी मनाली घूमने के लिए जाता है वो इस मंदिर के दर्शन के लिए ज़रूर पहुंचता है। इस लेख में हम आपपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
हिडिम्बा मंदिर का इतिहास?
यह प्राचीन मंदिर हिमालय पर्वतों के पास डुंगरी शहर के पास देवदार पेड़ों से घिरा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार भीम और पांडव मनाली से जब जा रहे हैं थे तब उन्होंने हिडिम्बा को राज्य की देखभाल करने का जिम्मा दिया था। एक अन्य कथा है कि जब उनका बेटा घटोत्कच बड़ा हुआ तो उसे राज्य का भार देकर वो जंगल में ध्यान करने चली गई। कई वर्षों बाद उनकी प्रार्थना सफल हुई और देवी को गौरव प्राप्त हुआ। इस स्थान पर महाराजा बहादुर सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था।
हिडिम्बा देवी की पौराणिक कहानी?
हिडिम्बा पांडवों के दूसरे भाई यानी भीम की पत्नी थीं। कहा जाता है कि हिडिम्बा एक राक्षसी थी जो अपने भाई हिडिम्ब के साथ इस क्षेत्र में रहती थी। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने कसम खाई थीं कि जो भी व्यक्ति मेरे भाई हिडिम्ब को युद्ध में हरा देगा उससे वो शादी कर लेंगी। कुछ समय बाद पांडव निर्वासन के समय यहां पहुचें और हिडिम्ब से लड़ाई हुई और लड़ाई में हिडिम्ब हार गया। युद्ध में बाद हिडिम्बा और भीम की शादी हो गई।(मनाली में इन मंदिरों का करें दर्शन)
हिडिम्बा मंदिर के बारे में रोचक बातें
- हिडिम्बा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पैगोडा शैली में किया गया है। पैगोडा शैली में निर्मित होने की वजह से यह सैलानियों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
- आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण पत्थर से नहीं बल्कि लकड़ी से किया गया है। इस मंदिर में चार छत है। नीचे तीन छत देवदार की लकड़ी से किया गया है और सबसे ऊपर धातु से निर्माण किया गया है।
- इस मंदिर का दरवाजा भी लकड़ी का है। दरवाजे पर जानवर और फूल-पत्ती की तस्वीर है, जिसे हिडिम्बा का ही रूप माना जाता है।
महोत्सव का होता है आयोजन
जी हां, यहां हर साल विशाल महोत्सव का भी आयोजन होता है। श्रावण के महीने यह इस मंदिर के पास उत्सव का आयोजन होता है। कहा जाता है कि यह उत्सव राजा बहादुर सिंह की याद में मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह मेला धान की रोपाई पूरा होने के बाद किया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर इस मंदिर का निर्माण लगभग 500 प्राचीन से भी अधिक है।(भारत के प्राचीन मंदिरों के बारे में)
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