Vijaya Ekadashi Vrat Katha 2025: विजया एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, असफलता हो सकती है दूर

ऐसा माना जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत रख श्री हरि नारायण की पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है और भयंकर से भयंकर शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
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फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी इस साल 24 फरवरी, दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु के विजय रूप की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत रख श्री हरि नारायण की पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है और भयंकर से भयंकर शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। इसके अलावा, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें यह भी बताया कि विजया एकादशी के दिन पूजा के दौरान व्रत कथा पढ़ने या सुनने से भगवान विष्णु की असीम कृपा भी व्यक्ति को प्राप्त होने लगती है। ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या है विजया एकादशी की व्रत कथा।

विजया एकादशी की व्रत कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम अपनी वानर सेना के साथ लंका विजय के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तो उनका सबसे बड़ा सवाल था कि वे और उनकी सेना सागर पार कैसे करें। तब राम जी ने समुद्र देव की आराधना की और समुद्र देव ने सेतु बनाने का मार्ग सुझाया लेकिन बार-बार सेतु बनते-बनते टूट जाता था।

ऐसे में लक्ष्मण जी ने भगवान राम से कहा कि वह इस छोटी सी समस्या को लेकर परेशान क्यों हो रहे हैं, उनके पास इस समस्या का हल है और फिर लक्ष्मण जी श्री राम को अपने साथ समुद्र से थोड़ी दूरी पर स्थित ऋषि बकदाल्भ्य के आश्रम ले गए। जहां ऋषि ने श्री राम को आने वाली विशेष एकादशी तिथि का समरण कराया।

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ऋषि बकदाल्भ्य ने भगवान राम को कहा कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की जो एकादशी आ रही है उस दिन सम्पूर्ण वानर सेना के साथ भगवान विष्णु का व्रत रखते हुए उनकी पूजा करें। ऋषि ने बताया कि एक कलश पर पत्ते रखकर भगवान नारायण की मूर्ति या उनके किसी प्रतीक को स्थापित करें एवं उनकी विधिवत पूजा करें।

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एकादशी की रात्री से लेकर द्वादशी तिथि की सुबह तक विष्णु भजन या नाम जाप करें और द्वादशी के दिन दान-दक्षिणा करके सेतु बनाने का कार्य आरंभ करें। श्री राम ने ऐसा ही किया और उन्हें एवं उनकी सेना को राम सेतु बनाने में सफलता प्राप्त हुई। इसी के बाद इस एकादशी का नाम विजया एकादशी के नाम पर पड़ा।

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image credit: herzindagi

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