मंगला गौरी पूजन के बाद करें श्री भगवती स्तोत्र का पाठ, पूरी होगी हर कामना

सावन माह के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। ऐसे में मंगला गौरी व्रत में मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए भगवती स्तोत्र का पाठ जरूर करें।  

 
Benefits of Shri Bhagwati Stotram

सावन मास के मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है, कल यानी 12 अगस्त को इस साल का आखिरी मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। मंगला गौरी का व्रत कुवांरी लड़कियां और सुहागन महिलाएं अच्छे वर एवं पति की लंबी आयु और तरक्की के लिए रखती हैं। मंगला गौरी मां आदिशक्ति पार्वती का ही रूप है, जिसे सावन में मंगला गौरी के रूप में पूजा जाता है। मंगला गौरी पूजा के बाद मां को प्रसन्न करने के लिए मां भगवती स्तोत्र का जरूर पाठ करना चाहिए। हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट पंडित शिवम पाठक ने भगवती स्तोत्र के पाठ करने के लाभ के बारे में भी बताया है, चलिए जानते हैं विस्तार से...

भगवती स्तोत्र का पाठ

Shri Bhagwati Stotram Benefits,

जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।

जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवी नरार्तिहरे ।।1।।

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे, जय पावकभूषितवक्त्रवरे ।

जय भैरवदेहनिलीन हरे, जय अंधकदैत्यविशोषकरे ।।2।।

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे, जय लोकसमस्तकपापहरे ।

जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।।3।।

जय षण्मुखसायुधईशनुते, जय सागरगामिनि शम्भुनुते ।

जय दुःखदरिद्रविनाशकरे, जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे ।।4।।

जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।

जय देवि समस्तशरीरधरे, जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे ।।5।।

जय व्याधिविनाशिनि मोक्षकरे, जय वांछितदायिनि सिद्धिवरे ।

जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।। 6।।

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि: ।

ग्रहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा ।।7।।

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भगवती स्तोत्र का पाठ लाभ

Shri Bhagwati Stotram Benefits, ()

  • नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षा मिलती है।
  • जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में मदद करता है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • घर का वातावरण पवित्र और शांतिमय बनता है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

पाठ करने की विधि:

  • भगवती स्तोत्र का पाठ प्रातः काल या संध्या के समय करना शुभ माना जाता है।
  • पाठ से पहले देवी माँ की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर उनका ध्यान करें।
  • शुद्ध स्थान पर बैठकर मन को शांत करके पाठ करें।

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Image Credit: Freepik

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