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जन्माष्टमी पर नहीं लग रहा है रोहिणी नक्षत्र, इस विशेष काल में करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा

Krishna Janmashtami Puja: कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां होनी शुरू हो गई है। हर कोई पूजा के साथ-साथ मुहूर्त का खास ध्यान रख रहा है, ताकि वो भी लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव को अच्छे से मना सके। आर्टिकल में बताते हैं रोहिणी नक्षत्र के अलावा किस काल में आप पूजा कर सकते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-08-15, 21:11 IST

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। इस त्योहार की तैयारियां लोग काफी समय पहले से करने लगते हैं। साथ ही, पूजा किस तरह और किस समय होगी इसकी जानकारी पंडित जी से जाकर लेते हैं। हमने भी पंडित जन्मेश द्विवेदी जी से जाना कि अगर रोहिणी नक्षत्र में पूजा नहीं कर पाएं तो कैसे लड्डू गोपाल की पूजा जन्माष्टमी में करें। ऐसा इसलिए क्योंकि 16 तारीख को रात के समय रोहिणी नक्षत्र नहीं लग रहा है। अगली सुबह 17 को यह नक्षत्र कुछ समय के लिए आ रहा है। ऐसे में क्या निशिता काल में पूजा कर सकते हैं। आर्टिकल में बताते हैं पंडित जी की बताई गई जानकारी, ताकि आप भी अपने कान्हा के जन्मोत्सव की पूजा अच्छे से कर सके।

रोहिणी नक्षत्र क्या होता है और महत्व?

रोहिणी नक्षत्र को भगवान श्री कृष्ण का जन्म नक्षत्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र में पूजा करने से भक्तों के मन की सभी इच्छाएं पूरी होती है। साथ ही, भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार यह नक्षत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शुभ माना जाता है। इसलिए हर साल इसी नक्षत्र में जन्माष्टमी में पूजा की जाती है। इसलिए लोग इसमें ही पूजा करना शुभ मानते हैं।

Krishna janmashmati pujan

रोहिणी नक्षत्र न हो तो किस काल में करें पूजा?

हर साल जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा रोहिणी नक्षत्र में होती है। लेकिन इस बार यह नक्षत्र अष्टमी के दिन नहीं लग रहा है। 17 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र सुबह के समय लग रहा है। ऐसे में व्रत वाले दिन रात के समय निशिता काल लग रहा है। आप इसमें भी पूजा कर सकते हैं। निशिता काल भी शुभ माना जाता है। साथ ही, अत्यंत फलदायी होता है। लेकिन आप चाहें तो व्रत का पारण 17 की सुबह रोहिणी नक्षत्र में कर सकते हैं। इससे भी आपका व्रत और पूजा पूरी मानी जाएगी।

निशिता काल में कैसे करें जन्माष्टमी की पूजा?

  • इसके लिए आपको पूजा स्थल को साफ करके इसे फूलों के साथ सजाना है।
  • फिर आपको सजाएं हुए स्थान पर झूला रखना है।
  • 12 बजे निशिता काल में मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक करें। इसके बाद झूले पर बैठाएं।
  • फिर इनके सामने भोग का प्रसाद माखन-मिश्री, पंजीरी, पंचामृत, फल आदि रखें।
  • अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।
  • फिर अपना व्रत खोले।

Janmashtami pujan

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निशिता काल में पूजा करने से मिलते हैं ये फल

  • अगर आप निशिता काल में भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं तो इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • आपके रुके हुए सारे काम संपन्न होते हैं।
  • जीवन में आने वाली बाधाओं से निकलने का रास्ता मिलता है।

अगर जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है, तो निशिता काल में भी आप पूजा कर सकते हैं। इससे भी आपकी पूजा पूरी मानी जाएगी। आस्था और भक्ति के साथ की गई आराधना में नक्षत्र की कमी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि भगवान कृष्ण का आशीर्वाद वैसे ही मिलता है जैसे मिलता आया है।

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FAQ
रोक्षिणी नक्षत्र के अलावा किस काल में कर सकते हैं पूजा?
आप इस साल जन्माष्टमी की पूजा निशिता काल में कर सकते हैं।
जन्माष्टमी पर कैसे करें पूजा?
लड्डू गोपाल को स्नान कराकर आरती करें। इससे पूजा संपन्न हो जाएगी।
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