महाराष्ट्र के इस मंदिर में पत्थर बताता है लोगों का भविष्य, जानें क्या है चिंतामणि का रहस्य

जहां एक ओर इस मंदिर को लेकर लोगों में बहुत आस्था है तो वहीं, दूसरी ओर इस मंदिर से जुड़े एक रहस्यमयी पत्थर को लेकर भी अत्यधिक मान्यताएं हैं। 
What is the Chintamani stone in Maharashtra

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो बेहद चमत्कारी हैं, इन मंदिरों से जुड़े कई गहरे रहस्य मौजूद हैं और इन मंदिरों में दर्शन करने से व्यक्ति को कई लाभ भी मिलते हैं। ठीक ऐसे ही एक मंदिर का वर्णन मिलता है जो महाराष्ट्र में स्थापित है। जहां एक ओर इस मंदिर को लेकर लोगों में बहुत आस्था है तो वहीं, दूसरी ओर इस मंदिर से जुड़े एक रहस्यमयी पत्थर को लेकर भी अत्यधिक मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाराष्ट्र के इस मंदिर से जुड़ा वो पत्थर न सिर्फ भविष्य बताता है बल्कि ये भी उत्तर देता है कि मांगी गई मनोकामना पूरी होगी या नहीं। आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्या है माहाराष्ट्र के तुलजा भवानी मंदिर का महत्व?

Tulja Bhavani history

महाराष्ट्र के तुलजा भवानी मंदिर का बहुत अधिक महत्व है। यह मंदिर महाराष्ट्र के प्रमुख साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। तुलजा भवानी को छत्रपति शिवाजी महाराज की कुल देवी के रूप में भी पूजा जाता है, और माना जाता है कि देवी ने उन्हें अपनी तलवार प्रदान की थी, जिससे उन्होंने मुगलों के खिलाफ लड़ाई जीती। आज भी कई मराठा परिवार तुलजा भवानी को अपनी कुलदेवी मानते हैं और मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

यह मंदिर प्राचीन दंडकारण्य वनक्षेत्र में यमुनांचल पर्वत पर स्थित है और माना जाता है कि यहां देवी की मूर्ति स्वयंभू है, यानी यह स्वयं प्रकट हुई है। इस मूर्ति की एक और विशेषता यह है कि यह स्थायी रूप से स्थापित नहीं है, बल्कि इसे साल में तीन बार मंदिर के परिसर में घुमाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना यहां पूरी होती है और माता अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

मंदिर की वास्तुकला हेमदपंथी शैली से प्रभावित है और इसमें प्रवेश करते ही दो विशाल महाद्वार दिखाई देते हैं। मंदिर में कल्लोल तीर्थ है, जिसमें 108 तीर्थों का जल मिला हुआ है, और गोमुख तीर्थ है, जहां से लगातार पानी बहता रहता है।

Tulja Bhavani Photo

क्या है चिंतामणि पत्थर का रहस्य?

तुलजा भवानी मंदिर से एक चिंतामणि पत्थर का भी संबंध बताया जाता है, हालांकि यह मंदिर के अंदर स्थापित नहीं है। चिंतामणि पत्थर को लेकर कई रहस्य और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से प्रमुख मान्यता है जो लोगों के बीच प्रचलित है वो यह कि अगर इस पत्थर के बीचों-बीच एक रुपए का सिक्का चिपकाकर अपनी मनोकामना बोली जाए और फिर पत्थर पर हाथ रखा जाए तो इससे पता चलता है कि इच्छा पूरी होगी या नहीं।

दाएं घूमने पर पत्थर जवाब देता है कि इच्छा पूरी होगी और बाएं घूमने पर पत्थर बताता है कि इच्छा पूरी नहीं होगी। इसके अलावा, कुछ लोगों का मानना है कि यह एक पारस पत्थर की तरह है जो लोहे को भी सोना बना सकता है, जबकि कुछ इसे इच्छापूर्ति करने वाला दिव्य रत्न मानते हैं। पौराणिक कथाओं में चिंतामणि का उल्लेख मिलता है।

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बौद्ध धर्म ग्रंथों में इसे महान शक्ति और ज्ञान का प्रतीक माना गया है, जिसे अवलोकितेश्वर और क्षितिगर्भ जैसे बोधिसत्वों द्वारा धारण किया जाता है। हिंदू धर्म में इसे भगवान विष्णु के कौस्तुभ मणि से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस पत्थर में अद्भुत शक्तियां हैं और यह धारण करने वाले की इच्छाओं को पूरा कर सकता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकता है और आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकता है।

Tulja Bhavani Temple Kolhapur distance

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • तुलजा भवानी मंदिर में स्थापित माता का कैसा स्वरूप है?

    तुलजा भवानी मंदिर में माता तुलजा भवानी का अष्टभुजी स्वरूप स्थापित है। यह मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है और शालीग्राम पत्थर से निर्मित है।