हाल ही में पुलवामा में भारतीय सेना पर हमले के बाद भारत के पाकिस्तान के साथ रिश्तों में काफी तल्खी देखने को मिली और हालात युद्ध जैसे बन गए थे। इन स्थितियों के बीच देश के वीर सैनिकों के योगदान को याद रखने के लिए देश की राजधानी दिल्ली में हाल ही में एक वॉर मेमोरियल खोला गया है।
हालांकि वॉर मेमोरियल बनाए जाने की चर्चा साल 1960 से ही शुरू हो गई थी। लेकिन इस पर अमल होने में काफी वक्त लग गया और आखिरकार साल 2006 में डिफेंस मिनिस्ट्री ने सेना में रहे तजुर्बेकार लोगों और आर्म्ड फोर्सेस की मांग को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया कि देश में वॉर मेमोरियल बनना चाहिए। यूपीए सरकार के शासनकाल में इस पर काम नहीं हो पाया, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे अपने एजेंडे में रखा और इसे बनाने का प्रपोजल साल 2015 में पास हो गया। और इसी साल 25 फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मेमोरियल का उद्घाटन किया।
इस मेमोरियल के डिजाइन के लिए ग्लोबल डिजाइन कंपटीशन रखा गया था और इसके बाद चेन्नई की WeBe Design Lab को 427 सब्मिशन्स के बाद सेलेक्ट किया गया। इस अवॉर्ड विनिंग फर्म ने नेशनल वॉर मेमोरियल का आर्कीटेक्चर डिजाइन किया है। इसके चीफ आर्कीटेक्ट योगेश चंद्रहासन हैं। इस वॉर मेमोरियल को बनाने का मकसद था उन वीर सैनिकों की शौर्य गाथाओं को याद रखना, जिन्होंने देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। अब देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदों को अमर जवान ज्योति की जगह यहां पर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए जाएंगे।
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नेशनल वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में फैला है और यह दिल्ली के राजपथ के इंडिया गेट कॉम्प्लेक्स में स्थित है। इस मेमोरियल तक पहुंचने के लिए आप सेंट्रल सेक्रिटेरिएट मेट्रो स्टेशन पर उतर सकती हैं या फिर बाराखंबा मेट्रो स्टेशन से ऑटो ले सकती हैं।
इस वॉर मेमोरियल में 7 स्ट्रक्चर बने हुए हैं। बाहरी सर्कल में, जिसका नाम रक्षक चक्र है, में 600 पेड़ लगाए गए हैं। यह चक्र उन जवानों की ओर संकेत करता है, जो देश की सुरक्षा में हर समय मुस्तैद रहते हैं। इसके भीतर दो सर्कल हैं त्याग चक्र, जो चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ युद्ध और श्रीलंका में आईपीकेएफ ऑपरेशन में शहीद होने वाले जवानों की याद में बनाया गया है। इसमें 16 दीवारें हैं, जिसमें 25, 942 ग्रेनाइट टैबलेट्स हैं, जिन पर शहीद जवानों के नाम अंकित हैं। इन्हें चक्रव्यूह की तरह अरेंज किया गया है। मेमोरियल का वीर चक्र एक कवर की हुई गैलरी है, इसमें गंगासागर, लॉन्गेवाला, तीथवाल, रेजांग ला, ऑपरेशन मेघदूत और ट्राइडेंट में हुए संघर्षों के ब्रोंज म्यूरल (दीवार पर बने चित्र) देखे जा सकते हैं। साथ ही यहां एक परम योद्धा स्थल नाम से लैंड स्केप्ड गार्डन भी है, जो मेमोरियल के नॉर्थ वेस्ट में स्थित है। इस पर 21 परमवीर चक्र पाने वाले शहीदों का नाम अंकित है। इस मेमोरियल में अमर जवान ज्योति की तरह कभी ना बुझने वाली ज्योति हमेशा के लिए जलती रहेगी।
इस वॉर मेमोरियल को बनने में लगभग 175 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस मेमोरियल में एंट्री के लिए किसी तरह की फीस नहीं रखी गई है, लेकिन यहां के मेन एरिया और परम योद्धा स्थल में घूमने के लिए टाइमिंग फिक्स है।
इंडिया गेट देश में उस समय निर्मित हुआ था, तब देश आजाद नहीं हुआ था। इंडिया गेट ब्रिटिश इंडियन सोल्जर्स, जिन्होंने पहले विश्वयुद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान वॉर में संघर्ष करते हुए अपनी जान गंवाई थी, की याद में बनाया गया था, वहीं नेशनल वॉर मेमोरियल आजादी के बाद बनाई गई इमारत है, जो पूरी तरह से भारत में निर्मित है।
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