जब भी हमारे मन में किसी चीज को लेकर शंका होती है, तो हम सबसे पहले भगवान के दरबार में जाते हैं, ताकि उनके सामने अपनी इच्छा को रख सके। इसके लिए कई सारे लोग मंदिर में धागा बांधते हैं, तो कुछ लोग वहां पर सिर्फ मन्नत मांगकर आ जाते हैं। लेकिन खाटु श्याम बाबा के दरबार में मांगी गई मन्नत के लिए लोग वहां इत्र चढ़ाते हैं और मन्नत पूरी होने पर इसे जोड़े में लेकर आते हैं। आर्टिकल में बताते हैं किस जोड़े में इत्र चढ़ाने के क्या हैं धार्मिक महत्व।
खाटु श्याम बाबा के दरबार में चढ़ता है इत्र
ऐसा कहा जाता है कि बाबा खाटू श्याम को इत्र काफी प्रिय था। इसलिए बर्बरीक अपना ज्यादातर समय गुलाब के बागीचे में बिताते थे। इसलिए इनके मंदिर में इत्र चढ़ाया जाता है। इत्र को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भी किसी को कुछ इच्छा मांगनी होती है, तो इत्र चढ़ाते हैं।
जोड़े में इत्र चढ़ाने का क्या महत्व है
- जब कोई मनोकामना पूरी हो जाती है, तो खाटू श्याम बाबा को जोड़े में इत्र चढ़ाते हैं। इसके पीछे भी मुख्य धार्मिक कारण हैं।
- भगवान को धन्यवाद करने के लिए आप खाटू श्याम को इत्र चढ़ा सकते हैं। इस तरह से इत्र चढ़ाने से हर कोई भगवान का आभार व्यक्त करता है, ताकि वो अगली बार भगवान से अपनी इच्छा को पूरा कर सके।
- ऐसी मान्यता है कि जोड़े में इत्र चढ़ाने से बाबा प्रसन्न होते हैं और भक्त के जीवन से कष्टों और बाधाओं को दूर करते हैं। इससे बाबा खाटू श्याम का आशीर्वाद हमेशा हमारे ऊपर बना रहता है।
- खाटू श्याम बाबा को इत्र चढ़ाना उनकी प्रिय वस्तु अर्पित करने, पवित्रता व्यक्त करने और अपनी इच्छाएं प्रस्तुत करने का माध्यम है। इससे जीवन में सुख शांति बनी रहती है। साथ ही, जीवन में मधुरता आती है।

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