Karwa Chauth Rituals: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए रखती है। यह त्योहार देशभर की सुहागिन महिलाएं अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाती हैं। साथ ही इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है, जहां अधिकांश क्षेत्रों में चंद्रमा को केवल जल से अर्घ्य देने की परंपरा है। वहीं बिहार और झारखंड में पूजा के बाद चंद्रमा को दूध मिलाकर अर्घ्य देने की परंपरा है। यह परंपरा न केवल क्षेत्रीय संस्कृति की अनूठी पहचान है बल्कि इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी छिपा है। चलिए इस लेख में जानिए आखिर जल और दूध को मिलाकर चांद को अर्पित क्यों किया जाता है।
करवा चौथ का त्योहार, जो पति-पत्नी के अखंड प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक है। यह पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन बिहार और झारखंड की सुहागिन महिलाएं रात में चंद्रमा को दूध और जल का अर्घ्य देती हैं। नीचे जानें महत्व
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ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। चंद्रमा की पूजा करने से मन शांत रहता है, और चंचलता दूर होती है। दूध को पवित्रता, शीतलता और सफेदी का प्रतीक माना जाता है, जिसका सीधा संबंध चंद्रमा से है। चंद्रमा को दूध से अर्घ्य देने का अर्थ है चंद्र देव से दांपत्य जीवन में शीतलता, धैर्य और मानसिक शांति का आशीर्वाद मांगना। यह माना जाता है कि इससे पति-पत्नी के बीच आपसी समझ और प्रेम में वृद्धि होती है, और कलह दूर होते हैं।
दूध को समृद्धि और आरोग्य का भी प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे अमृत के समान पवित्र माना गया है। करवा चौथ पर दूध मिश्रित अर्घ्य देने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का वास होता है। महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर अपने पति के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और जीवन में कभी किसी वस्तु की कमी न होने की कामना करती हैं।
ज्योतिषीय के अनुसार, दूध चंद्र देव को अत्यंत प्रिय है, जो लोग दूध से चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं, उनकी कुंडली में यदि चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो, तो उसके नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। साथ ही चंद्रमा मजबूत होता है। मजबूत चंद्रमा जातक को भावनात्मक स्थिरता और सकारात्मकता प्रदान करता है। करवा चौथ के दिन यह अर्घ्य शुभ फल देने वाला माना जाता है।
बिहार और झारखंड में करवा चौथ को चौरचन या चौथ माता (देवी पार्वती) की पूजा के साथ जोड़ा जाता है। दूध से अर्घ्य देना इस क्षेत्र की सांस्कृतिक आस्था का हिस्सा है, जहां हर शुभ कार्य में दूध, दही और घी जैसे पवित्र पदार्थों का उपयोग अनिवार्य माना जाता है।
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