हर साल सुहागिन स्त्रियों द्वारा करवाचौथ का व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं, क्योंकि यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर यह व्रत पहली बार किसने रखा था। कैसे इस व्रत की शुरूआत हुई, धार्मिक मान्यताओं में करवा चौथ का व्रत रखने की अलग-अलग कथाएं मौजूद है।
माता पार्वती ने रखा था भोलेनाथ के लिए व्रत
एक कथा के अनुसार सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता पार्वती ने भोलेनाथ के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। इसलिए करवाचौथ में महिलाएं अपने माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य का आर्शिवाद प्राप्त हो।(भगवान की आरती करने का सही तरीका)
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महाभारत की कथा में है करवा चौथ का जिक्र
इसके साथ ही करवाचौख का व्रत महाभारत काल की एक कथा में भी पढ़ने को मिलता है। इस कथा के अनुसार एक बार अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने के लिए गए थे, लेकिन तभी उनके दूसरे भाईयों पर गहरा संकट आ गया।
किसी को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इस समस्या का निपटारा होगा, तब द्रोपदी अपनी समस्या लेकर श्रीकृष्ण के पास पहुंची। श्री कृष्ण ने उन्हें पांडवों की रक्षा के लिए कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा का व्रत करने को कहा।
श्री कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने यह व्रत रखा और पांडवों को संकटों से मुक्ति मिल गई। (शाम के समय पूजा करने के नियम)
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वीरावती ने रखा था व्रत
एक कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार इन्द्रप्रस्थपुर वेद शर्मा ब्राह्मण की बेटी वीरावती ने अपनी पति के लिए व्रत रखा था। वह अपने पति से बेहद स्नेह करती थी। उसने नियम के अनुसार चांद देखने के बाद ही भोजन करने का विचार किया था।
लेकिन ब्राह्मण की बेटी से भूख ब्रदाश्त नहीं हो रही थी। उस समय वीरावती के ससुराल में उनके भाई आए हुए थे, उन्होंने देखा कि उनकी बहन काफी परेशान है, वह अपनी बहन से अत्यधिक स्नेह करते थे।
इसलिए उन्होंने अपनी बहन को भोजन करवाने के लिए पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया। चांद देखकर उनकी बहन प्रसन्न हो गई और उन्होंने भोजन कर लिया।
लेकिन जैसे ही उनसे भोजन किया, तो वीरावती का पति अचानक अदृश्य हो गया। इसपर वीरावती अपने पति को वापस लाने के लिए पूरे 12 महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखने लगी, आखिर करवा चौथ के दिन इस कठिन तपस्या के बाद वीरावती को पुनः उसका पति प्राप्त हो गया।
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