
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इसे दत्तात्रेय जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष माह को भगवान कृष्ण ने अपना स्वरूप बताया है इसलिए इस पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करना और दान-पुण्य करना अक्षय फलदायी माना जाता है जिसका अर्थ है कि इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल कभी खत्म नहीं होता। इस व्रत को रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह दिन अन्नपूर्णा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है जिससे घर में अन्न की कमी दूर होती है। पूर्णिमा तिथि होने के कारण इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष विधान है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा, क्या है इस दिन स्नान-दान एवं पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व?
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 दिसंबर को गुरुवार के दिन सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 5 दिसंबर को शुक्रवार के दिन सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर होगा। यूं तो उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा तिथि 5 दिसंबर को मनाई जानी चाहिए, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा 4 दिसंबर को होगी।
असल में पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान-दान और मां लक्ष्मी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त के अलावा अभिजीत मुहूर्त, संध्या काल या फिर निशिता मुहूर्त में किए जाते हैं। ऐसे में यह तीनों मुहूर्त 4 दिसंबर को उपलब्ध हैं। यही कारण है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्नान-दान और लक्ष्मी पूजन दिसंबर की 4 तारीख को किया जाना शुभ रहेगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और दान करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। स्नान और दान के लिए सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। 4 दिसंबर 2025 को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 06 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। हालांकि, पूर्णिमा तिथि बाद में शुरू होगी।
ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 4 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 54 मिनट से सुबह 9 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त के दौरान पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो जाएगा जिससे स्नान-दान समेत सभी अन्य पुण्य कर्मों का शुभ फल पूर्णिमा तिथि के अंतर्गत गिना जाएगा।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा का विशेष महत्व मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यानारण भगवान की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और संपन्नता का वास बना रहता है। सत्यनारायण पूजा का शुभ मुहूर्त सुभ 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है खासकर शाम के समय की गई पूजा बहुत फलदायी होती है। ऐसे में जहां एक ओर 4 दिसंबर को सुबह के समय मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट है जो अभिजित मुहूर्त रहेगा।
वहीं, दूसरी ओर लक्ष्मी पूजन के लिए संध्या काल का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 07 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। यह समय प्रदोष काल है जिसमें माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त होती है। इस समय पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में स्थायी वास करती हैं।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के व्रत और पूजा के कई बड़े लाभ बताए गए हैं। सबसे प्रमुख लाभ यह है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रौशनी में पवित्र नदी में स्नान से रोगों का नाश होता है।
इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से भक्तों को धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन किया गया दान और शुभ कार्य अक्षय फल देता है यानी उसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और चंद्र पूजन से घर में धन-धान्य बढ़ता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
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