herzindagi
malcha mahal delhi big

मालचा महल: गुमनाम जिंदगी जी रहे प्रिंस की मौत, एक महीने तक भी नहीं मिली खबर

दिल्ली के चाणक्यपुरी से गुजरते हुए आपको रास्ते में एक बहुत ही पुराना महल नजर आएगा। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2017-11-07, 11:11 IST

दिल्ली के चाणक्यपुरी से गुजरते हुए आपको रास्ते में एक बहुत ही पुराना महल नजर आएगा। हो सकता है आप में से कुछ को पता हो कि ये पुराना महल ‘मालचा महल’ है या फिर कुछ को नहीं पता होगा, पर इस महल से कुछ ऐसी कहानियां जुड़ी हैं जिसे जानने के बाद ज्यादातर लोगों को ये जगह डरावनी नजर आती है। 

आपको लग रहा होगा कि हमें अचानक से मालचा महल की याद क्यों चली आई, पर इसके पीछे भी एक वजह है। हाल ही में गुमनाम जिंदगी जी रहे अवध के प्रिंस अली रजा उर्फ साइरस की मौत हो गई है। ऐसा कहा जाता है कि वे कई दशकों से खंडहर हो चुके मालचा महल में राजकुमारी सकीना के साथ रह रहे थे। फिलहाल उनकी मौत को लेकर कहा जा रहा है कि करीब एक महीने पहले ही साइरस की मौत हो गई थी। आज मालचा महल केवल एक खंडहर जैसा नजर आता है। यहां ना तो बिजली है और ना ही पानी। इसके बावजूद प्रिंस अली रजा और राजकुमारी सकीना अपने 12 डोबरमैन कुत्तों के साथ इस महल में रहा करते थे। यहां आपको बता दें कि साइरस खुद को अवध का आखिरी राजकुमार बताया करते थे। 

12 डोबरमैन कुत्ते एक दम झपट पड़ते थे 

रायसीना हिल्स के पास ही चाणक्यपुरी एरिया में स्थित मालचा महल को 1985 में भारत सरकार ने ‘बेगम विलायत महल’ को इसका मालिकाना हक दे दिया। खंडहर हो रहे चमगादड़ों से भरे इस महल के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर 9 साल तक धरना दिया था। वो वहीं रहती थीं, जब रेलवे के अफसर उनको हटाने के लिए आते थे तो उनके 11 डोबरमैन कुत्ते उन पर झपट पड़ते थे। वह धमकी दिया करती थीं कि अगर कोई भी आगे आया तो वह सांप का जहर पीकर अपनी जान दे देंगी। उनका कहना था कि वो अवध के नवाब वाजिद अली शाह के खानदान की राजकुमारी हैं और इस नाते वाजिद अली शाह का ये महल उनका ही हुआ। 10 सितंबर 1993 को बेगम विलायत महल ने 62 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली थी। 

Read More: इंडिया के अलावा पाकिस्तान, दुबई और लंदन में भी हैं वर्ल्ड फेमस गुरुद्वारे

 

malcha mahal delhi inside

Image Courtesy: Blog.darkmoon.in 

अंग्रेजों ने सत्ता से किया था बेदखल 

अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह को 1856 में अंग्रेजों ने सत्ता से बेदखल कर दिया था और उन्हें कलकत्ता की जेल में डाल दिया गया था। इस जेल में ही उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 26 साल गुजारे थे। जब 1947 में इंडिया को आजादी मिली तब तक वाजिद अली शाह का खानदान इधर-उधर बिखर चुका था और कई लोग क्लेम कर रहे थे कि वो नवाब के खानदान के हैं। प्रधानमंत्री नेहरू ने नवाब के खानदान को कश्मीर में एक घर दे दिया था लेकिन वो घर भी 1971 में जल गया था। 

यह विडियो भी देखें

malcha mahal delhi inside

Image Courtesy: Blog.darkmoon.in

ऐसे में राजकुमारी अपने बेटे और बेटी के साथ लखनऊ आ गई थीं। उस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी। उस दौरान राजाओं के भत्ते भी खत्म कर दिए थे ऐसे में भला पुराने महलों को कैसे दे दिया जाता। इसी वजह से बेगम ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अपना राज्य बना लिया था। ऐसे में बेगम के बेटे रियाज ने कहा था कि हम लोग रिक्वेस्ट नहीं करते हैं, मांग करते हैं। इंदिरा गांधी के प्रॉमिस के बाद मालचा महल उनको दे दिया गया था। यहां आपको बता दें कि फिरोजशाह तुगलक ने इस महल को 13वीं शताब्दी में बनवाया था। जब वह शिकार करने आते थे तो इसी महल में रुकते थे। 

malcha mahal delhi inside img

Image Courtesy: Blog.darkmoon.in

ऐसा कहा जाता है कि बेगम की लाश 10 दिनों तक उनकी स्टडी डेस्क पर पड़ी रही थी और उनके बच्चे मातम मना रहे थे। मां की मौत के बाद बेटी सकीना सिर्फ काले रंग के कपड़े ही पहना करती थी। मालचा महल को डरावनी जगह माना जाता है। साल 1998 में न्यूयॉर्क टाइम्स को इंटरव्यू देते हुए सकीना ने कहा था, “मुझे समझ आ गया है कि ये दुनिया कुछ नहीं है। ये क्रूर प्रकृति हमारी बर्बादी में खुश होती है इसलिए मुझे किसी चीज की इच्छा नहीं होती है। मुझे कुछ नहीं चाहिए। हम जिंदा लाशों के खानदान बन गए हैं।“  

 

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।