वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष का विशेष महत्व है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। बिना इसके पूजन के पूजा अधूरी मानी जाती है। वट सावित्री में बरगद के पेड़ की पूजा को लेकर मान्यता है कि इस वृक्ष की आयु लंबी होती है। इसलिए इसे अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है, वट सावित्री वाले दिन महिलाएं अपने पति के लंबे आयु की कामना करती हैं। इसके अलावा वट सावित्री पूजा करने से दांपत्य जीवन में चल रही सभी तरह की परेशानियां दूर होती है और सुखी वैवाहिक जीवन बना रहता है। परिवार में खुशहाली आती है और सभी तरह के कलेश दूर होते हैं।
ये तो रही वट सावित्री व्रत और पूजा की बात, जिसमें हमने आपको बताया कि इस व्रत में बरगद के पेड़ का क्या महत्व है। ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो वट सावित्री व्रत रखते हैं, लेकिन उन्हें पूजा के लिए वट वृक्ष नहीं मिल पाता है। ऐसे में ये लोग क्या करें, कैसे व्रत के साथ अपनी पूजा संपन्न कर सकते हैं, इसके बारे में हमने अपने पंडित जी से पूछा है। एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक ने हमें बताया है कि यदि वट सावित्री वाले दिन बरगद का पेड़ न मिले तो क्या करना चाहिए। किस चीज की पूजा करने पूजन का पूरा फल मिलेगा सब कुछ। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में...
वट वृक्ष न मिले तो क्या करें?
वट सावित्री वाले दिन पूजा के लिए वट वृक्ष न मिले तो आप वट सावित्री व्रत वाले दिन से एक दिन पहले बरगद की छोटी डाली या टहनी काटकर मंगवा लें। अब इसे पूजा वाले दिन जिस प्रकार से आप बरगद के पेड़ का पूजा करती हैं, उसी तरह से ही पूजा कर सकती हैं। आपको पेड़ के पूजन के समान ही पूजा का फल मिलेगा।
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बरगद की टहनी या डील न मिलने पर क्या करें?
पंडित जी ने इसका भी उपाय बताया है। यदि आपको पूजा के लिए पेड़, डाली या टहनी भी नहीं मिल पा रही है, तो आप तुलसी के पौधे के नीचे वट सावित्री व्रतऔर पूजन के सारे नियम के साथ पूजा कर सकते हैं। तुलसी माता की पूजा करने से पहले उनसे सारी कामना कहते हुए पूजन शुरू करें और पूजा करने के बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए माता से आशीर्वाद लें।
यदि तुलसी का पौधा भी न हो तो क्या करें?
वट सावित्री व्रत रखा है और पूजन के लिए वट वृक्ष, तुलसी का पौधा और बरगद की डाली या चहनी ये तीनों नहीं मिल पा रही है, तो अपने घर के पूजा स्थान में जमीन को गोबर, गंगाजल या हल्दी पानी से पोंछ लें। अब हल्दी और आटा से चौक बनाकर कलश स्थापना करें, साथ ही मार्केट से वट सावित्री पूजा की तस्वीर लाकर कलश के पास रखें। पूजा के लिए गौरी गणेश और नवग्रह बनाकर एक नारियल रखें। पूजन शुरू करें और कथा, आरती एवं परिक्रमा के साथ पूजा संपन्न करें। पूजा होने के बाद सभी प्रसाद और शरबत बांटकर बड़ों का आशीर्वाद लें।
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