
22 नवंबर 2025 का दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के कारण चन्द्र दर्शन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन शाम के समय चंद्रमा के दर्शन करना और उन्हें अर्घ्य देना बहुत ही धार्मिक महत्व रखता है जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है। यह दिन शनिवार भी है इसलिए इस दिन किए गए उपाय शनिदेव के अशुभ प्रभावों को कम करने और पापों का क्षय करने में भी सहायक होते हैं। इस दिन मूल नक्षत्र का योग रहेगा और चंद्रमा धनु राशि में संचार करेंगे। हालांकि, इस दिन सुबह 09:27 बजे से 10:47 बजे तक राहुकाल रहेगा जिस दौरान कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से बचना चाहिए। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| मार्गशीर्ष शुक्ल द्वितीया (शाम 05:11 बजे)/तृतीया | ज्येष्ठा | शनिवार | सुकर्मा | कौलव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:49 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:24 बजे |
| चंद्रोदय | सुबह 08:39 बजे |
| चंद्रास्त | शाम 06:42 बजे |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 05:02 बजे से सुबह 05:56 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:35 बजे तक |
| गोधुली मुहूर्त | शाम 05:25 बजे से शाम 05:52 बजे तक |
| निशिथ काल | रात 11:41 बजे से रात 12:34 बजे तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | सुबह 09:28 बजे से सुबह 10:48 बजे तक |
| गुलिक काल | सुबह 06:49 बजे से सुबह 08:09 बजे तक |
| यमगंड | दोपहर 01:27 बजे से दोपहर 02:46 बजे तक |

22 नवंबर 2025, शनिवार को कोई बड़ा व्रत या त्योहार नहीं है, लेकिन यह दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि होने के कारण धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन का मुख्य धार्मिक महत्व 'चन्द्र दर्शन' का है, जिसमें शाम के समय चंद्रमा के दर्शन करके उन्हें अर्घ्य देने का विधान है, जिससे सौभाग्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। चूंकि यह शनिवार का दिन है, इसलिए इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना और उनसे संबंधित उपाय (जैसे काली सरसों जलाना) करने का भी विशेष महत्व होता है।
22 नवंबर 2025 शनिवार का दिन है, इसलिए इस दिन आप शनिदेव को प्रसन्न करने और नकारात्मकता दूर करने के लिए विशेष उपाय कर सकते हैं। शनिवार की शाम को काली सरसों को कपूर के साथ एक कटोरी में जलाकर पूरे घर में घुमाएँ, यह उपाय बुरी नजर और वास्तु दोष दूर करता है। साथ ही, शनिदेव को तेल चढ़ाएँ और गरीबों को काला तिल, उड़द दाल या कंबल दान करें। इसके अलावा, मार्गशीर्ष शुक्ल द्वितीया तिथि होने के कारण शाम के समय चंद्रमा के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें, इससे मानसिक शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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