हिमालय की गोद में बसा मुक्तेश्वर आपको ऐसा अनुभव दे सकता है जो शायद कहीं नहीं मिलेगा। यहां शहरों का प्रदूषण नहीं है, न ही यहां बहुत ज्यादा भीड़ है, न ही बहुत शोर। ये आरामदायक जगह अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि कई अन्य कारणों से भी प्रसिद्ध है। तो चलिए आज जानते हैं खूबियां उत्तराखंड में बसे इस शहर की।
नैनीताल से ये जगह लगभग 50 किलोमीटर दूर है और दिल्ली से इसकी दूरी 350 किलोमीटर है। यानी अगर आप दिल्ली में रहती हैं तो आप यहां वीकएंड ट्रैवल के लिए जा सकती हैं।
350 साल पुराना शिवमंदिर और मुक्तेश्वर महादेव की कथा-
नैनीताल जिले में बसा ये शहर अपने शिव मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव ने एक राक्षस का वध किया था। इस राक्षस को यहीं पर मुक्ति मिली थी इसलिए इस जगह का नाम मुक्तेश्वर पड़ गया।
सिर्फ यही नहीं इस खूबसूरत शहर को देखकर मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट (जिनके नाम पर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बना है।) वो भी मोहित हो गए थे।
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किस मौसम में यहां जाएं?
ये शहर साल भर बहुत ही खूबसूरत रहता है। गर्मियों में ये वादियां हरियाली से घिरी रहती हैं और सर्दियों में (जनवरी से मार्च तक) ये वादियां बर्फ से ढंकी हुई होती हैं। पर गर्मियों में भी कई बार काफी सर्दी हो जाती है। इसलिए अगर गर्मियों का प्लान बना रही हैं तो भी अपने साथ स्वेटर पैक करके ले जाएं।
एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी खास-
ये जगह एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी अच्छी है। अगर आप एडवेंचर ट्रैवल करना चाहती हैं तो यहां जा सकती हैं। यहां रॉक क्लाइंबिंग और रैपलिंग जैसे कई स्पोर्ट्स होते हैं। पैराग्लाइडिंग के लिए भी यहां जा सकती हैं।
ट्रेकिंग के लिए भी यहां काफी कुछ मौजूद है और बाकायदा कई ग्रुप्स मुक्तेश्वर ट्रेक करवाते हैं। कैंपिंग करना चाहें तो वो भी कर सकती हैं। यानी ये एक परफेक्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सकता है जहां आपको एडवेंचर और शांति दोनों का अनुभव होगा।
कपिलेश्वर मंदिर ट्रेक-
अगर आपको मंदिरों का शौख है तो मुक्तेश्वर से चीड़ और ओक के जंगलों के बीच से गुजरता हुआ एक ट्रेक है जहां जंगली फलों और फूलों की भरमार रहती है। इस ट्रेक की लंबाई 9 किलोमीटर है और साथ ही साथ अगर आप मार्च-अप्रैल में जाते हैं तो ये जंगल लाल रंग के फूलों से लदा हुआ होता है। इस ट्रेक को करके आप कपिलेश्वर मंदिर तक पहुंचेंगे।
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अगर ट्रेकिंग पर नहीं जाना चाहते हैं तो आप मुक्तेश्वर से 45 मिनट की ड्राइव कर जा सकते हैं। उसके बाद सिर्फ 1 किलोमीटर का ही रास्ता पैदल चलना होगा। माना जाता है कि ये मंदिर 8वीं से 10वीं सदी के बीच बना है। इसके पास ही दो नदियां भी बहती हैं और साथ ही साथ यहां कई ग्रुप्स की कैम्पिंग भी करवाई जाती है।
अगर आपको रुकने के लिए सही होटल बुकिंग करवानी है तो मुक्तेश्वर का Zostel काफी प्रसिद्ध है। ये सस्ता है और अगर ग्रुप में जा रहे हैं तो बंक बेड्स मिल सकते हैं। इसी के साथ मुक्तेश्वर की खूबसूरत वादियों का नजारा तो होगा ही।
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