हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल करव चौत का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ के दिन कई तरह के रिवाजों का पालन किया जाता है। इन्हीं में से एक है छलनी पर दीया रखने की परंपरा। असल में, करवा चौथ के दिन जब रात के समय चंद्रमा की पूजा की जाती है तब छलनी पर दीया रखा जाता है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा के दौरान छलनी पर दीया जलाने का बहुत खास महत्व है। छलनी जिसे आमतौर पर अनाज साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इस दिन बाधाओं को छानने और अशुभ ऊर्जा को दूर रखने का प्रतीक बन जाती है। महिलाएं छलनी में दीया रखकर, पहले उस दीये की रोशनी में चंद्रमा को देखती हैं।
दीया यहां प्रकाश, ज्ञान और शुभता का प्रतिनिधित्व करता है जो अंधेरे को दूर करता है। इसके बाद, उसी छलनी से पति का चेहरा देखना यह सुनिश्चित करता है कि पति के जीवन में कोई बुरी नजर या परेशानी न आए और उनका वैवाहिक जीवन प्रकाशमय और सुरक्षित बना रहे। यह क्रिया पति की दीर्घायु और सुरक्षा की कामना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में कई बार चंद्रमा की पूजा करते हुए दीपक बुझ जाता है और अपशकुन सोचकर मन में घबराहट होने लगती है। तो चलिए जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि करवा चौथ के दिन दीपक का बुझना क्या संकेत देता है।
करवा चौथ के दिन छलनी पर जलाया हुआ दीपक बुझ जाना एक ऐसी घटना है, जिसे लेकर महिलाओं के मन में अक्सर चिंता और कई तरह की मान्यताएं जन्म लेने लगती हैं। तिषीय दृष्टिकोण से इसका क्या मतलब हो सकता है, यह जानना बहुत आवश्यक है।
ज्योतिष शास्त्र में दीपक को पवित्रता, प्रकाश और सात्विक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। किसी भी पूजा या अनुष्ठान में दीपक का जलते रहना शुभता और कामनाओं की पूर्ति का संकेत होता है। ऐसे में, करवा चौथ जैसी महत्वपूर्ण पूजा के दौरान छलनी पर रखा दीपक बुझ जाए तो इसे तुरंत किसी बड़े संकट या अशुभ संकेत के रूप में नहीं देखना चाहिए।
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पूजा के दौरान दीपक का बुझना इस बात का संकेत हो सकता है कि आसपास कुछ नकारात्मक ऊर्जा मौजूद है जिसे शांत करने की आवश्यकता है। यह नकारात्मक ऊर्जा वातावरण की बाधाओं या किसी प्रकार के दोष के रूप में हो सकती है। ऐसी स्थिति में, यह माना जाता है कि देवी-देवताओं ने छोटी सी चेतावनी दी है ताकि आप सतर्क रहें और तुरंत उचित उपाय कर सकें।
कभी-कभी यह घटना ग्रहों की अस्थिरता या पूजा करने वाले व्यक्ति के आसपास के ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव के कारण भी हो सकती है। इसे पति के जीवन में आने वाली छोटी-मोटी रुकावटों का संकेत माना जा सकता है, लेकिन यह कोई गंभीर या दीर्घकालिक समस्या नहीं होती है। अगर छलनी पर रखा दीपक किसी भी कारणवश बुझ जाता है तो आपको घबराना बिल्कुल नहीं चाहिए क्योंकि इसका सरल निवारण पूजा में ही निहित है।
सबसे पहला और महत्वपूर्ण उपाय यह है कि शांति बनाए रखें और तुरंत उसी दीपक को फिर से जला दें। दीपक को फिर से जलाना इस बात का प्रतीक है कि आप सकारात्मकता और शुभता को फिर से स्थापित कर रहे हैं। दीपक जलाने के बाद, हाथ जोड़कर करवा माता, शिव-पार्वती और चंद्रमा से अनजाने में हुई गलती या दोष के लिए क्षमा मांगें।
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मन में यह संकल्प लें कि आप पति की लंबी उम्र के लिए पूरी निष्ठा से पूजा कर रही हैं। इसके बाद, अपनी बाकी बची हुई पूजा विधि को पूरी श्रद्धा के साथ समाप्त करें। पूजा पूरी होने पर जब आप पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलें तो उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। पति का आशीर्वाद स्वयं में सबसे बड़ी सकारात्मक शक्ति होता है जो किसी भी अशुभ प्रभाव को खत्म कर देता है।
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