हिंदू धर्म ग्रंथों और पुराणों में काक भुशुण्डी से जुड़ी कई कथाओं के बारे में आपने सुना होगा। हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी कई कथाएं हैं, जिसमें किसी न किसी को श्राप के कारण अपने असली रूप को खोना पड़ा है। इसी में से एक हैं रामायण के पात्र काक भुशुण्डी भी हैं, जिनके बारे में रामायण में भी वर्णन किया गया है। काक भुशुण्डी को भी एक ऋषि के श्राप के कारण अपने असली रूप को छोड़कर कौआ बनना पड़ा।
रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में काकभुशुण्डि के बारे में उल्लेख मिलता है। उत्तर काण्ड में लिखित चौपाई और दोहे के अनुसार काक भुशुण्डी परमज्ञानी और भगवान राम के भक्त थे। लेकिन एक श्राप के कारण इन्हें अपना बचा हुआ पूरा जीवन कौआ के रूप में बिताना पड़ा।
कौन थे काक भुशुण्डी?
रामचरित मानस के कथा के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती को भगवान राम की कथा सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया था, बता दें कि उसी कौवे का पुनर्जन्म काक भुशुण्डी के रूप में हुआ था। पुनर्जन्म में काक भुशुण्डी को भगवान शिव द्वारा सुनाई गई राम कथा अपने इस जन्म में भी याद थी, इसलिए काक भुशुण्डी ने राम कथा का महिमा अन्य लोगों को भी सुनाई। भगवान शिव के द्वारा सुनाई गई राम कथा को अध्यात्म रामायण के नाम से जाना गया।
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काक भुशुण्डी से कैसे बने कौवा?
काक भुशुण्डी ने अपने कौवा बनने की कथा गरुड़ जी को सुनाई, जिसके अनुसार काक भुशुण्डी का जन्म अयोध्या में एक शूद्र के घर हुआ था। अयोध्या में वह भगवान शिवके भक्त थे। अहंकार के मद में आकर काक भुशुण्डी बाकी अन्य देवताओं की निंदा किया करते थे। एक बार अयोध्या पुरी में अकाल पड़ गया, जिसके कारण वह उज्जैन चले गए। काक भुशुण्डी उज्जैन रहकर दयालु ब्राह्मण की सेवा कर उनके साथ रहने लगे। ब्राह्मण भी शिव भक्त था, लेकिन काक भुशुण्डी के अन्य देवताओं की निंदा करने की आदत से परेशान होकर ब्राह्मण ने उन्हें राम भक्ति का उपदेश देने लगे।
एक बार घमंड में आकर काक भुशुण्डी अपने गुरु का अपमान करने लगा, इससे भगवान शिव नाराज हो गए और काक भुशुण्डी को श्राप दिया कि तूने अपने गुरु का अपमान किया है इसलिए तू सांप की योनि में जन्म लेने के बाद, हजार बार योनियों में जन्म लेना होगा। ब्राह्मण ने भगवान शिव से क्षमा मांगी, लेकिन शिव जी ने कहा कि इस अभिमानी को अपने प्रायश्चित करना पड़ेगा।
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धीरे-धीरे काक भुशुण्डी में राम भक्ति उत्पन्न हुई और अंत में वह ब्राह्मण का शरीर प्राप्त किया। इसके बाद काक भुशुण्डी ज्ञान पाने के लिए लोमेश ऋषि के पास गए। जब लोमेश ऋषि काक भुशुण्डी के ब्राह्मण रूप को ज्ञान दे रहे थे, तब वह अनेक तरह के तर्क-वितर्क किया करता था। लोमेश ऋषि काक भुशुण्डी के इस व्यवहार से क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे दिया कि जा तू चाण्डाल पक्षी यानी कौआ बन जाएगा। काक भुशुण्डी तुरंत कौआ बनकर उड़ गया और जब ऋषि को पश्चाताप हुआ तो उन्होंने उस कौवे को दोबारा बुलाया। कौआ जब ऋषि के पास आया को इसे राममंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान भी दिया। राममंत्र मिलने के बाद उसे उस कौवे के शरीर से भी प्रेम हो गया और बाद में वह काक भुशुण्डी के नाम से जाना गया।
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Image Credit: Instagram sanatan_explain
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