(Shardiya Navratri 2023) हिंदू पंचांग के अनुसार दिनांक 21 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। इससे व्यक्ति को रोगदोष और सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। मां कालरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है। अब ऐसे में इस दिन मां कालरात्रि की किस विधि से पूजा की जाती है, मंत्र क्या है, क्या भोग लगाएं।
इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें कौन है मां कालरात्रि (Who is Maa Kalratri)
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। इस दिन मां के सप्तम स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। मां कालरात्रि की पूजा रात्रि के समय करना शुभ माना जाता है। बता दें, शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए मां ने कालरात्रि के रूप को धारण किया था।
मां कालरात्रि का रंग कृष्ण (भगवान कृष्ण मंत्र) वर्ण का है। इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। मां के तीन नेत्र हैं। मां कालरात्रि को शुंभकारी के नाम से जाना जाता है। भूत, प्रेत और संकटों के निवारण के लिए मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को लाभ हो सकता है।
इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा (Maa Kalratri Puja vidhi)
मां कालरात्रि की पूजा दो विधि से की जाती है। पहला शारदीय पूजा और दूसरा तंत्र-मंत्र पूजा के लिए की जाती है। गृहस्थ लोग शास्त्रीय विधि से पूजा करते हैं। देवी की पूजा में नीले रंग का उपयोग करना बेहद शुभ माना जाता है। मां दुर्गा के सप्तशती का पाठ करें और पूजा की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए रात्रि में स्नान कर लाल वस्त्र पहनें और इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
"ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ''। उसके बाद देवी की आरती करें। सच्चे मन से देवी की पूजा करें। इससे शुभ परिणाम मिल सकते हैं।
मां कालरात्रि के इस मंत्र का करें जाप (Maa Kalratri Mantra)
अगर आपके किसी प्रकार की कोई परेशानी आ रही है, तो मां कालरात्रि की पूजा विधिवत करें और इन मंत्रों का विशेष जाप करें।
- बीज मंत्र - क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:
- मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
- प्रार्थना मंत्र - एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
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मां कालरात्रि स्तोत्र और कवच (Maa Kalratri Stotra)
मां कालरात्रि स्तोत्र और कवच का पाठ जरूर करें।
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
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मां कालरात्रि को लगाएं ये भोग (Maa Kalratri Bhog)
मां कालरात्रि को गुड़ (गुड़ के उपाय)का भोग जरूर लगाएं। इससे शत्रु और विरोधियों पर विजय प्राप्त हो सकती है और व्यक्ति के सभी काम बनने लग जाएंगे।
मां कालरात्रि को चढ़ाएं ये फूल (Maa Kalratri Flower)
मां का रंग काली रात की तरह है। वहीं माता को रात में खिलने वाले फूल बेहद प्रिय हैं। इसलिए माता की पूजा में रात रानी का फूल जरूर अर्पित करें। इससे मृत्यु भय समाप्त हो जाता है।
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