Immortality of Hanuman ji

किसने और क्यों दिया था हनुमान जी को अमर होने का वरदान?

यह तो हम सभी को पता है कि भगवान हनुमान जी को चिरंजीवी या अमरता का वरदान मिला है। हनुमान जी अपने एक वरदान के कारण आज भी धरती पर मौजूद हैं, चलिए जानते हैं इसके बारे में। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-06-04, 15:15 IST

हनुमान जी को भगवान श्री राम के परम भक्त कहा गया है। हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम की भक्ति में समर्पित कर दिया। हनुमान जी को राम भक्त के अलावा और भी कई नाम, जैसे संकट मोचन हनुमान, बजरंग बली और महावीर समेत कई नामों से जाना जाता है। रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी आज भी धरती पर मौजूद या जीवित हैं और वह अपने भक्तों के संकट और कष्ट को दूर करते हैं। कथाओं और पुराणों के अनुसार यह माना गया है कि हनुमान जी एक मात्र ऐसे देवता हैं, जो कलयुग में धरती पर जीवित हैं। धरती पर उनके रहने के पीछे कारण है, उन्हें मिला हुआ अमरता का वरदान। क्या आपको पता है कि यह कौन सा वरदान है, जो सिर्फ धरती में हनुमान जी को मिला है और यह वरदान हनुमान जी को किसने दिया है।

क्या है हनुमान जी के अमरता के वरदान के पीछे की कथा?

who gave the boon of immortality to lord hanuman

हनुमान जी के इस अमरता के वरदान के पीछे यह कहा जाता है कि वह इस सृष्टि के अंत तक रहेंगे। हनुमान जी के इस अमरता के वरदान के पीछे एक खास कथा है, जिसमें यह बताया गया है कि किसने और कैसे भगवान बजरंगबली को अमरता का वरदान दिया था। रामायण की कथा के अनुसार, जब रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गए। तब श्री राम और लक्ष्मण उन्हें पूरे वन में खोजने लगें, खोजते-खोजते उनकी मुलाकात हनुमान और वानर राज सुग्रीव से हुई थी। जिसके बाद सुग्रीव और श्री राम की मित्रता हुई और पूरी वानर सेना माता सीता को खोजने में जुट गई। 

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हनुमान जी माता सीता को खोजते-खोजते लंका के अशोक वाटिका पहुंचे। वहां उनकी भेंट माता सीता से हुई और उन्होंने भगवान राम की अंगूठी माता सीती को दिखाई और उन्हें विश्वास दिलाया कि जल्दी ही भगवान राम उन्हें लेने आएंगे। अंगूठी देख माता सीता को हनुमान जी पर विश्वास हुआ और हनुमान जी की बातें और प्रभु श्री राम के प्रति उनकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुई। माता सीताहनुमान जीको अपना चुड़ामड़ी और आशीष देते हुए कहा कि तुम इस पृथ्वी पर सदा अजर अमर रहोगे और अपने भक्तों की संकट दूर कर उनकी रक्षा करोगे।

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सुंदरकांड में वर्णन है माता सीता द्वारा हनुमान जी को दिया गया वरदान

Who gave Hanuman immortality

अजर अमर गुन निधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥

करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥2॥

अर्थ:- हे पुत्र! तुम अजर, अमर और गुणों के खजाने हो जाओ। श्री रघुनाथ जी तुम पर बहुत कृपा करें।

‘प्रभु कृपा करें’ ऐसा सुनते ही हनुमान जी पूर्ण प्रेम में मग्न हो गए॥2॥

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Image Credit:  Freepik

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