भगवान श्री कृष्ण के हजारों नाम हैं, जो उन्हें उनके भक्तों ने दिया है। भक्त अपनी भाव-भक्ति और प्रेम से कान्हा को अलग-अलग नाम से पुकारते हैं। इन्हीं नामों में से एक है सांवलिया सेठ, बता दें कि राजस्थान में भक्त बांके बिहारी श्री कृष्ण को सांवलिया सेठ कहते हैं। इसके अलावा उनकी एक मंदिर भी है, सांवलिया सेठ मंदिर आज के इस लेख में हम आपको इसी विषय में बताएंगे, कि आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण सांवलिया सेठ कहलाए।
क्या है सांवलिया सेठ की कथा
भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा से तो पुरी दुनिया परिचित है। भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मुलाकात गुरुकुल में पहली बार हुई थी, दोनों की मित्रता हुई और दोनों ने साथ में शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की। गुरुकुल में शिक्षा संपन्न करने के बाद भगवान श्री कृष्ण मथुरा वापस आ गए और सुदामा अपनी नगरी चले गए। भगवान श्री कृष्ण तो द्वारकाधीशद्वारका के राजा थे, लेकिन सुदामा बहुत गरीब ब्राह्मण था। वह भिक्षा मांग कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। अपनी गरीबी के कारण सुदामा कभी अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने द्वारका नहीं गए, श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के भाव और प्रेम से परिचित थे। श्री कृष्ण भी उनकी खूब परिक्षा लिए, अंत में जब बच्चे और परिवार को खाना नहीं मिला तब सुदामा की पत्नी ने उन्हें श्री कृष्ण से मिलने के लिए बहुत अनुरोध किया। पत्नी की बात मान गठरी में चावल बांध सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने चले गए।
यात्रा के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र की पूरी सहायता की, उनके मार्ग में जो भी कष्ट आते उसे दूर करके। यात्रा के दौरान शाम के वक्त सुदामा को अपने परिवार की चिंता होने लगी और तभी भगवान श्री कृष्णने अपनी लीला दिखाई और एक दौड़ता हुआ व्यक्ति सभी को यह बताते हुए जा रहा था कि पास के गांव में सांवलिया सेठ के घर में पुत्र हुआ है, जिसके कारण दस दिनों तक गांव में यज्ञ रखा जाएगा और आस पास के सभी नगर और गांव में भंडारा आयोजित किया जाएगा।
सुदामा जी उस व्यक्ति से पूछते हैं कि उनके गांव में भी भंडारा होगा क्या, जिस पर वह व्यक्ति कहता है कि हां, आपके गांव में भी भंडारा होगा। आप भी चलिए और भंडारा ग्रहण करें, मैं भी भंडारा करने जा रहा हूं। भंडारा की बात सुन सुदामा खुश हुए और अपनी पत्नी और बच्चे की भूख की चिंता दूर हुई। इसके बाद सुदामा उस ग्वाले कृष्ण के साथ भोजन किए, उस समय के बाद से ही भगवान श्री कृष्ण को सांवलिया सेठ कहा जाता है।
कहां है सांवलिया सेठ का मंदिर
भगवान श्री कृष्ण को समर्पित यह सांवलिया सेठ का मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यहां स्थित मूर्तियों को लेकर यह कहा जाता है कि यहां के निवासियों ने भोलाराम गुर्जर के कहने पर बागुंड गांव की जमीन को खोदकर तीन मूर्तियां निकाली थी। इनमें से पहली मूर्ति को मंडफिया और दूसरी को भादसोड़ा में विराजित किया गया। जबकि तीसरी मूर्ति को छापर में ही स्थापित किया गया। इसी स्थान पर मंदिर का बनवाया गया। बता दें कि मंडफिया में स्थित मंदिर ही सांवलिया धाम के नाम से जाना जाता है।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों