आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी को बहुत पुण्यकर माना जाता है क्योंकि इस एकादशी का व्रत रखने से अध्यात्मिक उन्नति होती है, ध्यान और योग के माध्यम से भगवत ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है एवं इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा से मानसिक बल मिलता है जिसके कारण व्यक्ति की निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है और उसकी भीतर की चेतना भी जागृत होती है या यूं कहें कि मजबूत होती है।
सरल शब्दों में समझाएं तो योगिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की इन्ट्यूशन पॉवर बढ़ती है। इसी कारण से इस व्रत के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करते हुए ध्यान लगाना बहुत आवश्यक माना गया है। वहीं, दूसरी ओर इस दिन भगवान विष्णु की आराधना के दौरान विशेष दीया जलाने का भी महत्व और लाभ है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष कौन सा दीया जलाएं और क्या हैं उससे मिलने वाले लाभ।
योगिनी एकादशी 2025 भगवान विष्णु के समक्ष कौन सा दीया जलाएं?
योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सामने पूजा के दौरान गेंदे के फूल और कपूर का दीया जलाना चाहिए। गेंदे का फूल बृहस्पति ग्रह से संबंधित माना जाता है। बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि, सौभाग्य, संतान और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। वहीं, कपूर को ज्योतिष में शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है। शुक्र ग्रह ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि, सौंदर्य, प्रेम और दांपत्य जीवन का कारक है।
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ऐसे में भगवान विष्णु के सामने गेंदे के फूल और कपूर का दीया जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है, शिक्षा में सफलता मिलती है और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। यह दीया जलाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गेंदे के फूल और कपूर का दीया जलाने से श्री हरि प्रसन्न हो जाते हैं।
भगवान विष्णु के सामने गेंदे के फूल और कपूर का दीया जलाने से संतान संबंधी समस्याओं और विवाह में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु के सामने गेंदे के फूल और कपूर का दीया जलाने से क्ति के भीतर के अहंकार का नाश होता है और विनम्रता बढ़ती है। शांति का अनुभव होता है और मानसिक तनाव कम होता है। चूंकि भगवान विष्णु पितरों के देवता हैं, ऐसे में इससे पितृ दोष भी दूर होता है।
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