हिन्दू धर्म में शिवलिंग पूजा का विशेष विधान मौजूद है। शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग पूजा के दौरान कई नियमों का पालन करना पड़ता है नहीं तो पूजा में दोष उत्पन्न होता है और शुभ फलों की प्राप्ति नहीं हो पाती है। ऐसा ही एक नियम है शिवलिंग पर चढ़े हुए प्रसाद से संबंधित। मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद कभी नहीं खाना चाहिए। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण।
क्या वाकई नहीं खाना चाहिए शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद?
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब भी कोई व्यक्ति किसी भी देवी- या देवता को कुछ अर्पित करता है तो उस प्रसाद के कई भाग होते हैं तो अलग-अलग देवी-देवताओं को स्वतः ही चले जाते हैं।
हर देवी-देवता का व्यक्ति द्वारा भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद में एक हिस्सा होता है। ठीक ऐसे ही शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद चंडेश्वर भगवान को जाता है जो भगवान शिव के ही एक अंश माने जाते हैं।
चंडेश्वर भगवान शिव जी के मुख से उत्पन्न हुए थे और स्वभाव से बहुत क्रोधी हैं। चंडेश्वर भगवान को भूत-पिशाचों का देवता माना जाता है। चंडेश्वर भगवान को ही शिवलिंग पर चढ़ाया प्रसाद अर्पित होता है।
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ऐसा माना जाता है कि जो भी कोई व्यक्ति शिवलिंग पर चढ़ाया प्रसाद खाता है उस पर चंडेश्वर भगवान का क्रोध बरसता है। शिवलिंग पर चढ़ाए प्रसाद को लेकर एक मान्यता और भी है।
धार्मिक मान्यता कहती है कि शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद मांस के समान हो जाता है क्योंकि वह चंडेश्वर भगवान के लिए होता है।अ सीए में उस प्रसाद को खाने से व्यक्ति में नकारात्मकता बढ़ती है।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जा सकते हैं कि आखिर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद खाना चाहिए या नहीं और अगर उस प्रसाद को कोई खा ले तो क्या होता है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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