वट सावित्री व्रत पर क्या करें और क्या नहीं, जानें 10 खास बातें

वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत को करने का एक नियम है, साथ ही इस दिन व्रती को इन चीजों को करने की मनाही होती है।

 
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इस साल वट सावित्री का व्रत 19 मई को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में इस व्रत को ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा होती है, इसलिए इसे कई जगहों पर वट अमावस्या या बरगदी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस व्रत को उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखते हैं, तो वहीं दक्षिण भारत में इस व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा के नाम से रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और पति के लंबी आयु के लिए रखती हैं। यह तो रही वट सावित्री व्रत के बारे में थोड़ी जानकारी, लेकिन क्या आपको पता है कि यह व्रत रखने वालों को इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। व्रत वाले दिन महिलाओं ये गलतियां भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

वट सावित्री व्रत रखे हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान

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  • वट सावित्री का व्रत पत्नी अपने पति के लंबी आयु के लिए रखती हैं, इसलिए इस दिन पत्नियों को चाहिए कि वह अपने पति से कड़वा वचन न बोले, पति से झगड़ा न करें और ऐसा कोई भी काम न करें जिससे पति का अपमान हो या उसके मन को ठेस पहुंचे।
  • वट सावित्री व्रत के दिन तामसिक चीजों का सेवन करने से बचें, सहवास न करें और मांस-मदिरा के सेवन पति और पत्नी दोनों को नहीं करना चाहिए।
  • व्रत के दिन मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखें। किसी के लिए भी घृणा, ईर्ष्या करने से बचें।
  • व्रत वाले दिन महिलाओं सुहागिनों को सुहाग का सामानदान में दें, साथ ही अपने श्रृंगार और दान के लिए सफेद और काली रंग की चूड़ी, साड़ी, बिंदी का उपयोग न करें।
  • महिलाएं पूजन से पहले सोलह श्रृंगार करें और फिर पूजा करें, यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए है।
  • इस दिन वट वृक्ष की ही पूजा करें और पूजन के बाद अपने अखंड सौभाग्य एवं परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगे।
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  • पूजा के बाद कच्चा सूत से वट वृक्ष को बांध लें और 5, 7, 9,21, 51 या 108 परिक्रमा करें। परिक्रमा की गिनती के लिए सुहाग का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी और सिंदूर की पुड़िया का उपयोग कर सकते हैं।
  • इस व्रत का पारण भीगे हुए चने से किया जाता है, इसलिए सुबह 12 चने के दाने भिगो लें और इसे खाकर व्रत का पारण करें।
  • पूजा के बाद वट वृक्ष में सावित्री माता का स्मरण करते हुए सुहाग की चीजें चढ़ाएं और उसे किसी ब्राह्मण, सास, ननद या सुहागन स्त्री को दान में दें।
  • व्रत पारण में चने का उपयोग करें साथ ही फलहार के लिए बेसन से बनी चीजें, जैसे हलवा लड्डू या बर्फी का सेवन करें।

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Image Credit: Herzindagi

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