माता शीतला का एक भव्य मंदिर गुरुग्राम में स्थित है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि करीब तीन सौ साल पहले शीतला माता ने यहां के सिंघा जाट नाम के व्यक्ति को सपने में दर्शन दिया था और इसके बाद से इस मंदिर को बनाया गया। मान्यता है कि माता यहां साक्षात वास करती हैं। चलिए इस मंदिर के बारे में आपको कुछ खास बातें बताते हैं।
कौन हैं शीतला माता?
शीतला माता की ब्राह्मण, क्षत्रिय, जाट, वैश्य और गुर्जर आदि कई समाजों में कुलदेवी के रूप में पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला माता को भगवान शिव की अर्धांगिनी शक्ति का ही रूप मानते हैं। देवलोक से देवी शीतला ने अपने हाथ में दाल के दाने लेकर धरती लोक पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थीं।
माता शीतला का गुरुग्राम में स्थित मंदिर क्यों है खास
इस मंदिर में सोमवार को दर्शन करने का एक अलग ही महत्व होता है। इस मंदिर में साल भर में करीब 10 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। शीतला माता को यहां पर लाल रंग का दुपट्टा और मुरमुरा प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।(आखिर कौन थीं महाभारत काल की 5 सबसे खूबसूरत स्त्रियां)
मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जो भी भक्त पूजा करने आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शीतला माता के गुरुग्राम में स्थित इस मंदिर में दूसरे शहरों से भी लोग आकर शादी करते हैं और बच्चों का मुंडन भी कराते हैं।इसे जरूर पढ़ें:रामायण से लेकर महाभारत तक, ये थीं 5 सबसे बहादुर महिला योद्धा
माता शीतला के मंदिर में लोग क्यों बांधते हैं धागा?
इस मंदिर में कई भक्त मुख्य द्वार पर बरगद के पेड़ पर चुन्नी या मौली बांधकर शीतल जल चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए भी माता पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए इस पेड़ पर धागा बांधते हैं।
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image credit- jagran
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