शनि जयंती का पर्व भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को आती है। साल 2025 में, शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से उनके अशुभ प्रभावों एवं साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और शनि दोष भी दूर हो जाता है। शनि जयंती के दिन शनिदेव की कृपा अगर आप भी पाना चाहते हैं तो ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं शनिदेव की पूजा विधि, सामग्री, मंत्र और नियम।
शनि जयंती 2025 पूजा सामग्री
- शनिदेव की प्रतिमा या चित्र
- काला या नीला वस्त्र (शनिदेव को चढ़ाने के लिए)
- सरसों का तेल या तिल का तेल
- नीले फूल (जैसे अपराजिता), फूलमाला
- काले तिल
- काली उड़द दाल (साबुत)
- काले चने
- शमी के पत्ते
- धूप, दीप (सरसों के तेल का)
- चंदन, अक्षत, सिंदूर
- मिठाई (तिल के लड्डू, उड़द की दाल की खिचड़ी, गुड़ आदि)
- पानी
- गंगाजल (अगर हो)
- तांबे या लोहे का पात्र (पूजा के लिए, पीतल या तांबे के बर्तन से जल न चढ़ाएं)
- पान, सुपारी, लौंग, इलायची
- कपूर (आरती के लिए)
शनि जयंती 2025 पूजा विधि
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। काले या गहरे नीले रंग के साफ-सुथरे वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। यदि संभव हो, तो किसी शनि मंदिर जाएं। अगर मंदिर न जा पाएं, तो घर पर ही शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
एक लकड़ी की चौकी पर काला या नीला वस्त्र बिछाएं। उस पर शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि मूर्ति न हो, तो एक सुपारी पर मौली लपेटकर उसे शनिदेव का प्रतीक मान सकते हैं।
शनिदेव को सरसों का तेल बहुत प्रिय है। इसलिए, पूजा शुरू करने से पहले सरसों के तेल का दीपक जलाएं। आप शनिदेव के सामने तिल के तेल का दीपक भी जला सकते हैं।
शनिदेव की प्रतिमा पर सरसों के तेल या तिल के तेल से अभिषेक करें। आप गंगाजल मिले पानी से भी अभिषेक कर सकते हैं। शनिदेव को नीले रंग के फूल जैसे अपराजिता बहुत पसंद हैं। उन्हें नीले या काले रंग के वस्त्र, फूल और फूलमाला अर्पित करें।
अब शनिदेव को काले तिल, काली उड़द दाल, काले चने, शमी के पत्ते, धूप, दीप, चंदन, अक्षत (चावल), सिंदूर आदि अर्पित करें। शनिदेव को काले रंग और तिल से बनी चीजें प्रिय हैं। आप उन्हें तिल के लड्डू, उड़द की दाल की खिचड़ी, गुड़ और अन्य सात्विक मिठाई का भोग लगा सकते हैं।
शनिदेव के मंत्रों का जाप करना बहुत लाभकारी होता है। आप रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार शनि मंत्रों का जाप करें। मंत्र जाप के बाद शनि चालीसा का पाठ करें और शनिदेव की व्रत कथा सुनें।
अंत में शनिदेव की आरती करें और उनसे अपने कष्ट दूर करने तथा सुख-समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करें। पूजा समाप्त होने के बाद भोग को प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांट दें।
शनि जयंती 2025 पूजा मंत्र
शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा के दौरान शनि देव के इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं: 'ॐ शं शनैश्चराय नमः।', 'ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥', 'ॐ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।'
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शनि जयंती 2025 पूजा नियम
पूजा से पहले और पूजा के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वच्छता बनाए रखें। शनिदेव की पूजा करते समय आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। शनिदेव की पूजा करते समय कभी भी उनकी आंखों में सीधा न देखें। उनकी प्रतिमा के चरणों की ओर या नीचे की ओर देखें।
शनिदेव की पूजा में लाल रंग के वस्त्र, फूल या अन्य सामग्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि लाल रंग मंगल का प्रतीक है, जो शनिदेव के विरोधी माने जाते हैं। इस दिन किसी भी प्रकार के नशे और तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज का सेवन न करें।
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