(sharad purnima 2023) सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन धन और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और अमृत की वर्षा करते हैं। इसलिए इस दिन चंद्रदेव की पूजा भी की जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। बता दें, इस बार शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग भी बनने जा रहा है।
इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा किस मुहू्र्त में करना शुभ माना जाता है और कौन से शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इसके बारे में जानना जरूरी है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
शरद पूर्णिमा तिथि
हिंदू पंचांग मे शरद पूर्णिमा अश्विन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। वहीं इस बार पूर्णिमा तिथि दिनांक 28 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 18 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 29 अक्टूबर को मध्यरात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक है। इसलिए पूजा और व्रत दिनांत 28 अक्टूबर को होगी।
शरद पूर्णिमा शुभ योग
इस साल शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहा है। दिनांक 28 अक्टूबर दिन शनिवार को गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग और सिद्धि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है।
शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण
इस साल का अंतिम चंद्र (चंद्रदोष उपाय) ग्रहण भी शरद पूर्णिमा की रात को लग रहा है और यह चंद्र ग्रहण भारत में नजर आएगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य है। बता दें, चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाएगा। इसलिए इससे पहले पूजा करना शुभ रहेगा।
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जानें शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन रात्रि में पूजा के 4 शुभ मुहूर्त हैं। इन मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
- शुभ-उत्तम मुहूर्त - सुबह 07 बजकर 54 मिनट से लेकर 09 बजकर 15 मिनट तक है।
- चर- सामान्य मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से लेकर 01 बजकर 28 मिनट तक है।
- लाभ-उन्नति मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 28 मिनट से लेकक 02 बजकर 52 मिनट तक है।
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से लेकर 04 बजकर 16 मिनट तक है।
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जानें शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात को अमृत वर्षा होती है। क्योंकि उस समय चंद्रमा अपनी कलाओं से युक्त होकर अमृत वर्षा करता है। इसलिए इस दिन रात्रि में खुले आसमान के नीचे खीर रखते हैं और जब उसपर चंद्रमा की अमृत गुण से युक्त किरणें पड़ती है, तब वह खीर अमृत बन जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और कुंडली में स्थित चंद्रदोष से भी छुटकारा मिल जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि रात्रि में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर पधारती हैं और पूछती हैं कि कौन जाग रहा है? इसलिए इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण (श्रीकृष्ण मंत्र) ने महारास रचाया था। इसलिए शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
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