Grishneshwar Jyotirlinga Temple Story: हिंदू मान्यता के अनुसार इस बार सावन का महीना बेहद खास है, क्योंकि इस साल सावन महीना का आरंभ सोमवार के दिन से होने जा रहा है।
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक कथा और हिन्दू मान्यता के अनुसार जो भी सावन के महीने में सच्चे मन से ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
वैसे तो भारत में 12 ज्योतिर्लिंग है और हर ज्योतिर्लिंग का अपना ही महत्व है। अन्य ज्योतिर्लिंग की तरह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भी शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास और पवित्र है।
इस आर्टिकल में हम आपको घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने बताने जा रहे हैं, जहां आप भी सावन के महीने में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं और अपनी मुराद मांग सकते हैं।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा है? (Where Is Grishneshwar Jyotirlinga)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास और पौराणिक कथा जानने से पहले आपको यह बता देते हैं कि यह मंदिर देश के किस राज्य में मौजूद है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में मौजूद है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद से करीब 12 किलोमीटर दूर है। यह पवित्र मंदिर अजंता और एलोरा की गुफाओं से करीब 2 किमी की दूरी पर मौजूद है।
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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास है? (Grishneshwar Jyotirlinga Temple History)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास काफी रोचक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इसके बारे में बहुत कम ही जानकारी उपलब्ध है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग से एक है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 18 वीं शताब्दी में देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। हालांकि, इसका भी साक्ष्य बहुत कम ही उपलब्ध है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा (Grishneshwar Jyotirlinga Temple Myth)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा काफी दिलचस्प है। कहा जाता है कि देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा नाम का एक ब्राह्मण और उनकी पत्नी सुदेहा रहते थे, लेकिन उंकी कोई संतान नहीं थी।
संतान न होने की वजह से सुदेहा ने अपनी छोटी बहन घुष्मा से ब्राह्मण का विवाह करवा दिया। घुष्मा भगवान शिव की परम भक्त थी और वो रोज 100 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती और उन्हें तालाब में विसर्जित कर देती थी।(भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में)
शिव भक्ति की कृपा से घुष्मा को एक पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन सुधर्मा को यह देखा न गया और उसने बच्चे की हत्या करके उसी तालाब में फेंक दिया है। बच्चे की मौत के बाद भी घुष्मा लीन रही और एक दिन उसी तालाब में उसका बच्चा जिंदा मिल गया।
कहा जाता है कि घुष्मा की भक्ति को देखकर भगवान बहुत ही खुश हुए थे और उसी स्थान पर प्रकट भी हुए थे, जहां आज की तारीख में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन से भक्तों की हर मुराद होती है पूरी
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में यह मान्यता है कि यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन के लिए पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। सावन के महीने में यहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। खासकर, सावन के सोमवार के दिन देश के हर कोने से भक्त जल अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं।
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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचें (How To Reach Grishneshwar Jyotirlinga)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप देश के किसी भी कोने से पहुंच सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए सबसे पास में औरंगाबाद रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या कैब लेकर आसानी से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच सकते हैं।(काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों हैं खास?)
अगर आप हवाई यात्रा के माध्यम से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचना चाहते हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि औरंगाबाद एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं। औरंगाबाद हवाई अड्डे से लोकल टैक्सी या कैब लेकर दौलताबाद में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच सकते हैं।
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