दार्जीलिंग हिंदुस्तान के सबसे खूबसूरत हिस्सों में से एक है। गर्मी हो या सर्दी दार्जीलिंग की खूबसूरती हर मौसम में बेस्ट होती है। दार्जीलिंग ट्रिप पर जाने की योजना अगर आपने बनाई है तो उसमें दार्जीलिंग टॉय ट्रेन को शामिल करना न भूलिएगा। दार्जीलिंग को देखने का और बेहद खूबसूरत पहाड़ियों में सैर करने का इससे अच्छा तरीका हो ही नहीं सकता। हां ये थोड़ा समय लेती है, लेकिन ये रेल रूट यात्रा तभी की जा सकती है जब दो दिन सिर्फ इसके लिए निकाले जाएं।
क्या खास है इस रेलवे रूट में?
दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे जिन्हें DHR भी कहा जाता है वो महज दो फिट चौड़ी रेलवे लाइन में चलती है। ये वैसे ही है जैसे बचपन में मेले में ट्रेन वाले झूले में बैठा करते थे। ये जलपाईगुड़ी से दार्जीलिंग तक चलती है और इसे 1879 से 1881 के बीच अंग्रेजों ने बनाया था। उस समय दार्जीलिंग अंग्रेजों के लिए दार्जीलिंग छुट्टी मनाने का एक बहुत अच्छा तरीका हुआ करता था।
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ये रेलवे रूट 88 किलोमीटर लंबा है। इसमें zig zag और लूप में ट्रेन चलती है। इसे देखना अपने आप में अनोखा है क्योंकि अंग्रेजों के जमाने से ये इसी तरह से चली आ रही है। वो गाना तो आपने सुना ही होगा 'मेरे सपनो की रानी कब आएगी तू..' दार्जीलिंग का टॉय ट्रेन रूट बिलकुल उस गाने के वीडियो जैसा ही है।
पहले तो यहां सिर्फ स्टीम इंजन ही चलते थे, लेकिन अब डीजल लोकोमोटिव इंजन चलने लगे हैं। ये हर दिन चलते हैं और Ghum से होकर गुजरते हैं। Ghum भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है। अगर आप स्टीम इंडिय वाली ट्रेन में सफर करना चाहते हैं तो वो भी सुविधा उपलब्ध है।
2 दिसंबर 1999 को इस ट्रेन रूट को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी घोषित कर दिया गया था।
5 किलोमीटर का घुमाव, अपने आप में एक टूरिस्ट अट्रैक्शन है-
बतासिया लूप (Batasia Loop) इस टॉय ट्रेन राइड का सबसे खास आकर्षण कहा जा सकता है। ये Ghum के थोड़ा नीचे है। यहां गोर्खा सिपाहियों के लिए मेमोरियल भी बनाया गया है जिन्होंने भारतीय सेना के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी। ये लूप एक तरफ दार्जीलिंग का खूबसूरत नजारा दिखाता है और दूसरी तरफ कंचनजंगा की पहाड़ियों को दिखाता है।
कब और कैसे ट्रेन चलती हैं?
1. दैनिक टॉय ट्रेन- ये डीजल और स्टीम लोकोमोटिन इंजन दोनों के साथ चलती है। फर्स्ट और सेकंड क्लास बोगियां हैं।
ये ट्रेन हर सुबह 8.30 बजे न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से निकलती है और 4 बजे शाम में पहुंचती है। हालांकि, एक ट्रेन सुबह 7 बजे और एक शाम 3 बजे भी चलती है, लेकिन उसका टाइम टेबल बदलता रहता है।
2. जॉय राइड- ये सिर्फ दार्जीलिंग से घूम तक जाती है और वापस आती है। इसमें 10 मिनट का स्टॉप बतासिया लूप पर और 30 मिनट का स्टॉप घूम रेलवे स्टेशन पर होता है।
ये दो घंटे की यात्रा होती है जो सुबह 8 बजे से शुरू होती है और दिन में कई वक्त होती है।
3. जंगल सफारी हॉलीडे ट्रेन- ये सिर्फ हॉलीडे सीजन की ट्रेन है और इसमें महानंदा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और Z रिवर्स आदि देखने मिलता है। ये ट्रेन सिलिगुड़ी से 10.30 बजे सुबह निकलती है।
जहां तक रेलवे रूट का सवाल है तो इसे देखना वाकई एक अलग अनुभव होगा। खूबसूरत कंचनजंगा की वादियों के बीच से होती हुई ये ट्रेन जाती है। स्टीम इंजन का किराया हमेशा ज्यादा होता है और डीजल का कम। इसके लिए आसानी से बुकिंग की जा सकती है।
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मार्केट के बीच से होकर गुजरती है ये ट्रेन-
इस ट्रेन का अलग अनुभव ये भी है कि ये दार्जीलिंग के मार्केट के बीच से होकर गुजरती है। जैसे ही ट्रेन आती है वैसे ही दुकानदार अपनी दुकान समेट लेते हैं और जब ट्रेन गुजर जाती है तो फिर से दुकानदार अपना सामान ट्रेन ट्रैक पर रख देते हैं।
यहां के रेलवे स्टेशन भी कम खूबसूरत नहीं। हर स्टेशन की अपनी अलग पहचान और अपनी अलग कहानी है। इसे किसी ट्रैवल साइट सीइंग की तरह ही समझिए। ट्रेन कई बार चाय नाश्ते के लिए भी रुकती है। हां, इसमें पैन्ट्री नहीं है और खाना पीना अलग रेस्त्रां आदि पर ही करना होगा, लेकिन उसके लिए टूरिस्ट को काफी समय मिलता है। एक तरफ टॉय ट्रेन चलती है और एक तरफ रोड पर गाड़ियां, पैदल चलते लोग। ये रास्ता यादगार रहेगा।
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