एक ज्योतिषी के लिए अपना भविष्य देखना क्यों है वर्जित?

भारतीय ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार, एक ज्योतिषी के लिए अपना भविष्य देखना वर्जित माना जाता है। इस बारे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर ऐसा क्यों है। 
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ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के आधार पर व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य का आकलन करता है। लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या एक ज्योतिषी को अपना भविष्य देखना चाहिए। भारतीय ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार, एक ज्योतिषी के लिए अपना भविष्य देखना वर्जित माना जाता है। इस बारे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर क्योंकि एक ज्योतिषी के लिए उसका अपना भविष्य देखना माना जाता है अशुभ और क्या हो सकते हैं इसके परिणाम।

क्यों एक ज्योतिषी अपना ही भविष्य नहीं देख सकता है?

आत्मनिरीक्षण में पूर्वाग्रह की संभावना बहुत अधिक होती है। जब कोई ज्योतिषी अपना ही भविष्य देखता है तो उसकी अपनी इच्छाएं, भय और धारणाएं उसके विश्लेषण को प्रभावित कर सकती हैं। वह अपनी भविष्यवाणी में अनजाने में हेरफेर कर सकता है या तो खुद को बेहतर दिखाने के लिए या किसी अप्रिय सत्य से बचने के लिए। इससे भविष्यवाणी की निष्पक्षता और सटीकता पर सवाल उठ सकता है। ज्योतिषी को हमेशा निष्पक्ष और तटस्थ रहना चाहिए जो अपने मामले में संभव नहीं हो पाता।

jyotishi ko apna bhavishya dekhne ki kyu hai manahi

दूसरा कारण कर्मफल सिद्धांत से जुड़ा है। हिंदू धर्म में कर्मफल का बहुत महत्व है जिसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार फल भोगता है। यदि एक ज्योतिषी को अपने भविष्य की जानकारी हो जाती है तो वह उन घटनाओं को बदलने का प्रयास कर सकता है जो उसके भाग्य में लिखी हैं। शास्त्रों के अनुसार, कुछ घटनाएं अटल होती हैं और उन्हें भुगतना ही पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति उन्हें बदलने की कोशिश करता है तो वह अपने कर्मों के चक्र को बाधित कर सकता है जो अशुभ हो सकता है।

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दैवीय हस्तक्षेप और श्रद्धा का अभाव भी एक कारण हो सकता है। ज्योतिष एक दिव्य विद्या मानी जाती है जिसे ईश्वर या ब्रह्मांडीय शक्तियों द्वारा प्रदान किया गया ज्ञान माना जाता है। जब एक ज्योतिषी दूसरों का भविष्य देखता है तो वह एक माध्यम के रूप में कार्य करता है, लेकिन जब वह अपना ही भविष्य देखता है तो उसमें उस श्रद्धा और समर्पण का अभाव हो सकता है जो एक माध्यम को आवश्यक होता है। ऐसा करने से ज्योतिषी द्वारा उस विद्या का घोर अपमान करना माना जा सकता है।

मानसिक शांति और निर्णय लेने में बाधा भी एक बड़ा कारण है। अगर किसी ज्योतिषी को अपने भविष्य की हर छोटी-बड़ी जानकारी मिल जाए तो वह लगातार उस जानकारी के बारे में सोचेगा। शुभ घटनाओं के लिए अति-उत्साहित होना और अशुभ घटनाओं के लिए अत्यधिक चिंतित होना उसकी मानसिक शांति को भंग कर सकता है। इससे वह वर्तमान में जीना भूल जाएगा और भविष्य की चिंता में डूबा रहेगा। भविष्य की जानकारी होने पर उसके निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

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वह उन निर्णयों को टाल सकता है जो उसके भविष्य में कठिन परिस्थितियां ला सकते हैं या उन निर्णयों को जल्दी ले सकता है जो उसे लाभ पहुंचाते दिख रहे हों भले ही वह प्राकृतिक क्रम में न हो। सरल शब्दों में कहें तो शास्त्रों में एक ज्योतिषी के लिए अपना भविष्य देखना इसलिए वर्जित किया गया है ताकि वह अपने कर्म फल को रोकने के लिए विधि के विधान के विरुद्ध न जा सके। मान्यता है कि अगर कोई ज्योतिषी अपना भविष्य देखने की कोशिश करता है तो उसकी विद्या उसी समय समाप्त हो जाती है।

jyotishi apna bhavishya kyu nahi dekh sakte hain

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का क्या है महत्व?

    कुंडली व्यक्ति के जीवन, व्यक्तित्व, भाग्य और भविष्य की घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र में कुंडली को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।