
वैकुंठ एकादशी हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक है जिसे मुख्य रूप से दक्षिण भारत में 'मुक्कोटी एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के धाम 'वैकुंठ' के द्वार भक्तों के लिए खुलते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरी श्रद्धा से व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। यह एकादशी केवल व्रत तक सीमित नहीं है बल्कि यह आत्म-शुद्धि का प्रतीक है।
पद्म पुराण के अनुसार, इसी दिन देवी एकादशी ने राक्षस 'मुर' का वध किया था जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इस तिथि को वरदान दिया था। दक्षिण भारत के मंदिरों में इस दिन एक विशेष द्वार बनाया जाता है जिसे 'वैकुंठ द्वार' कहते हैं जहां से गुजरना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, वृंदावन के रंगनाथ जी मंदिर में इस दिन दूर-दूर से साधु-संत आते हैं क्योंकि यहां भी एक वैकुंठ द्वार मौजूद है जिसके लिए कहा जाता है कि इसे हर कोई पार नहीं कर पाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है वैकुंठ एकादशी और क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त?
साल 2025 में वैकुंठ एकादशी की तारीख को लेकर विशेष संयोग बन रहा है। पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर 2025, मंगलवार के दिन को मनाई जाएगी। चूंकि यह साल की आखिरी एकादशी होगी, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

वैकुंठ एकादशी तिथि का आरंभ 29 दिसंबर 2025 को रात 10 बजकर 15 मिनट से होगा और इसका समापन 30 दिसंबर 2025 को रात 09 बजकर 40 मिनट पर होगा। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, व्रत और मुख्य पूजा 30 दिसंबर को ही की जाएगी।
वैकुंठ एकादशी पर पूजा का सबसे उत्तम समय 'ब्रह्म मुहूर्त' और सुबह का समय माना जाता है। 30 दिसंबर 2025 को सुबह 05:24 से लेकर 07:13 तक का समय आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ है। इस दौरान भगवान विष्णु का अभिषेक और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी होता है।
व्रत के पारण का समय भी उतना ही महत्वपूर्ण है। एकादशी व्रत का पारण 31 दिसंबर 2025 को सुबह 07:14 से 09:18 के बीच करना चाहिए। पारण के समय हरि वासर (द्वादशी की पहली चौथाई अवधि) समाप्त होना आवश्यक है तभी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
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इस पावन तिथि पर व्रत करने से साधक को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं। यह व्रत व्यक्ति के संचित पापों का नाश करता है और मन को शांति प्रदान करता है। इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करने से नकारात्मकता दूर होती है।

घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार, वैकुंठ एकादशी का फल अन्य सभी 23 एकादशियों के बराबर होता है, इसलिए जो लोग पूरे साल व्रत नहीं रख पाते, वे केवल इस एक एकादशी का पालन करके अक्षय पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
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