तिलक लगाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

जहां एक ओर तिलक लगाना धार्मिक दृष्टि से पूजा-पाठ का भाग है तो वहीं, दूसरी ओर तिलक लगाना ज्योतिष दृष्टि से बहुत लाभकारी माना जाता है। 
tilak lagate samay kaun sa mantra bolna chahiye

हिन्दू धर्म में तिलक धारण करना बहुत शुभ माना जाता है। जहां एक ओर तिलक लगाना धार्मिक दृष्टि से पूजा-पाठ का भाग है तो वहीं, दूसरी ओर तिलक लगाना ज्योतिष दृष्टि से बहुत लाभकारी माना जाता है। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स हमें आज बता रहे हैं कि तिलक लगाने से जुड़े कौन से नियम हैं जिनका पालन करना चाहिए, तिलक लगाते समय क्या बोलना चाहिए, तिलक लगाने से कौन से लाभ मिलते हैं आदि।

तिलक लगाने के क्या नियम हैं?

tilak lagane ka kaun sa mantra hai

तिलक लगाते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए जैसे कि स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही तिलक लगाएं, तिलक हमेशा माथे के मध्य भाग में अनामिका उंगली यानी कि रिंग फिंगर से लगाना शुभ माना जाता है, खड़े होकर या लेटे हुए तिलक नहीं लगाना चाहिए और तिलक लगाते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अपनी धार्मिक परंपरा और इष्ट देव के अनुसार तिलक का प्रकार और सामग्री जैसे चंदन, कुमकुम, भस्म का चुनाव करना चाहिए और तिलक लगाते समय उचित मंत्र का जाप करना चाहिए।

तिलक लगाते हुए क्या बोलें?

tilak ka kaun sa mantra hai

माथे पर चंदन का तिलक लगाते समय 'केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम' मंत्र बोला जाता है। वहीं, कंठ पर तिलक लगाते समय 'ॐ श्री गोविंदाय नमः' मंत्र का जाप किया जाता है। छाती पर तिलक लगाते समय 'ॐ श्री माधवाय नमः', दाहिनी भुजा पर तिलक लगाते समय 'ॐ गोविन्दाय नमः', बाईं भुजा पर तिलक लगाते समय 'ॐ विष्णवे नमः' और शिखा पर 'ॐ श्री वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप किया जाता है। इसके अलावा, ब्राह्मण द्वारा यजमान को तिलक करते समय अलग मंत्र बोले जाते हैं, गायत्री मंत्र और गोविद मंत्र का उच्चारण भी तिलक लगाते समय होता है।

ॐ आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणाः। तिलकान्ते प्रयच्छन्तु धर्मकामार्थसिद्धये: इस मंत्र का उच्चारण तब किया जाता है जब पूजा-पाठ या हवन आदि के दौरान ब्राह्मण द्वारा यजमान का तिलक किया जाता है। वहीं, ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् मंत्र का उच्चारण तब करते हैं जब महायज्ञ के दौरान तिलक लगाया जाता है। केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम। पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु। कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम्। ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम्:, इस मंत्र का उच्चारण रोजाना तिलक लगाते समय करना चाहिए।

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तिलक लगाते हुए मंत्र बोलने के क्या लाभ हैं?

mantra we should chant while applying tilak

रोजाना तिलक लगाने से आज्ञा चक्र के सक्रिय होने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है और स्मरण शक्ति मजबूत होती है। तिलक लगाने से मन शांत रहता है और तनाव कम होता है। यह भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। तिलक नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है और सकारात्मक विचारों को आकर्षित करता है। तिलक से चेहरे पर तेज और आकर्षण बढ़ता है। विभिन्न प्रकार के तिलक अलग-अलग ग्रहों और देवी-देवताओं से संबंधित होते हैं, जिन्हें लगाने से भाग्य और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • किस समय तिलक लगाना चाहिए?

    तिलक नियमित पूजा-पाठ, शुभ कार्य एवं धार्मिक समारोहों के दौरान लगाया जाता है।