pitru paksha ka bhog sabse pehle kise lagate hain

Pitru Paksha Bhog: पितृपक्ष के दौरान सबसे पहला भोग किसे लगाया जाता है? अब तक नहीं दिया ध्यान तो आज जान लें

अक्सर यह देखा जाता है कि श्राद्ध के भोजन का पहला हिस्सा गाय, कौवे और कुत्तों को दिया जाता है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार, इन सभी से पहले भोजन का एक अंश किसी और को भी चढ़ाया जाता है। 
Editorial
Updated:- 2025-09-15, 14:31 IST

जब भी पितृपक्ष का समय आता है तो हम अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं। इन अनुष्ठानों में श्राद्ध भोजन एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो पितरों को समर्पित किया जाता है। अक्सर यह देखा जाता है कि श्राद्ध के भोजन का पहला हिस्सा गाय, कौवे और कुत्तों को दिया जाता है। लेकिन, धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार, इन सभी से पहले भोजन का एक अंश अग्नि देव को समर्पित किया जाता है। आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर क्यों पितृपक्ष के दौरान सबसे पहला भोग अग्नि देव को लगाया जाता है।

श्राद्ध पक्ष के दौरान सबसे पहले भोग अग्नि देव को क्यों लगाते हैं?

सनातन धर्म में अग्नि को पंच तत्वों में से एक माना गया है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। अग्नि को देवताओं और पितरों तक संदेश पहुंचाने वाला दूत माना जाता है। जब हम अग्नि में भोजन का एक अंश डालते हैं तो यह सीधे पितरों तक पहुंचता है। यह एक प्रतीकात्मक क्रिया है जो यह दर्शाती है कि हम अपने पितरों को सबसे पहले भोजन अर्पित कर रहे हैं।

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ज्योतिष शास्त्र में, अग्नि को सूर्य का प्रतिनिधि माना जाता है। सूर्य आत्मा और पितरों का कारक है। पितृपक्ष के दौरान सूर्य कन्या राशि में होता है जो पितरों का घर माना जाता है। इस दौरान अग्नि में भोजन अर्पित करने से पितरों को सीधे ऊर्जा मिलती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यह एक तरह का 'तर्पण' है जो सीधे पितरों तक पहुंचता है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अग्नि को भोजन अर्पित करने की यह प्रथा सदियों पुरानी है। यह कर्मकांड वेदों में भी वर्णित है। जब हम अग्नि में भोजन डालते हैं तो इसे अग्निहोत्र कहा जाता है जो एक पवित्र अनुष्ठान है। ऐसा माना जाता है कि इस क्रिया से न केवल पितरों की आत्मा तृप्त होती है बल्कि घर में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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अग्नि को भोग लगाने के बाद ही भोजन का एक हिस्सा गाय, दूसरा कौवे और तीसरा कुत्तों को दिया जाता है जो पितरों के प्रतीक माने जाते हैं। इस तरह, सबसे पहले अग्नि को भोग लगाकर हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे द्वारा किया गया श्राद्ध सही ढंग से पितरों तक पहुंचे। बिना अग्नि को भोग लगाए भोजन पितृ स्वीकार नहीं करते हैं।

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image credit: herzindagi 

FAQ
पितृपक्ष के दौरान क्या तुलसी तोड़नी चाहिए?
पितृपक्ष के दौरान तुलसी तोड़ने से बचना चाहिए।
क्या पितृपक्ष के दौरान मंदिर जाना चाहिए?
हां, पितृपक्ष के दौरान मंदिर जाना शुभ माना जाता है।
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