Yamuna Shashthi Stotra 2025: यमुना षष्ठी पर करें इस स्त्रोत का पाठ, धन-वैभव में होगी वृद्धि

यमुना स्तोत्र का पाठ चैत्र शक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन करने से यमुना माता के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है एवं राधा रानी का आशीर्वाद भी मिलता है और जीवन में पसरी नकारात्मकता भी दूर हो जाती है। 
yamuna stotra

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यमुना षष्ठी अनाई जाती है। इस दिन मां यमुना की पूजा का विधान है। जहां एक ओर यमुना षष्ठी के दिन यमुना माता की पूजा के दौरान पवित्र जल में दूध चढ़ाया जाता है तो वहीं, दूसरी ओर इस दिन यमुना स्तोत्र का पाठ करना भी बहुत लाभदायक माना जाता है। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि यमुना षष्ठी के दिन यमुना स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

यमुना स्तोत्र का पाठ चैत्र शक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन करने से यमुना माता के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है एवं राधा रानी का आशीर्वाद भी मिलता है और जीवन में पसरी नकारात्मकता भी दूर हो जाती है। यमुना षष्ठी के दिन यौन स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्तित्व में आकर्षण बढ़ता है और सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। शास्त्रों में तो यहां तक बताया गया है कि यमुना स्तोत्र का पाठ करने से चर्म रोग में राहत मिलती है।

यमुना स्तोत्र का पाठ

rules of chanting yamuna stotra

नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा, मुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम ।
तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुना, सुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ।
कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वला, विलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता ।
सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमा, मुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः सुता ।।

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भुवं भुवनपावनी मधिगतामनेकस्वनैः, प्रियाभिरिव सेवितां शुकमयूरहंसादिभिः ।
तरंगभुजकंकण प्रकटमुक्तिकावालूका, नितन्बतटसुन्दरीं नमत कृष्ण्तुर्यप्रियाम ।।
अनन्तगुण भूषिते शिवविरंचिदेवस्तुते, घनाघननिभे सदा ध्रुवपराशराभीष्टदे ।
विशुद्ध मथुरातटे सकलगोपगोपीवृते, कृपाजलधिसंश्रिते मम मनः सुखं भावय ।।

significance of chanting yamuna stotra

यया चरणपद्मजा मुररिपोः प्रियं भावुका, समागमनतो भवत्सकलसिद्धिदा सेवताम ।
तया सह्शतामियात्कमलजा सपत्नीवय, हरिप्रियकलिन्दया मनसि मे सदा स्थीयताम ।।
नमोस्तु यमुने सदा तव चरित्र मत्यद्भुतं, न जातु यमयातना भवति ते पयः पानतः ।
यमोपि भगिनीसुतान कथमुहन्ति दुष्टानपि, प्रियो भवति सेवनात्तव हरेर्यथा गोपिकाः ।।

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ममास्तु तव सन्निधौ तनुनवत्वमेतावता, न दुर्लभतमारतिर्मुररिपौ मुकुन्दप्रिये ।
अतोस्तु तव लालना सुरधुनी परं सुंगमा, त्तवैव भुवि कीर्तिता न तु कदापि पुष्टिस्थितैः ।।
स्तुति तव करोति कः कमलजासपत्नि प्रिये, हरेर्यदनुसेवया भवति सौख्यमामोक्षतः ।
इयं तव कथाधिका सकल गोपिका संगम, स्मरश्रमजलाणुभिः सकल गात्रजैः संगमः ।।

benefits of chanting yamuna stotra

तवाष्टकमिदं मुदा पठति सूरसूते सदा, समस्तदुरितक्षयो भवति वै मुकुन्दे रतिः ।
तया सकलसिद्धयो मुररिपुश्च सन्तुष्यति, स्वभावविजयो भवेत वदति वल्लभः श्री हरेः ।।

।। इति श्री वल्लभाचार्य विरचितं यमुनाष्टकं सम्पूर्णम ।।

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image credit: herzindagi

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